क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कारगिल जांबाज सनाउल्लाह रिहा होने के बाद बोले, मैं हिंदुस्तानी था और हमेशा रहूंगा

Google Oneindia News

नई दिल्ली। सेना के पूर्व अधिकारी मोहम्मद सनाउल्ला जिन्होंने कारगिल के युद्ध में हिस्सा लिया था उन्हें शनिवार को डिटेंशन सेंटर से छोड़ दिया गया। उन्हें शुक्रवार को जमानत मिल गई थी। गुवाहाटी कोर्ट ने सनाउल्लाह को शुक्रवार को जमानत दे दी थी। उन्हें 20 हजार रुपए के जमानत बॉन्ड पर जमानत दी गई थी। गौर करने वाली बात है कि पिछले महीने सनाउल्लाह को विदेशी घोषित कर दिया गया था, जिसके बाद उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजा गया था। लेकिन इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों को नोटिस जारी किया है। इसके अलाावा असम सीमा पुलिस के अधिकारी चंद्रमल दास और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। सनाउल्लाह के लिए जानी मानी वकील इंदिरा जय सिंह कोर्ट में पेश हुईं थीं।

sanaullah

30 साल तक दी सेवा

बता दें कि सनाउल्लाह 30 साल तक सेना में रहे और फिर असम बॉर्डर पुलिस में उन्होंने अपनी सेवाएं दी, लेकिन पिछले महीने उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें नजरबंद कर दिया गया। उनपर आरोप था कि वह विदेशी हैं और भारत में अवैध तरीके से रह रहे हैं। कामरूप जिले के अपर पुलिस अधीक्षक संजीब सैकिया ने बताया था कि 2008 में सनाउल्लाह का नाम मतदाता सूची में डी श्रेणी यानि संदिग्ध मतदाता की श्रेणी में था। लेकिन सनाउल्ला ने पत्रकारों से बताया कि उनके पास भारतीय नागरिकता के सारे दस्तावेज मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि मैंने 30 साल तक इलेक्ट्रॉनिकक एंड मैकेनिकल इंजीनियर विभाग में अपनी सेवाएं दी हैं, राष्ट्रपति ने मुधे पुरस्कृत किया है।

23 मई को बर्खास्त

23 मई को विदेशी घोषित किए जाने और सेवा से बर्खास्त किए जाने से पहले कामरूप जिला निवासी सनाउल्लाह असम बार्डर पुलिस में उपनिरीक्षक के तौर पर सेवा दे रहे थे। सनाउल्ल्लाह के परिजनों ने असम पुलिस के खिलाफ कोर्ट में मामला दर्ज कराया है। बॉर्डर पुलिस को असम में रहने वाले गैर-कानूनी नागरिकों को पहचानने, उन्‍हें गिरफ्तार करने और उनके प्रत्‍यर्पण का जिम्‍मा सौंपा गया है। राज्‍य पुलिस की इस यूनिट में ज्‍यादातर रिटायर्ड सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के जवानों को रखा गया है।

नोटिस भेजा गया था

असम में 100 फॉरेनर्स ट्रिब्‍यूनल्‍स बॉर्डर पुलिस की ओर से घोषित विदेशी लोगों से जुड़े केस को सुनती हैं और उनकी निबटारा करती हैं। इसी तरह की एक ट्रिब्‍यूनल ने सनाउल्‍लाह के केस को सुना और पिछले वर्ष उन्‍हें नोटिस भेजा।सनाउल्‍लाह ट्रिब्‍यूनल की पांच सुनवाई में शामिल हो चुके हैं। उनके अलावा इस तरह के छह और रिटायर्ड सैनिकों को नोटिस भेजा जा चुका है। ये या तो सेना से जुड़े हैं या फिर अर्धसैनिक बलों का हिस्‍सा है। सनाउल्‍लाह ने सन् 1987 में सेना ज्‍वॉइन की थी और उस समय उनकी उम्र 20 वर्ष थी। उनका जन्‍म असम में ही हुआ।

लोकसभा चुनाव में डाला था वोट

साल 2017 में सेना से रिटायर होने के बाद उन्‍होंने बॉर्डर पुलिस ज्‍वॉइन कर ली। एक सुनवाई के दौरान उन्‍होंने गलती से डॉक्‍यूमेंट्स में लिख दिया कि सन् 1978 में उन्‍होंने सेना ज्‍वॉइन की थी। उनकी इस गलती की वजह से ही ट्रिब्यूनल ने उन्‍हें विदेशी घोषित कर दिया। ट्रिब्‍यूनल ने उन्‍हें तर्क दिया कि कोई भी 11 वर्ष की उम्र में कोई सेना में शामिल नहीं हो सकता है। सनाउल्‍लाह ने पिछले लोकसभा चुनावों में वोट भी डाला था।

इसे भी पढ़ें- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भारत ने पाकिस्तान से की है खास अपील इसे भी पढ़ें- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भारत ने पाकिस्तान से की है खास अपील

Comments
English summary
Former Army officer Mohammad Sanaullah has been freed from detention center.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X