पहली स्वदेशी मिसाइल 'अस्त्र' IAF में शामिल होने को तैयार, पाकिस्तानी F-16 को मार गिराना हुआ और आसान
नई दिल्ली- भारत की पहली स्वदेशी बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टु एयर मिसाइल (बीवीआरएएएम) आखिरकार भारतीय वायु सेना में शामिल किए जाने के लिए तैयार है। डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) को इसे पूरी तरह से विकसित करने के लिए 15 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा है। इस अत्याधुनिक सुपरसोनिक और दुश्मनों के लिए बेहद घातक मिसाइल को 'अस्त्र' का नाम दिया गया है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये दुनिया की बेहतरीन बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टु एयर मिसाइलों में से एक है, लेकिन फिर भी मौजूदा वक्त में वायुसेना की ओर से विदेशों से मंगवाए जाने वाले ऐसी ही मिसाइलों से काफी सस्ती है। आने वाले दिनों में डीआरडीओ इसकी मारक क्षमता को और ज्यादा बढ़ाने में जुटा हुआ है। आपको बता दें कि पिछले 27 फरवरी को पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराने के लिए भी इस तरह की मिसाइल का आवश्यकता महसूस की गई थी।
जल्दी वायु सेना में शामिल होगा 'अस्त्र'
बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टु एयर मिसाइल (बीवीआरएएएम) विकसित करने के साथ ही भारत लंबी दूरी तक हवा से हवा में मार करने वाले इस तरह के कम दूरी के अत्याधुनिक सुपरसोनिक मिसाइल विकसित करने वाले अमेरिका, रूस, फ्रांस और इजरायल जैसे देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है। डीआरडीओ को उम्मीद है कि भारतीय वायुसेना अपने सुखोई-30एमकेआई जेट के लिए शुरुआत में कम से कम 200 मिसाइलों के ऑर्डर देगी। टीओआई की खबरों के मुताबिक अब डीआरडीओ इस मिसाइल की मारक क्षमता 110 से 160 किलो मीटर करने की कोशिशों में जुटा हुआ है। डीआरडीओ के प्रमुख डॉ जी सतीश रेड्डी के मुताबिक, 'मौजूदा समय में अस्त्र दुनिया के सबसे बेहतरीन बीवीआरएएएम मिसाइलों में से एक है। हम इसकी मारक क्षमता लंबी दूरी तक विकसित करने में सक्षम हैं।'
कई टारगेट पर एक साथ निशाना साध सकता है 'अस्त्र'
3.57 मीटर लंबी और 154 किलो वजनी 'अस्त्र' मिसाइल ध्वनि की गति से 4.5 गुना तेज रफ्तार से दुश्मनों के टारगेट पर प्रहार करने में सक्षम है। भारत डिनामिक्स को इसकी एक यूनिट के उत्पादन पर करीब 7 से 8 करोड़ रुपये की लागत आने वाला है, जो कि रूस, फ्रांस या इजरायली बीवीआरएएएम मिसाइलों की कीमत से कहीं ज्यादा सस्ती है। रूसी फाइटर जेट सुखोई के बाद सभी मौसम में इस्तेमाल होने वाली 'अस्त्र' मिसाइलों को स्वदेशी फाइटर जेट तेजस के लिए भी इस्तेमाल किए जाने की योजना है। इस मिसाइल की विशेषता है कि दुश्मन से चौतरफा घिरने की स्थिति में यह एक साथ कई टारगेट पर निशाना साध सकता है।
|
पिछले हफ्ते ही सफल हुआ था टेस्ट
गौरतलब है कि पिछले ही हफ्ते ओडिशा के चांदीपुर में सुखोई फाइटर जेट से 'अस्त्र' मिसाइल का पांच परीक्षण किया गया था और सभी संभावित हमलों के मद्देनजर इसने जेट बंशी टारगेट या यूएवी को सफलतापूर्वक निशाना बनाया था। अधिकारियों के मुताबिक 'टारगेट को 80 से 86 किलोमीटर की दूरी से पिनप्वाइंट की सटीकता के साथ निशाना साधा गया।' अधिकारियों ने ये भी बताया कि इसे भविष्य में कई तरह से हवा से हवा और सतह से हवा में वार करने लायक बनाने की दिशा में भी काम चल रहा है। गौरतलब है कि भारत ने अभी तक 5,000 किलोमीटर की लंबी दूरी की मिसाइल जैसे अग्नि-5 तो विकसित कर लिया था, लेकिन बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टु एयर मिसाइल मिसाइल बनाने में नाकाम रहा था। यह कार्यक्रम 955 करोड़ रुपये की शुरुआती प्रोजेक्ट से शुरू हुआ था और कई तकनीकी बाधाओं के चलते इसे एयर फोर्स में शामिल करने लायक बनाने में 15 साल लग गए।
27 फरवरी को भी जरूरत महसूस हुई थी
गौरतलब है कि पिछले 27 फरवरी को पाकिस्तानी एफ-16 के साथ भारत के मिग-21 विमान का डॉग फाइट हुआ था। तब विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने अपने फाइटर जेट से भारत में घुस आए पाकिस्तानी विमान एफ-16 को पाकिस्तान में घुसकर मार गिराया था। बाद में उनका विमान भी दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस दिन भी शायद इस बात की जरूरत महसूस की गई थी कि अगर भारत के पास अपना बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टु एयर मिसाइल पूरी तरह तैयार होता तो अभिनंदन का काम और भी आसान हो सकता था। लेकिन, राहत की बात ये है कि सात महीने बाद ही सही वह मौका आ गया है, और भारत का पहला बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टु एयर मिसाइल (बीवीआरएएएम) वायुसेना में शामिल होने को तैयार है।