इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाला नहीं हो सकता है: पूर्व वित्त सचिव
नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर हाल ही में विपक्ष ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए इसे बड़ा घोटाला करार दिया था। लेकिन इस पूरे विवाद पर अब पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने बड़ा बयान दिया है। इलेक्टोरल बॉन्ड का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि इससे राजनीति में 70-90 फीसदी चंदे की सफाई हुई है। उन्होंने कहा कि अगर इसने नगद चंदा लेने की प्रथा को बदला है तो यह काफी अच्छी योजना है नाकि घोटाला।
कैश
में
चंदा
लेना
घोटाला
हो
सकता
है
31
अक्टूबर
को
अपने
पद
से
रिटायर
होने
के
बाद
पहला
इंटरव्यू
देते
हुए
गर्ग
ने
कहा
कि
इस
योजना
के
तहत
जो
लोग
राजनीतिक
दलों
को
चंदा
देते
हैं
उसे
राजनीतिक
दल
उजागर
नहीं
कर
सकते
हैं
क्योंकि
यह
काफी
गोपनीय
होता
है
और
यह
इस
योजना
की
हार्ड
कोडेड
स्कीम
का
हिस्सा
है।
उन्होंने
कहा
कि
इलेक्टोरल
बॉन्ड
को
इसलिए
शुरू
किया
गया
था
ताकि
बड़ी
संख्या
में
कैश
में
दिए
जाने
वाले
चंदे
पर
रोक
लगाई
जा
सके।
लेकिन
अगर
राजनीतिक
दल
कैश
में
चंदा
लेते
हैं
तो
वह
जरूर
घोटाला
हो
सकता
है।
100
फीसदी
पारदर्शिता
गर्ग
ने
कहा
कि
इसके
जरिए
100
फीसदी
राजनीतिक
दलों
के
चंदे
की
सफाई
हो
सकती
है,
लेकिन
बॉन्ड
के
जरिए
70-90
फीसदी
सिस्टम
की
सफाई
हो
सकती
है।
इलेक्टोरल
बॉन्ड
घोटाला
नहीं
है।
उन्होंने
कहा
कि
आखिर
यह
कैसे
घोटाला
हो
सकता
है
जब
चंदा
एक
नंबर
में
दिया
जा
रहा
है।
जब
कोई
कंपनी
केवाईसी
भरने
के
बाद
बैंक
अकाउंट
द्वारा
बॉन्ड
खरीदकर
चंदा
देती
है
तो
यह
घोटाला
कैसे
हो
सकता
है।
चिदंबरम
ने
उठाए
थे
सवाल
दरअसल
पूर्व
वित्त
मंत्री
पी
चिदंबरम
ने
इस
मुद्दे
को
उठाते
हुए
कहा
था
कि
इस
दशक
का
यह
सबसे
बड़े
घोटाला
है।
उन्होंने
कहा
था
कि
इलेक्टोरल
बॉन्ड
इस
दशक
का
सबसे
बड़ा
घोटाला
है।
इससे
खरीदने
वाले
बैंक
की
नजर
में
रहेंगे
और
इससे
सरकार
की
भी
नजर
में
रहेंगे।
चंदा
देने
वाले
के
बारे
में
भाजपा
को
भी
जानकारी
मिलेगी।
लेकिन
अगर
कोई
बिल्कुल
अंधेरे
में
रहेगा
तो
वो
है
देश
की
जनता।
पारदर्शिता
लंबे
समय
तक
जीती
रहे।
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