सेना के पूर्व अधिकारी की तिहाड़ जेल में मौत, पुलिस ने लगाया चीन के लिए जासूसी का आरोप, बैंक खाते में 65 करोड़
नई दिल्ली। सेना के पूर्व अधिकारी कैप्टन मुकेश चोपड़ा की तिहाड़ जेल में संदिग्ध हालात में मौत हो गई है। कैप्टन मुकेश चोपड़ा की मौत के बाद इस मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं। वहीं पुलिस के सूत्र का दावा है कि उनकी जांच में यह बात सामने आई है कि 64 वर्षीय मुकेश चोपड़ा एविएशन रिसर्च सेंटर के गेस्ट हाउस में रह रहे थे, जहां उनके कमरे को रिटायर्ड अधिकारी ने बंद कर दिया था। जानकारी के अनुसार यह अधिकारी मुकेश चोपड़ा के साथ काम कर चुके हैं।
चीन
के
किसी
व्यक्ति
से
थे
संपर्क
में
सूत्र
ने
दावा
किया
है
कि
कैप्टन
मुकेश
चोपड़ा
सोशल
मीडिया
एप
के
जरिए
चीन
के
किसी
व्यक्ति
से
बात
कर
रहे
थे।
बता
दें
कि
चोपड़ा
को
2
नवंबर
को
दिल्ली
के
मानेकशॉ
सेंटर
से
अहम
स्ट्रैटेजिक
किताब
को
चोरी
करने
के
आरोप
में
गिरफ्तार
किया
गया
था।
जिसके
बाद
तीन
दिनो
तक
उनसे
पुलिस
हिरासत
में
पूछताछ
की
गई।
पूछताछ
के
बाद
चोपड़ा
को
6
नवंबर
तक
की
न्यायिक
हिरासत
में
जेल
भेज
दिया
गया
था,
जहां
एक
दिन
के
बाद
उनकी
मौत
हो
गई।
चोपड़ा
क
वकील
और
भाई
ने
उनकी
संदिग्ध
मौत
पर
सवाल
खड़े
किए
हैं,
जबकि
पुलिस
को
शक
है
कि
वह
चीन
के
लिए
जासूसी
कर
रहे
थे।
जेल
की
दीवार
से
कूदे
8
नवंबर
को
चोपड़ा
के
वकील
दीपक
त्यागी
ने
तिहाड़
जेल
प्रशासन
से
इस
बारे
में
पूछताछ
की
थी।
इस
दौरान
जेल
प्रशासन
ने
बताया
कि
चोपड़ा
जेल
कि
बिल्डिंग
की
दीवार
से
कूद
गए
थे।
दीपक
त्यागी
ने
कहा
कि
अगर
चोपड़ा
पर
जासूसी
का
आरोप
था
तो
उन्हें
सुरक्षित
वार्ड
में
रखना
चाहिए
था,
हमे
इस
बात
की
भी
जानकारी
मिली
है
कि
मुकेश
चोपड़ा
का
सही
से
इलाज
भी
नहीं
कराया
गया।
मुकेश
चोपड़ा
के
भाई
रंगेश
चोपड़ा
ने
बताया
कि
मेरे
भाई
से
पुलिस
हिरासत
में
हर
घंटे
15
घंटे
तक
पूछताछ
की
गई।
वह
सिर्फ
पांच
घंटे
सोता
था
और
उसे
फिर
से
जगा
दिया
जाता
था।
मेरा
भाई
पूर्व
सेना
का
अधिकारी
था
और
उसे
जासूस
बताकर
लोगों
के
बीच
पेश
किया
गया।
64
करोड़
रुपए
की
एफडी
पुलिस
का
दावा
है
कि
उसे
मुकेश
चोपड़ा
के
पास
चार
मोबाइल
फोन
मिले
थे
जब
उन्हें
गिरफ्तार
किया
गया
था।
उस
वक्त
चोपड़ा
ने
बताया
था
कि
वह
पैराशूट
रेजीमेंट
में
कैप्टन
रह
चुके
हैं
और
उन्हें
लेह
में
तैनात
किया
गया
था।
वह
1983
में
रिटायर
हुए
थे।
उन्होंने
दावा
किया
था
कि
उनके
पास
छतरपुर
और
ग्रेटर
कैलाश
में
प्रॉपर्टी
है।
यही
नहीं
उन्होंने
कहा
था
कि
उनके
पास
64
करोड़
रुपए
फिक्स
डिपॉजिट
में
हैं।
पुलिस
के
अनुसार
चोपड़ा
अपनी
पत्नी
और
बेटी
के
साथ
1983
में
कनाडा
चले
गए
थे
और
उसके
बाद
उन्हें
अमेरिका
का
पासपोर्ट
मिल
गया
था।
उनके
पासपोर्ट
पर
2025
तक
का
चीन
का
वीजा
था।
उनकी
व्यक्तिगत
डायरी
में
चाइनीज
युनाइटेड
फ्रंट
वर्क
डिपार्टमेंट
के
कुछ
सदस्यों
के
नंबर
थे।
वह
2007
से
लगातार
भारत
आ
रहे
थे।
वह
15
बार
भारत
आए
और
इस
दौरान
उन्होंने
सेना
के
अधिकारियों
से
भी
मुलाकात
की
थी।
फोन
में
कई
मैसेज
को
किया
डिलीट
31
अक्टूबर
को
चोपड़ा
हॉगकॉग
से
दिल्ली
पहुंचे
थे।
पूलिस
सूत्र
का
कहना
है
कि
उन्हें
सेना
के
एक
रिटायर
अधिकारी
एयरपोर्ट
पर
लेने
पहुंचे
थे,
जोकि
एआरसी
में
उनके
साथ
काम
कर
चुके
थे।
चोपड़ा
ने
अपने
बेटे
को
अ्मेरिका
और
कनाडा
में
नौकरी
हासिल
करने
में
मदद
की
थी।
पुलिस
सूत्र
ने
बताया
कि
चोपड़ा
को
मानेकशॉ
सेंटर
पर
हिरासत
में
लिया
गया
था।
जिस
वक्त
चोपड़ा
को
गिरफ्तार
किया
गया
उनके
पास
30000
यूएस
डॉलर
कैश
था
और
कुछ
गोल्ड
ज्वेलरी,
चार
मोबाइल
फोन
था।
जानकारी
के
अनुसार
वह
चीन
के
किसी
व्यक्ति
के
साथ
लगातार
संपर्क
में
थे
और
उन्होंने
कई
मैसेज
भी
डिलीट
किए
थे।
वहीं
चोपड़ा
के
वकील
कहना
है
कि
जिस
किताब
की
चोरी
का
आरोप
उनपर
लगा
है
वह
सब
ऑनलाइन
उपलब्ध
हैं।
वहीं
चोपड़ा
के
परिवार
का
कहना
है
कि
उनके
पास
मानेकशॉ
सेंटर
का
कार्ड
था
और
वह
उस
दिन
उसे
ले
जाना
भूल
गए
थे।
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