क्या पूरी तरह से ठप हो जाएगी तेजस एक्सप्रेस, फुस्स हो सकता है रेलवे के निजीकरण का पहला दांव
नई दिल्ली। पिछले वर्ष 4 अक्टूबर को शुरू हुई देश की पहली निजी एक्सप्रेस तेजस एक्सप्रेस पर ब्रेक लग सकता है। वजह महामारी है और महामारी में सवारियों की कमी को कहा जा सकता है। यह पहली बार था जब भारतीय रेलवे ने रेलवे के निजीकरण की दिशा में कदम उठाते हुए रेलवे के उपक्रम आईआरसीटीसी को लखनऊ से दिल्ली और फिर दिल्ली से लखनऊ को पहले तेजस एक्सप्रेस ट्रेन के परिचालन का काम सौंपा था। यह प्रयोग सफल रहा था तो गत 19 जनवरी को अहमदाबाद-मुंबई- अहमदाबाद तेजस एक्सप्रेस का परिचालन शुरू किया गया था।
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महामारी तेजस एक्सप्रेस का परिचालन ठप कराने में बड़ी भूमिका निभाई
दरअसल, कोरोना महामारी ने ही तेजस एक्सप्रेस के परिचालन को ठप करने में निर्णायक भूमिका निभाई है, क्योंकि महामारी से पहले शुरू हुई देश की पहली निजी रेल सेवा को लोगों ने हाथों-हाथ लिया था, लेकिन महामारी ने उसके बढ़ते कदम में न केवल रोक लगा दी है, बल्कि संभावना बढ़ती जा रही है कि आईआरसीटीसी आमदनी से अधिक खर्च और सवारियों की कमी का हवाला देकर परिचालन से हाथ खींच ले।
महामारी की शुरूआत के बाद से करीब 7 महीने तक निलंबित रही तेजस
गौरतलब है कोरोना महामारी की शुरूआत के बाद से करीब 7 महीने तक निलंबित रही तेजस एक्सप्रेस को गत 17 अक्टूबर को एक बार फिर शुरू किया गया था, लेकिन ट्रेन में सवारियों के टोटे के चलते आगामी 23 नंवबर से अगले आदेश तक तेजस एक्सप्रेस को कैंसिल कर दिया गया है। बताया जाता है कि महामारी से पहले कोविड में तेजस एक्सप्रेस में औसतन 50-80 फीसदी सीटें बुक हो जाती थी, लेकिन वर्तमान में यह घटकरर 25 फीसदी हो गई है।
तेजस एक्सप्रेस आगामी 23 नवंबर से अगले आदेश तक नहीं चलेगी
फिलहाल, आईआरसीटीसी ही इस समय देश की पहली निजी ट्रेन चलाने वाली कंपनी है। रेल मंत्रालय का सार्वजनिक उपक्रम आईआरसीटीसी के प्रवक्ता के मुताबिक नई दिल्ली से लखनऊ के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस आगाम 23 नवंबर से अगले आदेश तक नहीं चलेगी। इसी तरह मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस आगामी 24 नवंबर तक नहीं चलेगी।
सवारियों की कमी को देखते हुए तेजस के परिचालन के ठप हो सकता है
रिपोर्ट के मुताबिक तेजस एक्सप्रेस में सवारियों की कमी को देखते हुए इसके परिचालन के ठप भी किया जा सकता है। हालांकि दिवाली के आसपास तेजस एक्सप्रेस में सीटों की बुंकिंग का औसत बेहतर हो गया था, लेकिन उसके बाद से सवारियों का टोटा चल रहा है, जिसकी प्रमुख वजह राजधानी दिल्ली और मुंबई में कोरोना महामारी के दूसरे दौर को माना जा सकता हैं, क्योंकि दोनों ही महानगरों में लगातार नए मामले सामने आ रहे हैं, जिससे लॉकडाउन दोबारा लगाने पर राज्य सरकारें विचाररत हैं।
बढ़ते खर्च और सवारियों की कमी के चलते IRCTC रद्द किया परिचालन
शायद यही कारण है कि सवारियों की कमी के चलते और बढ़ते खर्च को देखते हुए आईआरसीटीसी प्रबंधन ने तेजस एक्सप्रेस ट्रनों के सभी प्रस्थान रद्द करने का फैसला किया है। इससे पहले, 19 मार्च को प्रबंधन ने तेजस एक्सप्रेस के परिचालन को बंद कर दिया था और उसके बाद भारत में लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद तेजस एक्सप्रेस के पूरे सात महीने तक यार्ड में ही खड़ा रहना पड़ा, जिससे प्रबंधन का काफी नुकसान झेलना पड़ा है।
