केरल में रैट फीवर को लेकर रेड अलर्ट, जानें क्या है यह बीमारी, कैसे फैलती है
नई दिल्ली। बाढ़ से मची तबाही के बाद अब केरल महामारी के संकट से जूझ रहा है। केरल में रैट फीवर/ लैप्टोस्पाइरोसिस से तीन और लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। 1 अगस्त से अब तक रैट फीवर के चलते 39 लोगों की मौत हो चुकी है। शनिवार को मल्लपुरम में 42 वर्षीय परमीला, कोझीकोड में 42 वर्षीय सलीम्शा की रैट फीवर की वजह से मौत हो गई। रविवार को कोझीकोड में ही 34 वर्षीय विजीश ने भी रैट फीवर के चलते दम तोड़ दिया।
'द न्यूज मिनट' की रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक रैट फीवर के 68 संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिनमें 33 के रैट फीवर से पीडि़त होने की पुष्टि हो चुकी है। 28 अगस्त को राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने पांच जिलों- त्रिशूर, पलक्कड़, कोझीकोड, मल्लपुरम और कन्नूर में रेड अलर्ट रैट फीवर को लेकर रेड अलर्ट जारी किया।
क्या है रैट फीवर
'रैट फीवर' जिसे लैप्टोस्पाइरोसिस भी कहते हैं। यह बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारी है। रैट फीवर का बैक्टीरिया दूषित मिट्टी या पानी में मौजूद होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह जानवरों के जरिए पानी में चला जाता है। 'रैट फीवर' से लोगों के दम तोड़ने की खबरें केरल में बाढ़ से मची तबाही के बाद शुरू हुईं।
केरल में इस प्रकार फैल रहा रैट फीवर
केरल में इस समय जिस प्रकार के हालात हैं, ऐसे में महामारी तेजी से फैलने का खतरा बना हुआ है। जंगली और घरेलू दोनों ही तरह के जानवरों से रैट फीवर का बैक्टीरिया पानी या मिट्टी में जा सकता है। केरल में अब काफी पानी जमा है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति पानी में चलता है तो वह बैक्टीरिया के संपर्क में आ सकता है। इसके साथ ही अगर किसी व्यक्ति की स्किन में कहीं से छिली या कटी हुई है तो वह और जल्दी इस बैक्टीरिया का शिकार हो सकता है।
गीली मिट्टी और घास में जिंदा रहते हैं रैट फीवर के बैक्टीरिया
रैट फीवर का बैक्टीरिया गीली मिट्टी, घास या पौधों में जिंदा रहता है। इसकी संभावना तब और बढ़ जाती है अगर किसी जानवर ने उस जगह पर मूत्र किया हो। कहीं वह जानवर इस बैक्टीरिया से ग्रस्त है तो उस जगह पर वह बैक्टीरिया छोड़ जाता है, जिसके संपर्क में आते ही इंसान रैट फीवर की चपेट में आ जाता है।
रैट फीवर के लक्षण और प्रभाव
डॉक्टरों का कहना है रैट फीवर से ग्रस्त व्यक्ति को तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द, पेट दर्द और उल्टियां होती हैं। इनमें से कोई भी समस्या हो तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। रैट-फीवर का सबसे बुरा प्रभाव पीडि़त की किडनी, दिमाग, लीवर पर पड़ सकता है। इसके अलावा रैट फीवर के चलते व्यक्ति को नली से जुड़ी तकलीफ भी हो सकती है।