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2020 के इन Innovations ने लोगों की जिंदगी को बनाया आसान, कोरोना से लड़ाई में भी बने मददगार

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नई दिल्ली। Innovations 2020: साल 2020 में कोरोना वायरस महामारी ने कई लोगों की जिंदगियां छीन उनके परिजनों को गहरे घाव दिए हैं। मुश्किलों से भरे इस साल में कई लोगों ने अपनी काबिलियत और ज्ञान से नए-नए इनोवेशन कर देश-दुनिया का ध्‍यान खींचा। इनमें से कुछ आविष्कार कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ लड़ाई में मददगार साबित हुए तो कुछ इनोवेशन ने लोगों की जिंदगी को आसान बना दिया। आज हम आपको मुश्किलों भरे साल 2020 (flashback 2020) में देश के होनहारों द्वारा बनाए गए कुछ इनोवेशन के बार में बताने जा रहे हैं।

कोरोना काल में बड़े काम आया को-बोट

कोरोना काल में बड़े काम आया को-बोट

रांची के पश्चिम सिंहभूम जिले में को-बोट (Co-boat) का इनोवेशन कर तत्कालीन डीडीसी आदित्य रंजन ने कोरोना काल में संक्रमण से बचाने में काफी योगदान दिया। को-बोट एक रोबोटिक टेबल है जिसे रिमोट के जरिए ऑपरेट किया जाता है। इसका इस्तेमाल अस्पतालों में संक्रमित लोगों तक दवा, खाना समेत अन्य जरूरी सामान पहुंचाने स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा किया जाता था। इस मशीन की मदद से स्वास्थ्य कर्मी वार्ड के बाहर रहते हुए मरीजों तक जरूरी सामान पहुंचा सकते थे।

सैनिटाइजर चेंबर

सैनिटाइजर चेंबर

उत्कर्ष बर्मन और हिमांशु जायसवाल नाम के दो इंजीनियर दोस्तों ने एक ऐसा इनोवेशन किया जिसके लिए उनकी आज भी तारीफ की जा रही है। उत्कर्ष बर्मन और हिमांशु जायसवाल ने अपनी जुगाड़ और तकनीक का इस्तेमाल करते हुए सैनिटाइजर चेंबर बनाया। इस चेंबर में सेंसर, माइक्रोकंट्रोलर आदि उपकरण भी लगाए गए थे। उत्कर्ष और हिमांशु नेडब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार इसमें केमिकल डालने की भी सुविधा दी, इस चेंबर के इस्तेमाल से कोई भी शख्स 8 से 10 सेकंड में सैनिटाइज हो सकता है।

ट्रक की बैटरी से लेकर मोबाइल तक चार्ज कर सकता है ये चार्जर

ट्रक की बैटरी से लेकर मोबाइल तक चार्ज कर सकता है ये चार्जर

आइटी इंजीनियर उज्ज्वल चौबे ने एक ऐसा चार्जर बनाकर सभी को चौंका दिया जो ट्रक की बैटरी से लेकर मोबाइल की बैटरी तक चार्ज कर सकता है। उज्ज्वल द्वारा तैयार किए गए चार्जर को कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट, डिजाइन व ट्रेड मार्क से मान्यता मिल गई है। आपको जानकर हैरानी होगी कि उज्ज्वल चौबे ने कोरोना वायरस मरीजों में संक्रमण का पता लगाने के लिए आॢटफिशिल इंटेलिजेंस तकनीक पर आधारित एक्सरे मशीन भी तैयार की है।

इस वार्ड में नहीं हो सकता संक्रमण

इस वार्ड में नहीं हो सकता संक्रमण

आइआइटी आइएसएम के प्रो. केके सिंह एक ऐसा वार्ड बनाने पर काम कर रहे हैं जिसमें कोई भी संक्रमण नहीं हो सकता। इस वार्ड को तैयार होने में अभी आठ महीने का समय लगेगा। केबिन की शक्ल में बन रहे इस वार्ड की खासियत होगी कि इसमें रखे गए सक्रमित मरीज संक्रमण नहीं फैला सकेंगे। इससे चिकित्सक या नर्स संक्रमण से बचते हुए मरीजों का इलाज कर सकेंगे।

जिंदगी बचाने वाला वेंटिलेटर

जिंदगी बचाने वाला वेंटिलेटर

आइआइटी आइएसम के प्रो. एआर दीक्षित ने एक ऐसा वेंटिलेटर बनाया है जिसके उपयोग से एक साथ 4 लोगों की जिंदगी बचाई जा सकेगी। इस प्रोटोटाइप वेंटि‍लेटर का मॉडल तैयार कर आइआइटी आइएसएम ने शहीद निर्मल महतो मेडिलक कॉलेज व अस्पताल को दिया है। वर्तमान में भी संस्थान इस वेंटि‍लेटर को कम लागत में बना रहा है।

रेनकोट को ही बनाया बचाव का हथियार

रेनकोट को ही बनाया बचाव का हथियार

कोरोना वायरस महामारी से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट की बहुत जरूरत होती है। कोरोना वायरस के आने के दौरान कई राज्यों में यह उपलब्ध नहीं थे जिससे संदिग्ध लोगों की जांच के दौरान संक्रमित होने का डर था। इस समस्या से निपटने के लिए तत्कालीन डीसी उमेश प्रताप सिंह ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत रेनकोट को ही पहनने की सलाह दी। उस दौरान चुरचू प्रखंड के डाक्टर व स्वास्थ्य कर्मचारियों ने इसका खूब इस्तेमाल किया।

यह भी पढ़ें: राजधानी में कोरोना के केस घटे, एक हजार वैक्सीन सेंटर तैयार कर रही है Delhi Government: सत्येंद्र जैन

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English summary
flashback 2020 These innovations made peoples lives easier also became helpful in Coronavirus crisis
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