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भारत में फंसे तब्लीगी जमात के विदेशी नागरिक अब जा सकेंगे अपने घर, पहले भरना होगा इतने रुपए का जुर्माना

भारत में फंसे तब्लीगी जमात के विदेशी नागरिक अब जा सकेंगे अपने घर, पहले भरना होगा इतने रुपए का जुर्माना

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नई दिल्‍ली। दक्षिण दिल्ली स्थित निजामुद्दीन तब्लीगी मरकज जमात मामले में आरोपी विदेशी नागरिकों को सात से दस हजार रुपये का निजी मुचलका भरने के बाद जमानत दे दी गई। इसमें मलेशिया से 121 और सऊदी अरब के 11 विदेशी नागरिक शामिल हैं जिन्‍हें लॉकडाउन नियमों और वीज़ा मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए दोषी ठहराया गया। जिसके बाद उन्हें केवल 7 से 10 हजार रुपये के बीच आर्थिक दंड के साथ दंडित किया गया। ये जुर्माना भर कर भारत में पिछले मार्च से फंसे विदेशी तब्लीगी जमाती अब अपने घर वापस जा सकेंगे।

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विदेशी तब्लीगी जमात पर ये था आरोप

विदेशी तब्लीगी जमात पर ये था आरोप

बता दें इन विदेशी नागरिकों ने दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज में एक धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इसके बाद अप्रैल में देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़े थे। कोरोना संक्रमण के दौरान मरकज में बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक ठहरे थे। यही नहीं दिल्ली पुलिस ने राजधानी के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी करके भी कई विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया था। इन सभी को क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया था। इन नागरिकों पर वीजा नियमों के उल्लंघन के अलावा कोरोना वायरस के मद्देनजर जारी सरकारी दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने और मिशनरी गतिविधियों में गैरकानूनी तरीके से शामिल होने के भी आरोप था।

विदेशी जमातियों के लिए पहली उड़ान अगले मंगलवार शुरु हो सकती है

विदेशी जमातियों के लिए पहली उड़ान अगले मंगलवार शुरु हो सकती है

दिल्ली पुलिस ने बहुत सारे हंगामे के बाद 956 विदेशियों को आरोप पत्र सौंपा था। सूत्रों के अनुसार विदेशी नागरिकों को केवल जुर्माने की सजा दिए जाने पर कोई आपत्ति नहीं थी। माना जा रहा है कि इन विदेशी तब्लीगी जमामियों को उनके देश पहुंचाने के लिए पहली उड़ान अगले सप्‍ताह में मंगलवार शुरु हो सकती है। दिल्‍ली के क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट द्वारा विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) को उचित निर्देश जारी करने के बाद सऊदी नागरिकों को सुरक्षात्मक पास पर वापस जाने की उम्मीद है।

कोर्ट में विदेशी जमानियों ने अपनी गलती स्‍वीकारी

कोर्ट में विदेशी जमानियों ने अपनी गलती स्‍वीकारी

दिल्‍ली की साकेत कोर्ट में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई हुई। इसमें मलेशियाई नागरिकों का केस लड़ रहे वकील ने कहा कि सभी को अपनी गलती का एहसास है और उन्होंने मामूली गलती की है। इसलिए अदालत से उन्हें राहत दी जानी चाहिए। इस पर शिकायतकर्ता लाजपत नगर के एसडीएम और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने कोई विरोध नहीं जताया। इसके बाद संबंधित मजिस्ट्रेट ने विदेशी नागरिकों के आवेदनों की अनुमति दी और उन्‍हें 7,000 रुपये और 10,000 रुपये के बीच जुर्माना की सजा सुनाई।

इस कानून के तहत किया था आवेदन

इस कानून के तहत किया था आवेदन

बता दें ये सभी जमाती वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के दौरान ये लोग अदालत के समक्ष पेश हुए थे। बता दें दंड प्रक्रिया संहिता के तहत जिन मामलों में अधिकतम सजा सात साल है, उनमें समझौता आवेदन देने की इजाजत होती है। इसमें ऐसे अपराध आते हैं जो समाज की सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों को प्रभावित नहीं करते हों। इसके अलावा ऐसे अपराध जो महिला या 14 साल से कम उम्र के बच्चे के खिलाफ न हों।

चार महीनें की कवायद पर उठ रहे अब ये सवाल

चार महीनें की कवायद पर उठ रहे अब ये सवाल

दिल्ली पुलिस द्वारा स्पष्टीकरण के बाद ये बात सामने आई कि 956 विदेशियों में से किसी पर भी हत्या करने का प्रयास जैसे अन्‍य गंभीर आरोप नहीं लगाए थे। पुलिस ने अदालत को बताया था कि 956 नागरिकों के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है। साथ ही पुलिस ने कोर्ट में विरोध भी नहीं जताया। अब ऐसे में तब्लीगी जमात को लेकर पूरे घटनाक्रम पर प्रासंगिक सवाल उठ रहे है कि क्या चार महीनों तक इसको लेकर चली पूरी कवायद बेकार थी। जिसमें कुल 48 चार्जशीट और 11 सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करने वाली पुलिस ने आखिरकार विदेशी नागरिकों को एक छोटे से जुर्माने के बाद छूट देने का पक्ष लिया। अब दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के अधिकारी वर्तमान में सैकड़ों विदेशी नागरिकों की पहचान करने में व्यस्त हैं ताकि वे दोषमुक्त हो सकें और चार महीने से जो उनकी निगरानी कर रहे उससे मुक्त हो सकें।

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English summary
Foreign citizens of Tabligi Jamaat will be able to go back home after paying a fine of Rs 7 thousand Rupees
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