क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

योगी सरकार के पांच वादे, कितने पूरे कितने अधूरे?

विधानसभा में भारी बहुमत के साथ जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाई.

जोश और उत्साह से लबरेज़ सरकार ने शपथ लेने के साथ ही घोषणापत्र में किए गए तमाम वादों की समय सीमा तय कर दी.

पहले 100 दिन का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखने का वादा किया था और रिपोर्ट कार्ड रखा भी था

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
योगी आदित्यनाथ
Getty Images
योगी आदित्यनाथ

विधानसभा में भारी बहुमत के साथ जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाई.

जोश और उत्साह से लबरेज़ सरकार ने शपथ लेने के साथ ही घोषणापत्र में किए गए तमाम वादों की समय सीमा तय कर दी.

पहले 100 दिन का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखने का वादा किया था और रिपोर्ट कार्ड रखा भी था, लेकिन किए गए वादों पर पूरी तरह से अमल होने के एक साल बाद भी इंतज़ार है.

क़ानून-व्यवस्था

क़ानून व्यवस्था एक ऐसा मुद्दा था जिस पर भारतीय जनता पार्टी पिछली सरकार को हर समय कटघरे में खड़ा करती थी. घोषणापत्र में पार्टी ने वादा किया था कि सरकार बनते ही इसे नियंत्रित कर लिया जाएगा.

सांकेतिक तस्वीर
Getty Images
सांकेतिक तस्वीर

लेकिन पिछले एक साल में क़ानून व्यवस्था को लेकर न सिर्फ़ बारबार सवाल उठे हैं बल्कि इस मुद्दे पर सरकार की विधानसभा में भी कई बार किरकिरी हुई है.

हालांकि राज्य सरकार सैकड़ों मुठभेड़ के आँकड़े पेश करके अपनी पीठ थपथपाती है और ख़ुद मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि अपराधी अब राज्य की सीमा से या तो बाहर जा रहे हैं या फिर जेल जा रहे हैं. लेकिन लूट, डकैती, हत्या, बलात्कार जैसे संगीन अपराध राज्य के हर कोने से आए दिन होते रहते हैं और सरकार के दावों पर सवाल उठाते रहते हैं.

एंटी रोमियो स्क्वॉयड

बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र के इस वादे को अधिकारियों ने सरकार की घोषणा से पहले ही लागू कर दिया और देखते ही देखते ये चर्चा का विषय बन गया.

योगी के समर्थक
Getty Images
योगी के समर्थक

लेकिन एंटी रोमियो स्क्वॉयड के नाम पर युवक-युवतियों को जगह-जगह से परेशान करने की घटनाएं सामने आने लगीं और देखते ही देखते ये एंटी रोमियो स्क्वॉयड कब परिदृश्य से बाहर चले गए पता ही नहीं चला.

हालांकि लखनऊ में 1090 से जुड़े पुलिस महानिरीक्षक नवनीत सिकेरा ने कुछ दिन पहले बीबीसी से बातचीत में बताया था कि एंटी रोमियो स्क्वॉयड नई योजना और नई तैयारी के साथ दोबारा निकलेंगे, लेकिन अभी तक ये दूर-दूर तक नहीं दिख रहे हैं.

आलम यह है कि लखनऊ के तमाम महिला कॉलेजों या स्कूलों के बाहर तो कई छात्राएं यहां तक कहती हैं कि उन्होंने ऐसे एंटी रोमियो स्क्वॉयड कभी देखे ही नहीं हैं.

किसान क़र्ज़ माफ़ी

सांकेतिक तस्वीर
Getty Images
सांकेतिक तस्वीर

किसानों की कर्ज़माफ़ी का वादा न सिर्फ़ बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र में किया गया था बल्कि ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभाओं में कहा था, "शपथ लेने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में किसानों का कर्ज़ माफ़ किया जाएगा."

राज्य सरकार ने अपने इस वादे को निभाया ज़रूर और तब तक कैबिनेट की पहली बैठक नहीं हुई जब तक कि इस योजना पर अंतिम मुहर नहीं लग गई.

सरकार ने किसानों के 36 हज़ार करोड़ रुपए के क़र्ज़ माफ़ करने की घोषणा ज़रूर की लेकिन इस योजना की चर्चा कर्ज़ माफ़ी को लेकर नहीं बल्कि माफ़ी के तौर पर दो रुपए, पांच रुपए, अस्सी पैसे, डेढ़ रुपए जैसी राशियों के कर्ज़े माफ़ करने को लेकर ज़्यादा रही.

योगी ने अपनी ही पहचान को धुमिल कर लिया!

गोरखपुर में योगी हार गए या 'हरवा' दिए गए?

अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई

बीजेपी का एक बड़ा चुनावी वादा था यूपी में अवैध बूचड़खानों को बंद कराने का. सरकार बनते ही राजधानी लखनऊ समेत तमाम जगहों पर बूचड़खानों पर छापे पड़े और अवैध तरीक़े से बूचड़खाने और मांस की दुकानें बंद कराई गईं. उन दुकानों को भी बंद कराया गया जिनके लाइसेंस तकनीकी दिक़्क़तों को चलते नवीनीकृत नहीं हो पाए थे.

