अचानक बिगड़ी कांग्रेस के इस पूर्व सीएम की तबीयत, तुरंत ले जाए गए हॉस्पिटल
कांग्रेस के इस पूर्व सीएम की तबीयत अचानक बिगड़ी, तुरंत ले जाए गए हॉस्पिटल
नई दिल्ली। कांग्रेस के दिग्गज नेता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि वीरभद्र सिंह को सांस लेने में परेशानी आ रही थी, जिसके बाद उन्हें तुरंत शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में इलाज के लिए लाया गया। आईजीएमसी के डॉक्टरों ने चेकअप के बाद उन्हें भर्ती कर लिया है। डॉक्टरों की एक टीम लगातार वीरभद्र सिंह के स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुए है। वीरभद्र सिंह के बाकी के टेस्ट किए जा रहे हैं।
जुकाम और खांसी के साथ सांस लेने में परेशानी
जानकारी के मुताबिक, वीरभद्र सिंह इन दिनों रामपुर में थे, जहां उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई। आनन-फानन में वीरभद्र सिंह को शिमला के आईजीएमसी लाया गया और चेकअप के बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया। बताया जा रहा है कि उन्हें जुकाम और खांसी के साथ सांस लेने में परेशानी आई थी। आईजीएमसी के सीनियर डॉक्टर जनकराज ने बताया कि वीरभद्र के कुछ और टेस्ट कराए गए हैं और डॉक्टरों की एक टीम उनकी हालत पर नजर बनाए हुए है। फिलहाल उनकी तबीयत में सुधार है।
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अस्पताल में नेताओं का जमावड़ा
वीरभद्र सिंह के अस्पताल में भर्ती होने की खबर सुनते ही हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर और कई वरिष्ठ नेता उनका हाल-चाल जानने पहुंचे हैं। आपको बता दें कि बीते कई दिनों से वीरभद्र सिंह की तबीयत खराब चल रही है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार वीरभद्र सिंह पांच बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्हें मनमोहन सिंह की सरकार में इस्पात मंत्री भी बनाया गया था। वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश की शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट से विधायक हैं। उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह हिमाचल की मंडी लोकसभा सीट से सांसद रह चुकी हैं।
आय से अधिक संपत्ति मामले में चल रही है जांच
आपको यह भी बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला अदालत में चल रहा है। दरअसल, 2014 में वीरभद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई ने उनके खिलाफ जांच शुरू की और उनके शिमला स्थित 11 ठिकानों पर 26 अक्टूबर 2015 में छापेमारी की। इससे पहले 23 अक्टूबर को सीबीआई ने इसी मामले में एफआईआर दर्ज की थी। 2009 से 2012 तक केंद्रीय इस्पात मंत्री रहते हुए वीरभद्र सिंह पर आरोप है कि उनकी छह करोड़ से ज्यादा की संपत्ति आय से अधिक संपत्ति है। इसी संपत्ति में से वीरभद्र सिंह ने करीब पांच करोड़ की रकम एलआईसी में निवेश की है।
मंत्री पद छोड़ने के बाद की हिमाचल में वापसी
भ्रष्टाचार के इस आरोप के बाद वीरभद्र सिंह को उस वक्त मंत्री पद छोडऩा पड़ा था। हालांकि इसके बाद उन्होंने हिमाचल की राजनीति में वापसी की और 2012 में राज्य की शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक और मुख्यमंत्री बने। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद वीरभद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई ने फिर से जांच शुरू की। 2015 दिसंबर में वीरभद्र सिंह हिमाचल हाईकोर्ट पहुंचे और आग्रह किया कि सीबीआई उन्हें गिरफ्तार न करे। इसके बाद वीरभद्र सिंह के खिलाफ ईडी ने मंनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था।
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