दिल्ली से पटना... लो कट गया कन्हैया कुमार का टिकट
आखिर कैसे अचानक ही मनुवाद से, सामंतवाद से, पूंजीवाद से आजादी मांगने वाला कन्हैया कुमार देश के सैनिकों को बलात्कारी बताने लगा है। इसी बीच राष्ट्रवाद से प्रेरित कुछ लोग कन्हैया की मुखालिफत करने लगे हैं। अब वे असल में कितने देशभक्त हैं कितने नहीं इसके मापन के लिए हमारे पास कोई पैमाना नहीं है। पर जनता के मुताबिक जो देश का विरोध करने वालों का विरोध करे वो देशभक्त। हां इतना जरूर है कि कन्हैया कुमार के इस बयान के बाद उसके विरोधियों की फेहरिस्त काफी लंबी हो गई है।
VIDEO में देखें कन्हैया को फौजी का जवाब: 'मां भारती का बेटा हूं, गोली खा सकता हूं गाली नहीं'
जानी ने कराया टिकट
उत्तर प्रदेश नव निर्माण सेना के अध्यक्ष अमित जानी ने जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष के नाम पर 29 मार्च का दिल्ली से पटना के लिए हवाई टिकट बुक कराया है। दरअसल जानी ने इससे पूर्व कन्हैया कुमार को 31 मार्च तक दिल्ली छोड़ देने का अल्टीमेटम दिया था। इन सबके इतर जब वन इंडिया ने जानी से इस बात की जानकारी ली कि ये हवाई टिकट किसलिए तो उनका कहना था कि बकौल कन्हैया उनकी पारिवारिक कमाई 3000 रूपये मासिक से कम है और वे अंत्योदय योजना के अंतर्गत आते हैं। इसीलिए उनकी आर्थिक स्थिति का ख्याल रखते हुए उत्तर प्रदेश नव निर्माण सेना के कोष से उनका हवाई टिकट करा दिया है।
जंतर मंतर में होगी ''महापंचायत''
इससे पूर्व उत्तर प्रदेश नव निर्माण सेना के अध्यक्ष अमित जानी ने देश के सैनिकों को कन्हैया कुमार द्वारा बलात्कारी कहे जाने के विरोध में गोली मार देने की धमकी दी थी। साथ ही 27 मार्च को कन्हैया के बयान के विरोध में जानी ने जंतर मंतर में महापंचायत का ऐलान किया है। जिसमें युवाओं,पूर्व सैनिकों एवं छात्रों से महापंचायत में शामिल होने की अपील भी की है।
जेएनयू, जानी और कन्हैया कुमार
अमित जानी ने साफ किया है कि वे अपनी बात पर अडिग है यदि 31 मार्च तक कन्हैया ने दिल्ली नहीं छोड़ी तो उनके कार्यकर्ता कानून की परवाह किये बिना हथियार लेकर जेएनयू में घुस जाएंगे और कन्हैया से खुद निपट लेंगे।
इन सबके इतर राजनीति कार हों या फिर चाय पर चर्चा करने वाले आम से खास तबके के लोग इस पर मंथन करने जुटे हैं कि जिस विवाद के साथ जेएनयू एक नई पहचान के रूप में सामने आया उसका वास्तविक चेहरा फिर से बदलता जा रहा है। स्थान था जेएनयू, आरोप था देशविरोधी नारे, नारे लगाने वाला था उमर खालिद, साथ देने वाला था कन्हैया कुमार, इस बीच काले कोट से लेकर पक्षकार, अंधेरेबाज सबने अपना अपना किरदार बखूबी अदा किया। पर कौन कितना हिट हुआ इसे समझना अभी भी टेढ़ी खीर बना हुआ है। जनता का मानना है कि इस मुद्दे ने भारत को दो विचारधाराओं में लाकर खड़ा कर दिया है। जो कि काफी चिंताजनक बात है।