शपथ पर वॉक आउट करने वाली कांग्रेस का गोगोई कनेक्शन, मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाया
नई दिल्ली। भारत के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ ली। पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया था। वहींं, रंजन गोगोई के शपथ के दौरान विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया और शेम..शेम के नारे भी लगाए। जबकि उनके शपथ के विरोध में कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट कर दिया। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने विपक्ष के इस व्यवहार को असंतोषजनक बताया। शपथ के विरोध में सदन से वॉकआउट करने वाली कांग्रेस पार्टी से रंजन गोगोई का एक खास कनेक्शन भी रहा है।
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उनके शपथ के विरोध में कांग्रेस ने किया वॉकआउट
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने पिछले साल नवंबर में अयोध्या केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली बेंच की अध्यक्षता की थी। उन्होंने तीन अक्टूबर, 2018 को देश के 46वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली थी। राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए उनको नॉमिनेट किए जाने के बाद से देश की सियासत गरमाई हुई है। विपक्षी दलों के साथ-साथ उनके पूर्व सहकर्मी और रिटायर्ड जज जस्टिस मदन बी लोकुर और जोसफ कुरियन ने भी इसपर सवाल उठाए। रंजन गोगोई गुवाहाटी हाईकोर्ट और पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में भी जज रह चुके हैं।
पिता कांग्रेस के नेता थे और असम के सीएम भी रहे
असम के डिब्रूगढ़ में 18 नवंबर, 1954 को रंजन गोगोई का जन्म हुआ था। पांच भाई-बहनों में उनके बड़े भाई एयर मार्शल रह चुके हैं। जबकि उनके पिता असम में कांग्रेस के बड़े नेता थे और वे 1982 में दो महीने तक असम के मुख्यमंत्री भी रहे। रंजन गोगोई की शुरुआती पढ़ाई डॉन बॉस्को स्कूल में हुई, इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक किया। रंजन गोगोई ने कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1978 में गुवाहाटी हाईकोर्ट में लॉ की प्रैक्टिस शुरू की।
तत्कालीन सीजेआई के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चर्चा में आए थे
वे साल 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट के स्थाई जज नियुक्त किए गए। 9 साल तक गुवाहाटी हाईकोर्ट में जज के तौर पर रहने के बाद साल 2010 में उनका ट्रांसफर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गया। इसके दो साल बाद वे यहीं पर चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए। रंजन गोगोई 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किए गए। इस दौरान वे उस वक्त चर्चा में आए थे जब सुप्रीम कोर्ट के अन्य तीन जजों के साथ मिलकर उन्होंने तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।