महाराज के साथ सेल्फी खिंचवाने के लिए खड़े रहने वाले ने 1957 से पहली बार ढहा दिया उनका किला
नई दिल्ली- ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) लगातार चार बार से मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की गुना (Guna) संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। लेकिन, 2019 के मोदी लहर में वे भाजपा (BJP) के के पी यादव (K P Yadav) से मात खा गए। यह हार सिंधिया के लिए सिर्फ इसलिए बड़ी नहीं है कि उनका किला ढह गया है, बल्कि इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्हें जिस इंसान ने हराया है, वह मामूली जनता के रूप में कभी उनके मातहत काम करता था।
गुना से सिंधिया परिवार का जो भी लड़ा वो जीता
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)की गुना (Guna)संसदीय सीट का रिकॉर्ड ऐसा था कि यहां से पार्टी कोई भी हो, लेकिन जीत सिंधिया राजघराने के सदस्य की होती थी। यह सिलसिला 1957 से लगातार चला आ रहा था। तब सिंधिया राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया को यहां जीत मिली थी। 1971 में उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने जनसंघ के टिकट पर यहीं से पहला चुनाव लड़ा और जीता था।
2002 से गुना के सांसद थे ज्योतिरादित्य
जब 2002 में माधवराव सिंधिया का निधन हो गया, तो उनकी जगह उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia)ने गुना से ही उपचुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। उसके बाद से 2004, 2009 और 2014 में उन्होंने यहीं से कांग्रेस के टिकट पर लगातार जीत दर्ज की।
सेल्फी के लिए खड़े रहने वाले ने अपने महाराज को हरा दिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia)को बीजेपी (BJP) के जिस के पी यादव ने हराया है, वो पहले उन्हीं के सांसद प्रतिनिधि रह चुके हैं। भाजपा ने जब के पी यादव की उम्मीदवारी की घोषणा की थी, तो सिंधिया परिवार को यह बहुत ही नागवार लगा था। तब सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया ने ट्वीट करके तंज कसा था, 'जो कल तक महाराज के साथ सेल्फी (Selfie) लेने का इंतजार करता था, वह अब गुना में उनको चुनौती देगा?' इस ट्वीट ने गुना (Guna)में ऐसा सियासी रंग जमाया कि सिंधिया अपने परिवार के महाराज ही रह गए, उनके साथ सेल्फी (Selfie) लेने का इंतजार करने वाला उनका मामूली कर्मचारी जनता का वोट लेकर लोकसभा तक पहुंच गया और राजघराने का अभेद्य किला ढह गया।
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