सरकार की इस कार्रवाई के बाद मीट कारोबारियों की हड़ताल भी हुई, लेकिन सरकार ने साफ़ कर दिया कि बूचड़खानों पर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के फैसलों को लागू किया जाएगा.

हालांकि सरकार ने लाइसेंसों को नवीनीकरण की प्रक्रिया शुरू करने की बात की थी लेकिन अभी तक उस पर अमल नहीं हुआ है. जहां तक अवैध बूचड़खानों और मीट की दुकानों की बात है तो छिपे तौर पर ये अभी भी चल रहे हैं.

24 घंटे बिजली और गड्ढामुक्त सड़कें

बीजेपी के चुनावी वादों में 24 घंटे बिजली देने का वादा भी बेहद सबसे अहम था. सत्ता में आते ही योगी सरकार ने इसके लिए तेज़ी से क़दम उठाया और तय हुआ कि शहरों में 24 घंटे और गांवों में 18 घंटे बिजली दी जाएगी. बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए और भी कई कदम उठाए गए.

लेकिन आलम यह है कि राज्य भर के लोगों को बिजली कटौती की समस्या से गुजरना पड़ रहा है. कई ज़िले तो ऐसे हैं जहां घंटों बिजली नहीं आती और ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफॉर्मर ख़राब होने पर गांव वालों को हफ़्तों बिना बिजली के रहना पड़ता है.

सरकार ने सौ दिन के भीतर सभी सड़कों को गड्ढामुक्त करने का लक्ष्य तय किया था. कुछ सड़कों के गड्ढ़े भरे भी गए लेकिन एक साल के भीतर स्थिति ये है कि जिन सड़कों के गड्ढ़े भरे गए थे उनमें फिर गड्ढ़े हो गए.

हालांकि राज्य सरकार का दावा है कि उसने पहले सौ दिन का, फिर छह महीने का और उसके बाद एक साल का जो एजेंडा तय किया था, उसे काफ़ी हद तक पूरा किया है.

सांकेतिक तस्वीर
Getty Images
सांकेतिक तस्वीर

राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा बीबीसी से बातचीत में कहते हैं,

"हमारी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि तो यही है कि पहली बार किसी सरकार ने सौ दिन के काम का लेखा-जोखा जनता के सामने रखने का लक्ष्य तय किया. जिन क्षेत्रों के लिए लक्ष्य तय किया गया था उसे पूरा कर लिया गया है. जो कुछ थोड़ा बहुत बचा है उन्हें भी पूरा कर लेंगे."

श्रीकांत शर्मा ऊर्जा मंत्री भी हैं और दावा करते हैं कि घोषणा पत्र के वादे के मुताबिक गांवों को 18 घंटे और शहरों को 24 घंटे बिजली दे रहे हैं. लेकिन न सिर्फ़ विपक्षी दल बल्कि आम नागरिक भी इन दावों से इत्तेफाक़ नहीं रखते. हालांकि ग्रामीण इलाक़ों में बिजली व्यवस्था सुधरने की बात कई लोग कर रहे हैं.

लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान कहते हैं, "सरकार को ये समझना होगा कि पिछली सरकार को कोसने भर से काम नहीं चलेगा बल्कि कुछ करके दिखाना होगा. कुछ करने की तो छोड़ दीजिए, सरकार ने एक वादा ये भी किया था कि पिछली सरकार के कार्यों की जांच कराई जाएगी. जांच का ढिंढोरा पीटा भी गया लेकिन अभी तक गोमती रिवर फ्रंट से लेकर अवैध खनन तक एक भी मामले की जांच में सरकार कोई बहुत सार्थक कदम नहीं उठा पाई है."

शरद प्रधान कहते हैं कि सरकार ने कर्ज़ माफ़ी का फ़ैसला चुनावी वादे के दबाव में ले तो लिया लेकिन केंद्र सरकार से मदद ने मिलने के कारण उसे अमल में लाने का तरीक़ा नहीं जुटा पा रही है क्योंकि इतनी बड़ी धनराशि के इंतज़ाम की कोई योजना नहीं बनाई गई है.

वहीं विपक्षी दल तो सीधे तौर पर कह रहे हैं कि सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हुई है. समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता उदयवीर सिंह कहते हैं, "क़ानून व्यवस्था से लेकर किसानों, छात्रों, रोज़गार हर मोर्चे पर सरकार असफल रही है. सरकार ने सिर्फ़ काम का ढिंढोरा पीटा है, कुछ किया नहीं है. कुछ किया ही होता तो गोरखपुर और फूलपुर में उसे इतनी करारी हार का सामना न करना पड़ता."

योगी का 'आत्मविश्वास' डिगा, अखिलेश का बढ़ा

गोरखपुर दंगा: नहीं चलेगा योगी के ख़िलाफ़ कोई मुक़दमा

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Five promises of Yogi Sarkar either how many complete or incomplete
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X