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केदारनाथ आपदा: जब साधु के वेश में बैठे शैतानों ने मानवता को किया शर्मसार

पांच साल पहले आज ही के दिन उत्तराखंड की पहाड़ियों में बारिश कहर बनकर टूटी थी। 16 जून, 2013 को उत्तराखंड में बादल फटने और भारी बारिश ने हमेशा-हमेशा के लिए प्रदेश के हालात बदल दिए। केदारनाथ त्रासदी सुनामी के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा थी।

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Kedarnath Temple

नई दिल्ली। पांच साल पहले आज ही के दिन उत्तराखंड की पहाड़ियों में बारिश कहर बनकर टूटी थी। 16 जून, 2013 को उत्तराखंड में बादल फटने और भारी बारिश ने हमेशा-हमेशा के लिए प्रदेश के हालात बदल दिए। केदारनाथ त्रासदी सुनामी के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा थी। पांच हजार से ज्यादा लोगों ने इस त्रासदी में अपनी जान गंवा दी और हजारों तो ऐसे हैं जिनका आज पांच साल बाद भी कोई अता-पता नहीं है। केदारनाथ त्रासदी में सेना से लेकर वायुसेना तक को राहत के लिए आना पड़ा था। स्थानीय लोगों ने भी बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए हरसंभव कोशिश की थी लेकिन इस आपदा में खुद को भगवान के सबसे बड़े भक्त बताने वाले साधु ही शैतान बन गए थे। ये उस भयानक त्रासदी का एक दर्दनाक किस्सा है।

सुनामी के बाद थी दूसरी सबसे बड़ी आपदा

सुनामी के बाद थी दूसरी सबसे बड़ी आपदा

पांच साल पहले केदारनाथ में जब कुदरत का कहर बरसा तो सब तहस-नहस हो गया था। जीवनदायिनी कही जाने वाली गंगा मौत का मंजर अपने साथ बहा कर ले जा रही थी। न जाने कितनी लाशें अलग-अलग शहरों में गंगा से निकाली गईं। उत्तराखंड के हालात इतने बद्तर हो गए थे कि सेना और वायुसेना को राहत कार्य के लिए आना पड़ा था। कई दिनों तक सेना, वायुसेना, जलसेना, आईटीबीपी, बीएसएफ और एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य में लगी रहीं। इस दर्दनाक हादसे में हर किसी ने संभव मदद की कोशिश की लेकिन..

जब साधुओं ने शर्मसार की इंसानियत

जब साधुओं ने शर्मसार की इंसानियत

भगवान को अपनी जिंदगी नाम कर देने वाले साधुओं की हरकत ने मानवता को भी शर्मसार कर दिया। ऐसी स्थिति में जब हर कोई किसी तरह से मदद करने का प्रयास कर रहा था, तब इन ढोंगी बाबाओं का असली रूप लोगों के सामने आया। त्रासदी से मची तबाही से केदारनाथ में लाशों का डेरा लग गया था, तब ये साधु उन लाशों से जेवर और पैसे निकालने में व्यस्त थे। इन साधुओं ने इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया था।

लाशों की उंगलियां तक काट ली थीं

लाशों की उंगलियां तक काट ली थीं

लाशों के ढेर में से ये ढोंगी साधु पैसे और गहने चुराकर अपनी जेब भरने में व्यस्त थे। और तो और, कई साधु तो नीचता कि इस हद पर उतर आए थे कि गहने चुराने के लिए वो लाशों की उंगली काटने से भी नहीं रुके। इन साधुओं ने मृत लाशों से गहने, जेवर और पैसे सबकुछ चुरा लिया था। इस घटना ने साबित कर दिया कि भगवा चोगा ओढ़ लेने से कोई भगवान का सच्चा भक्त नहीं बन जाता। इसके लिए मन में दया और सहानुभूति की भावना बेहद जरूरी है।

अब तक लापता हैं लोग!

अब तक लापता हैं लोग!

उत्तराखंड आज भी पांच साल पहले आई बाढ़ की चोट से उबर रहा है। पांच साल पहले 14 से 17 जून के बीच इस पहाड़ी राज्य में मेघ खूब जोर से बरसे थे। उस दौरान बारिश अपने अनुमान से कई गुना ज्यादा हुई थी, जिससे चोराबरी ग्लेशियर पिघल गया था। ग्लेशियर पिघलने से मंदाकिनी नदी उफान पर आ गई थी और फिर पूरे राज्य में तबाही मचा दी थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस तबाही में पांच हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, वहीं कई ऐसे हैं जिनका अब तक कोई अता पता नहीं है। सेना और वायु सेना ने मिलकर सवा लाख लोगों को बाढ़ से निकाला था। इस त्रासदी से उबरने के लिए उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा को अगले दो साल के लिए बंद भी कर दिया गया था।

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English summary
Fiver Years Of Kedarnath Tragedy: How Shameless Sadhu Stole Jewellery And Cash From Dead Bodies.
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