राज्यसभा के लिए नामित होने के बाद आखिरकार जस्टिस गोगोई ने तोड़ी चुप्पी, बोले- पहले शपथ लेने दीजिए, फिर दूंगा जवाब
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है। उनके इस नामांकन पर तमाम विपक्षी दल सवाल खड़ा कर रहे हैं। जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर खड़े हो रहे सवाल के बीच आखिरकार सीजेआई रंजन गोगोई ने इसपर अपनी चुप्पी तोड़ी है। पत्रकारों से बात करते हुए जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने राज्यसभा नामांकन पर उठ रहे सवालों पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि पहले मुझे राज्यसभा के सदस्य के तौर पर शपथ ग्रहण करने दीजिए।
उठ रहे हैं सवाल
जस्टिस गोगोई ने कहा कि राज्य सभा के सदस्य के तौर पर शपथ ग्रहण करने के बाद मैं जवाब दूंगा कि आखिर क्यों मैंने इसे स्वीकार किया। बता दें कि सोमवार की शाम को सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में इस बात की जानकारी दी गई कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व सीजेआई जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के सदस्य के लिए मनोनीत किया है। इस खबर के आने के बाद सियासी गलियारों में इसको लेकर चर्चा का दौर तेज हो गया और कई तरह के सवाल खड़े किए जाने लगे। लोग सीजेआई गोगोई को मनोनीत किए जाने के पीछे राजनीतिक मंशा खोजने लगे।
शपथ ग्रहण करने के बाद दूंगा जवाब
असम में पत्रकारों से बात करते हुए जस्टिस गोगोई ने कहा कि मैं बुधवार को दिल्ली जाऊंगाा। मुझे शपथ ग्रहण करने दीजिए, फिर विस्तार से इस बारे में बताऊंगा कि आखिर मैंने क्यों राज्यसभा की सदस्यता को स्वीकार किया। गौरतलब है कि जस्टिस गोगोई पिछले वर्ष 17 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर हुए थे। 13 महीने तक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहने के दौरान जस्टिस गोगोई ने कई अहम फैसले दिए। इस दौरान उन्होंने पिछले वर्ष 9 नवंबर को राम मंदिर के ऐतिहासिक फैसले को सुनाया था।
कपिल सिब्बल ने खड़ा किया सवाल
जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि जस्टिस गोगोई न्यायपालिका और खुद की ईमानदारी से समझौता करने के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने ट्वीट करके लिखा कि जस्टिस गोगोई को सरकार द्वारा बचाए जाने, सरकार के साथ खड़े रहने, खुद की और न्यायपालिका की अस्मिता के साथ समझौता करने की वजह से राज्यसभा के लिए नामित किया गया और इसके लिए वह याद किए जाएंगे।
Recommended Video
जस्टिस गोगोई ने दिया अयोध्या का फैसला
जस्टिस गोगोई की बात करें तो फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज बनाए गए। 2011 में वो पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस बने। अप्रैल 2012 को वह सुप्रीम कोर्ट में आए, जिसके बाद 3 अक्टूबर 2018 को वह सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 17 नवंबर 2019 तक इस पद पर आसीन रहे। उनकी अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने अयोध्या भूमि विवाद में फैसला सुनाकर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया।जस्टिस गोगोई ही थे जिन्होंने 10 जनवरी 2018 को तीन अन्य वरिष्ठ जजों के साथ मिलकर तब के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ संयुक्त प्रेस वार्ता की थी। जजों ने आरोप लगाया था कि जस्टिस मिश्रा न्यायपालिका की स्वयात्तता से खिलवाड़ कर रहे हैं।