छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन, कल पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार
नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का शुक्रवार दोपहर निधन हो गया। उनके बेटे अमित जोगी ने ट्वीट कर अपने पिता के निधन की जानकारी दी। अजीत जोगी 74 साल के थे। 20 दिन पहले कार्डियक अरेस्ट के बाद उन्हें रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनकी गंभीर हालत के चलते डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था, जहां आज उन्होंने आखिरी सांस ली। अजीत जोगी का अंतिम संस्कार शनिवार को उनकी जन्मभूमि गौरेला में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
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वहीं अजीत जोगी के निधन पर उनके बेटे अमित जोगी ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट लिखी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि 20 वर्षीय युवा राज्य छत्तीसगढ़ के सिर से आज उनके पिता का साया उठ गया है। केवल मैंने ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ ने अपना पिता खोया है। माननीय अजीत जोगी ढाई करोड़ लोगों के अपने परिवार को छोड़कर ईश्वर के पास चले गए। गांव-गरीब का सहारा, छत्तीसगढ़ का दुलारा हमसे बहुत दूर चल गया है।
वेदना की इस घड़ी में मैं निशब्द हूँ।परम पिता परमेश्वर माननीय @ajitjogi_cg जी की आत्मा को शांति और हम सबको शक्ति दे।
उनका अंतिम संस्कार उनकी जन्मभूमि गौरेला में कल होगा। pic.twitter.com/TEtAqsEFl4
— Amit Jogi (@amitjogi) May 29, 2020
तीन
दिन
के
राजकीय
शोक
की
घोषणा
वहीं
छत्तीसगढ़
के
मुख्यमंत्री
भूपेश
बघेल
ने
तीन
दिन
के
राजकीय
शोक
की
घोषणा
की
है।
इस
दौरान
राष्ट्रीय
ध्वज
आधा
झुका
रहेगा,
साथ
ही
राज्य
में
कोई
शासकीय
समारोह
आयोजित
नहीं
किए
जाएंगे।
मुख्यमंत्री
बघेल
के
मुताबिक
अजीत
जोगी
का
अंतिम
संस्कार
पूरे
राजकीय
सम्मान
के
साथ
होगा।
नौकरशाह से बने राजनीति के धुरंधर, ऐसा रहा है छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी का करियर
छत्तीसगढ़
के
पहले
मुख्यमंत्री
थे
जोगी
जब
अटल
बिहारी
वाजपेयी
की
सरकार
ने
मध्य
प्रदेश
से
अलग
करके
छत्तीसगढ़
को
राज्य
का
दर्जा
दिया
तो
अजीत
जोगी
वहां
के
पहले
मुख्यमंत्री
बने।
उस
समय
का
उनका
एक
बयान
बहुत
चर्चित
है
कि,
'हां,
मैं
सपनों
को
सौदागर
हूं
और
मैं
सपने
बेचता
हूं।'
हालांकि,
बाकी
के
किसी
विधानसभा
चुनाव
में
राज्य
की
जनता
ने
उनका
सपना
खरीदना
स्वीकार
नहीं
किया।
1999
में
शहडोल
लोकसभा
सीट
से
वह
चुनाव
हार
गए
थे,
लेकिन
उसके
बाद
जब
नया
राज्य
बना
तो
स्थानीय
कांग्रेस
में
ऐसा
समीकरण
बना
कि
जोगी
को
सीएम
बनने
का
मौका
मिल
गया।
2000
से
लेकर
2003
के
विधानसभा
चुनाव
तक
उनके
पास
ये
पद
रहा,
लेकिन,
फिर
से
वह
इस
पद
पर
वापसी
नहीं
कर
सके।
इससे
पहले
1986
से
1998
तक
उन्हें
कांग्रेस
ने
राज्यसभा
में
बिठाए
रखा
था।
पहली
बार
1998
में
रायगढ़
लोकसभा
क्षेत्र
से
वे
चुनाव
जीते
थे।