लॉकडाउन के बाद मुनाफे का सौदा नहीं रह गया है तेजस एक्सप्रेस
हालांकि लॉकडाउन में छूट और रेल सेवाओं के परिचालन में मिली छूट के बाद जब दोबारा तेजस एक्सप्रेस को शुरू किया गया तो आईआरसीटीसी प्रबंधन के लिए तेजस एक्सप्रेस का परिचालन मुनाफे का सौदे नहीं रह गया था। वजह साफ थी, सवारियां कोरोना संक्रमण के डर से घर से कम निकलने लगे थे और जो लोग निकलते भी थे, वो सार्वजनिक परिवहन की बजाय निजी परिवहन को तवज्जों देने लगे।
महामारी के बाद तेजस का परिचालन आमदनी कम खर्चा ज्यादा हो गया
परिणाम स्वरूप में आईआरसीटीसी के लिए तेजस एक्सप्रेस का परिचालन मुनाफे से घाटे के सौदे में तब्दील होने लग गया। आईआरसीटीसी के अधिकारी के मुताबिक महामारी के बाद तेजस एक्सप्रेस का परिचालन आमदनी कम खर्चा ज्यादा हो गया था। उनके मुताबिक ट्रेन को एक दिन चलाने का खर्च 15 से 16 लाख रुपए आता है, जबकि इस पूरे दिन में 758 सीटों वाले ट्रेन में 50-60 पैसेंजर की बुकिंग हो रही है, जिससे रोजाना ट्रेन के परिचालन से प्रबंधन को महज 50-60 हजार रुपए की आमदनी हो रही है और प्रबंधन को ट्रेन के परिचालन के लिए प्रतिदिन 95-96 फीसदी पूंजी अपने जेब से भरनी पड़ रही है।
महामारी के दौरान सवारियों आकर्षित करने के लिए भरसक कोशिश की
वैसे, आईआरसीटीसी प्रबंधन ने महामारी के दौरान तेजस एक्सप्रेस में सवारियों आकर्षित करने के लिए भरसक कोशिश की और ट्रेन में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए सवारियों की सुविधा के लिए सारे जतन कर लिए, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहे। ट्रेन में सवारियों की संख्या त्योहारी सीजन को छोड़कर बेहद कम रहा। चूंकि तेजस एक्सप्रेस एक लग्जरी ट्रेन है इसलिए कम सवारी मिलना लाजिमी भी है, क्योंकि यही हाल रेलवे की शताब्दी, एसी एक्सप्रेस और अन्य ट्रेन का है।
प्रबंधन ने सवारियों को आकर्षित करने के लिए कई नई सेवाएं शुरू की
इस दौरान आईआरसीटीसी प्रबंधन ने तेजस में सवारियों को आकर्षित करने के लिए कॉम्पलीमेंट्री फूड, 10 लाख रुपए का मुफ्त बीमा, खाने की टिफिन में फ्रूट देना शुरू किया, लेकिन पैसेंजर फिर भी नहीं मिले। यहां तक कि आईआरसीटीसी प्रबंधन ने शताब्दी को टक्कर देने के लिए अपने किराए में फेरबदल का प्रस्ताव भी भेज चुकी थे, जिसको आईआरसीटीसी बोर्ड से अनुमित मिलने में थोड़ा वक्त लग सकता है। यही नहीं, प्रबंधन ने यात्रियों की सुविधान के लिए डायमेनिक किराए पर भी रोक लगा थी।
शताब्दी के सवारियों को खींचने के लिए टिकट दर में बदलाव के प्रयास किए
चूंकि दोनों ट्रेनों में सुविधाएं एक जैसी है, लेकिन किराए में करीब 200 रुपए का अंतर है, जिसे पाटने के लिए प्रबंधन ने प्रस्ताव तैयार किया, ताकि लोग तेजस एक्सप्रेस को यात्रा के विकल्प के लिए चुने। इस बीच प्रबंधन ने मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलने वाली तेजस एक्सपेर्स में सवारियों को सुविधा देते हुए अतिरिक्त स्टॉपेज की घोषणा की, जिससे ट्रेन मुंबई के अंधेरी स्टेशन पर भी रूकेगी। यह कोरोना के प्रकोप से निबटने के लि किया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा पैसेंजर को ट्रेन में आकर्षित किया जा सके।
