जीतनराम मांझी ने इस वजह से छोड़ा मोदी का साथ, जानिए लालू का ऑफर क्या है?
यूपी की राजनीति में हाशिये पर पहुंचीं मायावती को बिहार से राजद ने राज्यसभा सांसद बनाने का प्रस्ताव रखा था। जिसे मायावती ने ठुकरा दिया है।
नई दिल्ली। उपचुनाव से पहले बिहार की सियासत ने बड़ी करवट ली है। करीब तीन वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व वाले राजग के सहयोगी रहे पूर्व मुख्यमंत्री एवं हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने पाला बदल लिया है। अब वह राजद-कांग्रेस गठबंधन को मजबूत करेंगे। इसी बीच खबर है कि जीतनराण मांझी ने यूं ही पाला नहीं बदला है बदले में उन्हें राज्यसभा भेजने का ऑफर दिया गया है। खबरों के मुताबिक आरजेडी जीतनराम मांझी को राज्यसभा भेजकर एक तीर दो नहीं कई निशाने करना चाहती है।
राजद का प्लान जानिए
यूपी की राजनीति में हाशिये पर पहुंचीं मायावती को बिहार से राजद ने राज्यसभा सांसद बनाने का प्रस्ताव रखा था। जिसे मायावती ने ठुकरा दिया है। मायावती ने कहा कि जब तक सदन में भाजपा का बहुमत रहेगा और पार्टी सत्ता में रहेगी, तब तक वो राज्यसभा में प्रवेश नहीं करेंगी। इसके बाद लालू यादव जीतन राम मांझी को राज्यसभा भेजकर दलितों और महादलितों का मसीहा बनने की कोशिश कर सकते है। अगर दलितों का साथ राजद को मिल जाए तो पार्टी आगामी चुनावों में मजबूत स्थिति में होगी। एनडीए में रहते हुए जीतनराम मांझी ने राज्यसभा की सीट खुद के लिए मांगा थी लेकिन बीजेपी चीफ अमित शाह की तरफ से ग्रीन सिग्नल नहीं मिला अब अगर लालू यादव की पार्टी जीतन राम मांझी को राज्यसभा भेजती है तो दलितों के बीच राजद को लेकर अच्छा संदेश जाने की उम्मीद लगाई जा सकती है।
जीतनराम मांझी के साथ दोस्ती लालू यादव के इशारे पर की गई है
राजद के नेताओं का कहना है कि जीतनराम मांझी के साथ दोस्ती लालू यादव के इशारे पर की गई है। लालू यादव से पिछले हफ़्ते जीतन राम मांझी के बेटे संतोष मांझी जेल में जाकर भी मिले थे। राज्य सभा चुनावों में बिहार से छह सीट पर चुनाव होंगे। माना जा रहा है कि जहां राजद और जनता दल यूनाइटेड के दो-दो सदस्य राज्यसभा जाएंगे, वहीं भाजपा और कांग्रेस का एक-एक उम्मीदवार का राज्यसभा जाना तय माना जा रहा है। खबरों के मुताबिक राजद जीतनराम मांझी को राज्यसभा भेजने पर विचार कर रही है।
'एनडीए को और झटके मिलेंगे'
जीतनराम मांझी के पाला बदलने के बाद तेजस्वी यादव ने राजद में टूट के दावे को खारिज करते हुए कहा कि राजद-कांग्रेस में तोड़-फोड़ का दावा करने वाले राजग नेताओं को यह पहला झटका है। आगे और झटके मिलेंगे। तेजस्वी का संकेत राजग के एक और अहम सहयोगी एवं केंद्रीय राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा की ओर था। शिक्षा में सुधार के मुद्दे पर उनकी पार्टी रालोसपा द्वारा इसी साल 30 जनवरी को आयोजित मानव शृंखला में राजद के वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की थी, जिसके बाद से कुशवाहा की निष्ठा भी संशय के घेरे में है। तेजस्वी ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के पहले ही राजग बिखर जाएगा। जदयू में लगातार टूट हो रही है। हाल ही में विधायक सरफराज आलम ने नीतीश का साथ छोड़कर लालू की विचारधारा को चुना है। आगे और लोग शामिल होंगे।
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