पाकिस्तान को माकूल जवाब देने के लिए जरूरी, हम बार-बार बालाकोट एयरस्ट्राइक करें- पूर्व सेना प्रमुख
नई दिल्ली। पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल युद्ध को 20 वर्ष पूरे हो गए हैं, इस मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए सेना के पूर्व मुखिया ने कहा कि हमे पाकिस्तान पर बालाकोट स्ट्राइक की तरह और स्ट्राइक करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब केंद्र में वाजपेयी सरकार थी तो सरकार ने फैसला लिया था कि एलओसी को युद्ध के दौरान पार नहीं किया जाएगा, लेकिन मैंने पीएम से अपील की थी कि वह इसका ऐलान सार्वजनिक तौर पर ना करें।
की थी अपील
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने कहा कि उस वक्त हमे जरूरत थी कि बालाकोट स्ट्राइक की तरह हम कई स्ट्राइक करते, जिससे कि हमारी निर्णायक क्षमता का उन्हें अंदाजा होता और पाकिस्तान को यह संदेश जाता कि भारत भी जवाद देना जानता है। मलिक ने बताया कि कैबिनेट कमेटी ने वाजपेयी सरकार में फैसला लिया था कि एलओसी को पार नहीं करना है और इसे सार्वजनिक कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि वाजपेयी ने भी 2 जून 1999 में चेन्नई में इस बारे में बात की थी, जब मैंने उनसे मुलाकात की तो मैंने कहा था कि हम जनता के फैसले को मानेंगे लेकिन आप सार्वजनिक तौर पर यह ना कहें।
वाजयेपीय ने पूछा आखिर क्यों
बता दें कि कारगिल युद्ध के दौरान जनरल मलिक ने भारतीय सेना की अगुवाई की थी। जनरल ने कहा कि पीएम ने मुझसे इसकी वजह पूछी थी, जिसपर मैंने जवाब दिया था कि हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे कि जो कारगिल में हुआ वह फिर ना हो, लेकिन अगर हम पूरा परिणाम हासिल नहीं कर सके तो सेना के लिहाज से हमारे पास एलओसी पार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अगर हमे इसकी जरूरत पड़ी तो मैं आपके पास आउंगा और आपसे इस बारे में पूछूंगा।
टीवी इंटरव्यू ने की मदद
जनरल मलिक ने कहा कि हम दोनों के बीच यह बात साउथ ब्लॉक के कॉरिडोर में हो रही थी। इस वक्त वाजपेयी जी ने कुछ नहीं कहा और कुछ सेकेंड के लिए चुप रहे। लेकिन उस दिन शाम को उनके मुख्य सचिव और एनएसए बृजेश मिश्रा ने एक टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू में उन्होंने जानबूझकर कहा कि एलओसी का पार नहीं करना आज के लिहाज से अच्छा है, लेकिन कल के बारे में हमे नहीं पता है। उनके इस बयान के बाद हमे हमारी सैन्य रणनीति बनाने में काफी मदद मिली। भारतीय सेना ने कारगिल ऑपरेशन के दौरान सीमा को पार नहीं किया ।
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