27 साल बाद फिर अशांत क्षेत्र घोषित हुआ असम, अफस्पा के आदेश जारी
दिसपुर। 1990 के बाद पहली बार असम को अशांत राज्य घोषित किया गया है। 27 साल बाद पहली बार, सर्बानंद सोनोवाल की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने छह महीने की अवधि के लिए पूरे राज्य को 'अशांत' घोषित करके विवादित सशस्त्र बल (विशेष शक्तियों) अधिनियम के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग किया। आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि शुक्रवार (1 अगस्त) से प्रभावित अधिसूचना राज्य गृह और राजनीतिक विभाग द्वारा जारी की गई थी। आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि 1958 के एएफएसपीए के तहत असम को अशांत राज्य घोषित किया जाता है। अपस्फा 1958 के अनुसार इसें पहले भी वापस लिया जा सकता है।
अशांत क्षेत्रों में तैनात सुरक्षा बलों को बिना किसी वॉरंट के गिरफ्तारी, तलाशी लेने और यहां तक कि किसी को गोली मारने का अधिकार है। अपस्फा की धारा 3 के अनुसार, उन स्थानों पर इसका उपयोग किया जा सकता है जहां 'सशस्त्र बलों का इस्तेमाल आवश्यक है'। दोनों केंद्र और राज्य सरकार अधिनियम के तहत किसी भी क्षेत्र को 'अशांत' घोषित कर सकती हैं।
1990 में असम को अपस्फा के तहत पहली बार 'अशांत' क्षेत्र घोषित किया गया था, जब राज्य में प्रतिबंधित विद्रोही संगठन उल्फा के द्वारा बड़े पैमाने पर हिंसा का की थी। इसके बाद प्रफुल्ल कुमार महंत की अगुवाई वाली वाली तत्कालीन असम गण परिषद सरकार को खारिज करने के बाद राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने नई दिल्ली में कहा था कि 2016 में असम में 75 हिंसा की घटनाएं हुईं, जिसमें चार सुरक्षाकर्मियों सहित 33 लोग मारे गए थे और 14 अन्य लोगों को अपहरण कर लिया गया था। आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि असम में उल्फा, एनडीएफबी और अन्य जैसे विद्रोही समूहों द्वारा हिंसा हुई थी।