पॉलिटिक्स के लिहाज से ममता बनर्जी के नाम रहा साल 2021, बंगाल में उनकी जीत को लिखा जाएगा सुनहरे अक्षरों से
नई दिल्ली, दिसंबर 18। आने वाले कुछ दिनों में साल 2021 भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा और इस साल घटित हुई कुछ बड़ी घटनाएं भी उन्हीं पन्नों में कैद हो जाएंगी। राजनीतिक दृष्टिकोण से 2021 काफी महत्वपूर्ण साल था, क्योंकि इस साल के अंदर देश ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखा। 2021 में केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन इनमें से बंगाल ने जो लाइमलाइट लूटी वो शायद आने वाले समय में किसी और राज्य में देखने को मिले। राजनीतिक इतिहास की नजर से 2021 में ममता बनर्जी की जीत को सुनहरे अक्षरों से लिखा जाएगा।

बंगाल में जीत से बढ़ा ममता बनर्जी का कद
कहना गलत नहीं होगा कि 2021 में सबसे बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का चुनाव जीतना था, क्योंकि बंगाल में टीएमसी की विरोधी भारतीय जनता पार्टी थी, जिसने बंगाल में चुनाव की तैयारी कई साल पहले से कर दी थी। चुनावी माहौल भी एकदम ऐसा बन गया था कि पश्चिम बंगाल में भाजपा इसबार जरूर सरकार बना लेगी, लेकिन जो नतीजे आए, उन्होंने ममता बनर्जी के कद को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया।

मोदी-शाह की जोड़ी को परास्त किया ममता ने
पश्चिम बंगाल की चुनावी लड़ाई आधुनिक समय की असली 'महाभारत' साबित हुई। बंगाल चुनाव को उस वक्त 'बंगाल का कुरुक्षेत्र' कहा जाने लगा था, जिसमें एक तरफ तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा राजनाथ सिंह जैसे तमाम दिग्गज नेता थे तो वहीं दूसरी तरफ ममता बनर्जी अकेले ही टीएमसी का नेतृत्व कर रही थीं। इस लड़ाई में ममता के कई अपनों जैसे सुवेंदु अधिकारी जैसे नेताओं ने भी साथ छोड़ दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी ममता ने बंगाल के अंदर फतह हासिल की और लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बन गईं।

ममता ने बंगाल में कैसे बदल दी थी चुनावी हवा?
ममता बनर्जी के लिए यह जीत बिल्कुल भी आसान नहीं थी, क्योंकि बंगाल के अंदर चुनावी हवा बीजेपी के भी पक्ष में थी। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2016 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 1 सीट जीतने वाली भाजपा ने 2021 के चुनाव में 77 सीटों पर जीत हासिल की। भले ही भाजपा ने 1 से लेकर 77 सीटों तक का सफर हासिल कर लिया हो लेकिन जीत का ताज तो ममता बनर्जी के सिर ही सजा था। ममता बनर्जी ने चुनाव प्रचार के दौरान अकेले ही मोदी-शाह की जोड़ी से मुकाबला किया था। प्रचार के दौरान उन्हें चोट भी लगी और वो पूरे चुनाव में व्हीलचेयर पर घूम-घूम कर पार्टी का प्रचार करती रहीं। कहीं ना कहीं ममता बनर्जी को उस हादसे का फायदा हुआ और उन्हें चुनाव में जीत मिली।