वो महिलाएं जो प्रेगनेंट होते हुए भी हुईं कामयाब, कोई IPS बना तो किसी ने जीता ओलम्पिक गोल्ड मेडल
Flashback-2020: मातृ शक्ति मानव जीवन का मूल आधार है। कोई भी मनुष्य ताउम्र अपनी मां के दूध और खून का कर्ज नहीं उतार सकता। सृष्टि की रचना के लिए स्त्री प्रसव की असीम वेदना से गुजरती है। इस वेदना में मातृत्व का परम सुख भी निहित है। आमतौर पर किसी गर्भवती महिला को आराम से रहने की सलाह दी जाती है। लेकिन इन नाजुक पलों में अगर वह अपनी मेहनत और हिम्मत से कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर ले तो उसके आत्मबल की प्रशंसा लाजिमी है। नारी शक्ति के इस रूप को नमन। हाल ही में बेंगलुरु की सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंकिता गौर ने गर्भवती होने के बावजूद 10 किलोमीटर दौड़ की प्रतियोगिता 62 मिनट में पूरी की। यह उपलब्धि उनकी आंतरिक शक्ति का उच्चतम प्रदर्शन है। ऐसी विशिष्ट महिलाओं की कई कहानियां हैं। उत्तर प्रदेश की प्रज्ञा जैन गर्भवती होने की वजह से जब बैठ भी नहीं पा रही तब वे यूपीएससी का इंटरव्यू दे कर आइपीएस के लिए चुनी गयी थीं। इसी तरह अमेरिकी खिलाड़ी केरी वॉल्श जेनिंग्स ने गर्भवती होने के बावजूद लंदन ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीता था।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंकिता गौर
हाल ही में बेंगलुरू में टीसीएस विश्व 10 किलोमीटर दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। यह प्रतियोगिता का तेरहवां संस्करण था। सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंकिता गौर पिछले छह साल से इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेती रही थीं। इस बार भी शामिल हुईं। लेकिन इस बार उनका दौड़ में शामिल होना एक बड़ा फैसला था। 35 साल की अंकिता पांच महीने की गर्भवती थीं। उनकी शारीरिक बनावट में तब्दीली आ गयी थी। उनके पति सलाह के लिए उन्हें डॉक्टर के पास ले गये। डॉक्टर ने अंकिता को स्वस्थ और फिट बताया लेकिन धीरे-धीरे दौड़ने की हिदायत दी। फिर फिजियोथेरेपिस्ट ने उन्हें ऑब्जर्ब किया। जब उसने मंजूरी दे दी तो वे दौड़ में शामिल हुईं। उनकी मां उनको लेकर फिक्रमंद थीं लेकिन खिलाड़ी रहे उनके पिता ने हौसला बढ़ाया। बढ़े हुए वजन और बेबी बम्प के साथ 10 किलोमीटर दौड़ना आसान नहीं था। लेकिन उन्होंने ये दौड़ एक घंटे 2 मिनट में पूरी कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया। सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में उन पर काम का बोझ अधिक रहता है। इसके बाद भी दौड़ के लिए समय निकाल लेती हैं। वे अंतर्राष्ट्री मैराथन प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा ले चुकी हैं।
IPS डॉ. प्रज्ञा जैन
उत्तर प्रदेश की रहने वाली डॉ. प्रज्ञा जैन भी एक प्रेरणादायी शख्सियत हैं। उन्होंने 2016 में बहुत ही मुश्किल परिस्थितियों में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी और आइपीएस के लिए चुनी गयीं थीं। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत की रहने वाली प्रज्ञा जैन पहले होमियोपैथिक डॉक्टर थीं। पहले बड़ौत में क्लीनिक चलाती थीं। 2012 में शादी हो गयी तो पति के साथ दिल्ली रहने लगीं और वहीं क्लीनिक खोल ली। इनके पति विनीत जैन बैंक अधिकारी हैं। फिर उनके मन में यूपीएससी परीक्षा देने का विचार आया। 2014 में दो नम्बरों से मुख्य परीक्षा पास करने से चूक गयीं। 2015 में में पीटी परीक्षा ही नहीं पास कर पायीं। उम्र सीमा के कारण 2016 में उनके पास आखिरी मौका था। इस बार उन्होंने पूरी मेहनत के साथ तैयारी की। परीक्षा के दौरान ही पता चला कि वे मां बनने वाली हैं। फिर उन्होंने होने वाले बच्चे को लक्की चार्म मान कर तैयारी तेज कर दी। प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास कर ली। जब इंटरव्यू का समय आया तो उनके मां बनने का समय नजदीक आ गया था। इंटरव्यू के लिए जब यूपीएसपी के दफ्तर पहुंची तों वे ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थीं। उन्होंने यूपीएससी से अपना इंटव्यू पहले लिये जाने की गुजारिश की। उनका पहले इंटरव्यू हुआ। असुविधा के बीच ही उन्होंने सवालों के जवाब दिये। इसके दो हफ्ते बाद वे एक पुत्री की मां बनीं। जब फाइनल रिजल्ट निकला तो प्रज्ञा भारतीय पुलिस सेवा के लिए चुन लीं गयीं।
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गोल्डमेडलिस्ट केरी वॉल्श जेनिंग्स
केरी वॉल्श जेनिंग्स अमेरिकी की बीच बॉलीबॉल खिलाड़ी रही हैं। उन्होंने ओलम्पिक खेलों में लगातार तीन स्वर्ण पदक जीते हैं। एक कांस्य पदक भी उनके नाम रहा है। उन्होंने 2012 के लंदन ओलम्पिक में जब अपना तीसरा स्वर्ण पदक जीता था तब वे पांच महीने की गर्भवती थीं। बाद में जिनिंग्स ने कहा था, ओलम्पिक खेलों के दौरान उनके शरीर ने संकेत देने शुरू कर दिये थे। उस समय वे 34 साल की थीं और एक बार उनका गर्भपात हो चुका था। ओलम्पिक खेलों का अपना तनाव होता है। उन्हे कुछ अच्छा महसूस नहीं हो रहा था। लेकिन इसके बाद भी मैने पूरी क्षमता से खेलने का फैसला किया। केरी अपनी जोड़ीदार मिस्टी मे ट्रेनोर के साथ मिल कर शानदार खेल दिखाया और बीच बॉलबॉल स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 2004, 2008 के ओलम्पिक में भी सोने का तमगा जीता था।
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