'विदेशी' करार दिये गए पूर्व आर्मी अफसर को गुवाहाटी हाईकोर्ट से मिली जमानत, लड़ चुके हैं कारगिल की लड़ाई
गुवाहाटी। पिछले महीने असम में एक ट्रिब्यूनल द्वारा सेना के पूर्व अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित करने के बाद हिरासत में ले लिया गया था। जिसके बाद से वे डिटेंशन कैंप में रह रहे थे। शुक्रवार को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने सनाउल्लाह को जमानत दे दी। इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को इस मामले में नोटिस भी जारी किया है। बता दें कि, राष्ट्रपति पद का पदक जीतने वाले सनाउल्लाह को कामरुप के विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी करार दिया गया था।
सनाउल्लाह के वकील ने बताया कि, हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत के आदेश दिए हैं। उन्हें डिटेंशन सेंटर से 20,000 के बेल वॉन्ड, दो स्थानीय लोगों की सिक्योरिटी और उनकी बायोमेट्रिक्स के आधार पर रिहा किया गया है। सनाउल्ल्लाह सेना में कैप्टन के पद से रिटायर हुए थे। दो दशक पहले उन्होंने कारगिल युद्ध भी लड़ा था। फिलहाल 52 वर्षीय मोहम्मद सनाउल्लाह सीमा पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
Lawyer of retd Army Officer Md Sanaullah, who was declared foreigner&detained by police in Assam: Guwahati HC passed order of interim bail. He'll be released from detention center with a condition of Rs 20000 bail bond,2 local sureties&his bio-metrics will be taken before release pic.twitter.com/Th4z6LrahS
— ANI (@ANI) June 7, 2019
23 मई को विदेशी घोषित किए जाने और सेवा से बर्खास्त किए जाने से पहले कामरूप जिला निवासी सनाउल्लाह असम बार्डर पुलिस में उपनिरीक्षक के तौर पर सेवा दे रहे थे। सनाउल्ल्लाह के परिजनों ने असम पुलिस के खिलाफ कोर्ट में मामला दर्ज कराया है। बॉर्डर पुलिस को असम में रहने वाले गैर-कानूनी नागरिकों को पहचानने, उन्हें गिरफ्तार करने और उनके प्रत्यर्पण का जिम्मा सौंपा गया है। राज्य पुलिस की इस यूनिट में ज्यादातर रिटायर्ड सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के जवानों को रखा गया है।
असम में 100 फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल्स बॉर्डर पुलिस की ओर से घोषित विदेशी लोगों से जुड़े केस को सुनती हैं और उनकी निबटारा करती हैं। इसी तरह की एक ट्रिब्यूनल ने सनाउल्लाह के केस को सुना और पिछले वर्ष उन्हें नोटिस भेजा।सनाउल्लाह ट्रिब्यूनल की पांच सुनवाई में शामिल हो चुके हैं। उनके अलावा इस तरह के छह और रिटायर्ड सैनिकों को नोटिस भेजा जा चुका है। ये या तो सेना से जुड़े हैं या फिर अर्धसैनिक बलों का हिस्सा है। सनाउल्लाह ने सन् 1987 में सेना ज्वॉइन की थी और उस समय उनकी उम्र 20 वर्ष थी। उनका जन्म असम में ही हुआ।
साल 2017 में सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने बॉर्डर पुलिस ज्वॉइन कर ली। एक सुनवाई के दौरान उन्होंने गलती से डॉक्यूमेंट्स में लिख दिया कि सन् 1978 में उन्होंने सेना ज्वॉइन की थी। उनकी इस गलती की वजह से ही ट्रिब्यूनल ने उन्हें विदेशी घोषित कर दिया। ट्रिब्यूनल ने उन्हें तर्क दिया कि कोई भी 11 वर्ष की उम्र में कोई सेना में शामिल नहीं हो सकता है। सनाउल्लाह ने पिछले लोकसभा चुनावों में वोट भी डाला था।
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