गठबंधन नहीं होने पर पहली बार खुलकर कांग्रेस पर बरसे अखिलेश यादव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जिस तरह से कांग्रेस ने सपा-बसपा गठबंधन को ठेंगा दिखाते हुए अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया और अपने उम्मीदवारों की घोषणा की उसके बाद पहली बार सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। अखिलेश यादव ने यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होन पाने पर कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि कांग्रेस प्रदेश में खुद की जमीन मजबूत करने में पर ज्यादा ध्यान दे रही थी नाकि नरेंद्र मोदी को चुनाव हराने पर।
कांग्रेस चली दूसरी राह पर
यह पहली बार है जब अखिलेश यादव ने खुलकर कांग्रेस पर हमला किया है। कांग्रेस ने जिस तरह से दूसरी बार उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है उसके बाद अखिलेश ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बुधवार को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद से मेरठ के अस्पताल में मुलाकात की थी। प्रियंका गांधी की इस मुलाकात के बाद मायावती ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
इसे भी पढ़ें- यूपी: एक्शन में भाजपा, बसपा के शीर्ष नेताओं में मची भगदड़
कांग्रेस अपना हित देख रही
गुरुवार को अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस को सपा-बसपा गठबंधन में शामिल होना चाहिए था, अगर वह सच में भाजपा को हराना चाहती थी। उन्होंने कहा कि गठबंधन की तैयारी बहुत पहले शुरू हो गई थी। सपा और बसपा के कार्यकर्ताओं ने गोरखपुर उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार को हराने में बहुत मेहनत की है। सपा और बसपा ने अपने हितों को अलग रखकर गठबंधन किया है। देश चाहता है कि मोदी सरकार को हटाया जाए, लेकिन कांग्रेस सिर्फ भाजपा को मजबूत करने में लगी है।
गठबंधन के समय कांग्रेस जश्न मना रही थी
सपा मुखिया ने कहा कि अगर कांग्रेस सच में भाजपा को हराना चाहती है तो उन्हें सपा-बसपा की मदद करनी चाहिए थी और गठबंधन में शामिल होना चाहिए था क्योंकि हम सभी भाजपा को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। ना सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस को ध्यान देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि जब गठबंधन हुआ तो यूपी कांग्रेस अन्य राज्यों में पार्टी की जीत का जश्न मनाने में जुटी थी।
जानबूझकर हमारे विधायक को मंत्री नहीं बनाया
अखिलेश ने कहा कि हमारे एकलौते विधायक ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस का समर्थन किया लेकिन इसके बाद भी उसे मंत्री पद नहीं दिया गया, जबकि यह वादा किया गया था। उन्हें बताना चाहिए था कि वह हमारे विधायक को मंत्री नहीं बना सकते हैं। हालांकि उन्होंने साफ किया कि गठबंधन इसलिए नहीं हो सका कि पार्टी ने उनके विधायक को मंत्री नहीं बनाया, बल्कि कांग्रेस ने अपने दोस्त को सम्मान नहीं दिया। उन्हें लगता है कि अगर सपा का विधायक मंत्री बनता है तो प्रदेश में सपा का विस्तार होगा।