पैसेंजर का सामान खान या चोरी होने पर एक लाख का इंश्योरेंस दिया
आईआरसीटीसी प्रबंधन ने तेजस एक्सप्रेस में यात्रा के दौरान पैसेंजर का सामान खान या चोरी होने पर एक लाख रुपए तक का इंश्योरेंस देने की घोषणा की। इसके अलावा फ्लाइट की तरह तेजस एक्सप्रेस में फीमेल अटेंडेंट भी होती हैं, जो यात्रियों को उनकी सीट पर ही जाकर चाय या कॉफी अथवा खाना और दूसरी चीजें देती है। इसके अलावा प्रबंधन तेजस एक्सप्रेस में सफर करने वाले पैसेंजर को ट्रेन के लेट होने पर मुआवजा भी देती है, जो अभी तक कोई ट्रेन नहीं देती है, लेकिन तेजस को फिर भी सवारियां नहीं मिल पाई।
एक तरफ जहां निजी ट्रेन तेजस एक्सप्रेस का दिवाला निकल रहा है
दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ जहां निजी ट्रेन तेजस एक्सप्रेस का दिवाला निकल रहा है, तो दूसरी ओर भारतीय रेलवे ने पहली सेमी हाई स्पीड और प्लेन जैसी सुविधाओं वाली लग्जरी तेजस एक्सप्रेस की तर्ज पर 5 दर्जन और ट्रेन चलाने जा रहा है, जिस पर रेलवे बोर्ड की भी सहमति बन गई है। इनमे से तीन ट्रेनें गोरखपुर से चलेंगी, जो गोरखपुर से दिल्ली, मुंबई से बेंगलुरूके लिए तेजस की दर्ज पर प्राइवेट कंपनियां चलाएंगी, लेकिन इन ट्रेनों के ऑपरेशन कार्य रेलवे खुद देखेगा।
निजीकरण की दिशा में रेलवे बोर्ड दांव आजमाने से नहीं चूक रही हैं
कहने का मतलब यह है कि तेजस भले ही ठप पड़ी है, लेकिन रेलवे के निजीकरण की दिशा में रेलवे बोर्ड दांव आजमाने से नहीं चूक रही हैं। पूर्वोत्तर रेलव के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी के मुताबिक रेलवे बोर्ड की बैठक में गोरखपुर से दिल्ली, मुंबई से बेंगलुरू के लिए प्राइवेट ट्रेनों के लिए संचालन पर मुहर लग गई है, जिनके संचालन का काम पूरी तरह से निजी कंपनियों के हाथ में होगा।
तेजस एक्सप्रेस को पहले महीने कुल 70 लाख रुपए का फायदा हुआ था
उल्लेखनीय है तेजस एक्सप्रेस को अपने परिचालन के पहले महीने अक्टूबर में कुल 70 लाख रुपए का फायदा हुआ था। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान तेजस को टिकट बिक्री से करीब 2.70 करोड़ रुपए की आय हुई थी। दिल्ली से लखनऊ रूट पर चलाई गई पहली तेजस एक्सप्रेस का परिचालन का काम आईआऱसीटीसी ही कर रही थी, जिसमें टिकट, भोजन और पर्यटन संबंधी सुविधाएं शामिल थीं।
सुधार के लिए 50 स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए निजी क्षेत्र को दिया
यही वजह थी कि उत्साहित सरकार ने रेलवे में सुधार के लिए 50 स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने और रेलवे नेटवर्क पर 150 यात्री गाड़ियों के परिचालन का ठेका निजी इकाइयों के देने का लक्ष्य बनाया था, क्योंकि केद्र की मोदी सरकार का जोर तेजस जैसी ट्रेनो को चलाने पर है। इसका सबूत है कि 2020-21 के बजट में वित्त मंत्री ने कई तेजस चलाने की घोषणा की थी, जिसकी बानगी कहेंगे कि भारतीय रेलवे ने जल्द पहली सेमी हाई स्पीड और प्लेन जैसी सुविधाओं वाली लग्जरी तेजस एक्सप्रेस की तर्ज पर 5 दर्जन और ट्रेन चलाने जा रहा है।