क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

2019 में तीसरी बार छुट्टी के दिन सुप्रीम कोर्ट को करनी पड़ी अर्जेंट सुनवाई, ये थे महत्वपूर्ण केस

Google Oneindia News

नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने इतिहास में कई बार छुट्टियों के दिन या देर रात किसी मामले की सुनवाई की है। ये सारे वैसे मामले थे, जिनमें अदालत को लगा कि उनपर तत्तकाल सुनवाई जरूरी है। हालांकि, कई बार इसके चलते सुप्रीम कोर्ट को आलोचनाओं का भी शिकार होना पड़ा है तो कई बार उसके कदम को काफी सराहा भी गया है। अगर 2019 की बात करें तो इस बार तीन ऐसे बड़े मामले सामने आए हैं, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने छुट्टियों की परवाह न करते हुए भी सुनवाई की है या अपना फैसला सुनाया है। इससे पहले ऐसे कई मौके भी आए हैं, जब सर्वोच्च अदालत ने देर रातों में भी और न्यायाधीशों के आवासों पर भी सुनवाई की कार्रवाई की है।

महाराष्ट्र में सियासी घमासान पर रविवार को सुनवाई

महाराष्ट्र में सियासी घमासान पर रविवार को सुनवाई

महाराष्ट्र में शनिवार सुबह जिस तरह से राजभवन में देवेंद्र फडणवीस सरकार को शपथ दिलाई गई, उसके खिलाफ उसी रात शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी संयुक्त रूप से राज्यपाल के फैसले को चुनौती देते हुए तत्काल सुनवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। इन तीनों पार्टियों ने गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को असंवैधानिक ठहराने और तुरंत बहुमत परीक्षण करवाने की मांग करते हुए अदालत से फौरन सुनवाई की गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल अपनी रजिस्ट्री से कहा कि इस मामले को रविवार सुबह उसके सामने सुनवाई के लिए लाया जाए। रविवार सुबह साढ़े दस बजे सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने इसकी सुनवाई की। इस बेंच में जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल रहे।

अयोध्या पर शनिवार को सुनाया ऐतिहासिक फैसला

अयोध्या पर शनिवार को सुनाया ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट से 8 नवंबर की रात 9 बजे अचानक पता चला कि शनिवार सुबह अदालत दशकों पुराने अयोध्या विवाद में फैसला सुनाएगी। शनिवार को छुट्टी होने के बावजूद पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस बेहद ही संवेदनशील विवाद में अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से संबंधित सारी 2.77 एकड़ विवादित जमीन भगवान राम लला को सौंपने के पक्ष में निर्णय दिया। इस केस की अहमियत समझते हुए ही तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक दिन पहले ही यूपी के चीफ सेक्रेटरी और मुख्य सचिव से सुरक्षा तैयारियों का ज्यादा ले लिया था। अदालत की इसी सजगता और सक्रियता का परिणाम ये हुआ कि दशकों पुराना विवाद भी हल हो गया और देश में शांति भी बनी रही।

20 अप्रैल को यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई

20 अप्रैल को यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई

इसी साल 20 अप्रैल को भी सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न और अत्याचार से जुड़े एक बहुत ही महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई की थी। उस दिन शनिवार था, लेकिन छुट्टी होने के बावजूद ने इस की अहमियत को समझते हुए शनिवार को भी बैठने का फैसला किया। इस केस में सुप्रीम कोर्ट की ही एक पूर्व महिला कर्मचारी ने तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनने के लिए शनिवार के दिन ही विशेष सुनवाई का निर्णय किया। करीब 30 मिनट चली इस विशेष सुनवाई की अगुवाई खुद तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ही की थी। उनके अलावा बेंच में जस्टिस अरुण मिश्रा और संजीव खन्ना भी थे। हालांकि, इस केस में कोई जुडिशियल ऑर्डर पास करने या न करने की जिम्मेदारी जस्टिस गोगोई जस्टिस मिश्रा पर छोड़कर पहले निकल गए थे।

आधी रात में सुने जाने वाले सियासी और दूसरे अहम मामले

आधी रात में सुने जाने वाले सियासी और दूसरे अहम मामले

पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के राज्यपाल की ओर से बीजेपी को सरकार बनाने का निमंत्रण देने के खिलाफ कांग्रेस की याचिका पर आधी रात में ही सुनवाई की थी। 6 और 7 दिसंबर, 1992 की दरमियानी पूरी रात अयोध्या के बाबरी मस्जिद गिराने के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एमएन वेंकटचलैया के आवास पर पूरी रात सुनवाई चली। जस्टिस वेंकटचलैया की बेंच ने सुनवाई के बाद अयोध्या की विवादित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। कानून के जानकारों के मुताबिक 1998 में कल्याण सिंह या जगदंबिका पाल में से किसके पास बहुमत है इसपर सदन में एक साथ बहुमत परीक्षण वाले मामले की सुनवाई भी सुप्रीम कोर्ट में देर रात ही हुई थी।

आधी रात में सुने जाने वाले कुछ बेहद कुख्यात केस

आधी रात में सुने जाने वाले कुछ बेहद कुख्यात केस

इससे पहले 1985 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा रात में खोला गया था। उस वक्त एक बड़े कारोबारी एलएम थापर पर फेरा कानूनों के तहत गंभीर आरोप लगे थे। लेकिन, उसे जमानत दिलाने के लिए रात में ही तत्कालीन चीफ जस्टिस ईएस वेंकटरमैया को आधी रात में नींद से उठा दिया गया। थापर को आरबीआई की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया था। 29 जुलाई, 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी की सजा पर अमल रोकने की मांग से संबंधित याचिका पर पूरी रात सुनवाई की थी। यह फांसी अगले दिन सुबह 6 बजे दी जानी थी। इन दोनों मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की काफी आलोचनाएं भी हैं। मेमन से पहले दिल्ली के कुख्यात रंगा-बिल्ला केस में भी जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ की अदालत ने उसे फांसी नहीं दिए जाने की मांग वाली याचिका पर देर रात ही सुनवाई की थी। याकूब मेमन केस से पहले 9 अप्रैल, 2013 से एक रात पहले मांगनलाल बरेला की ओर से भी उसे मिली फांसी की सजा रोकने वाली याचिका पर रात में सुनवाई हुई। वकीलों के मुताबिक शत्रुघ्न चौहान बनाम/ भारत संघ के मामले में 16 लोगों की फांसी की सजा को रोकने के लिए तत्कालीन सीजेआई पी सथासिवम के आवास पर अर्जी डाली गई। सीजेआई और जस्टिस एमवाई इकबाल ने देर रात ही सुनवाई की और फांसी की सजा पर रोक लगा दी।

इसे भी पढ़ें- राज्यपाल ने फडणवीस को क्यों दिया सरकार बनाने का न्योता? केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दिया ये जवाबइसे भी पढ़ें- राज्यपाल ने फडणवीस को क्यों दिया सरकार बनाने का न्योता? केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दिया ये जवाब

Comments
English summary
For the third time in 2019, the Supreme Court had to hear an urgent hearing, these were important cases
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X