राफेल डील पर मनोहर पर्रिकर का नोट आया सामने, लिखी थी ये बात
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नई दिल्ली। राफेल डील के लेकर शुरू हुआ विवाद लगातार गहराता जा रहा है। शुक्रवार को राहुल गांधी ने 'द हिन्दू' में छपी खबर के बाद एक बार फिर से पीएम नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोला है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्रांस से होने वाली इस रक्षा खरीद में सीधे पीएमओ का दखल था। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने उस दखल का विरोध किया था। अखबार में प्रकाशित सरकारी दस्तावेज दावा किया गया है कि तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार ने दिसंबर 2015 में राफेल डील को लेकर तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को एक पत्र लिखा था।
रक्षा सचिव ने फाइल पर लिखा थी ये बात
राफेल सौदे के इस दस्तावेज पर रक्षा सचिव ने लिखा था, आरएम (रक्षा मंत्री) कृपया इसे देखें। अच्छा हो कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस तरह की बातचीत ना करे क्योंकि इससे सौदा करने के मामले में हमारी स्थिति बहुत कमज़ोर हो जाती है। रक्षा सचिव ने अपनी टिप्पणी 1 दिसंबर 2015 को लिखी थी। तक़रीबन 40 दिनों के बाद यानी 11 जनवरी 2016 को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस अपनी टिप्पणी दर्ज की।
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पैरा 5 में ज़रूरत से अधिक प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है
रक्षामंत्री पर्रिकर ने लिखा, शिखर बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और फ़्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय पूरे मामले की प्रगति पर लगातार नज़र बनाए हुए है। उन्होंने लिखा कि पैरा 5 में ज़रूरत से अधिक प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। डीआई सेक [रक्षा सचिव] प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी से परामर्श कर समस्या/मामले को हल कर सकते हैं। रक्षा मंत्री की टिप्पणी वाले इस नोटिंग के बाद कांग्रेस के उन आरोपों को बल मिला है कि राफेल जेट की खरीद से जुड़ी डील में प्रधानमंत्री कार्यालय सीधे दखल दे रहा था।
एक समाचारपत्र ने रक्षा सचिव की नोटिंग को प्रकाशित किया
इन खुलासों के बाद ये मामला संसद में उठाया गया है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और एयर चीफ मार्शल इस मुद्दे पर अलग-अलग बात कह रहे हैं तब सच्चाई उजागर करने के लिए सिर्फ जेपीसी का रास्ता बचता है। उधर इस हंगामे पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अखबार पर सवाल उठाते हुए कहा, एक समाचारपत्र ने रक्षा सचिव की नोटिंग को प्रकाशित किया। अगर कोई समाचारपत्र एक नोटिंग को छापता है, तो पत्रकारिता की नैतिकता की मांग है कि तत्कालीन रक्षामंत्री का जवाब भी प्रकाशित किया जाए।
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