नई रिसर्च में खुलासा : Oxford-AstraZeneca वैक्सीन की पहली डोज 76 फीसदी असरदार
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नई रिसर्च में सामने आया है कि यह कोरोना वैक्सीन का पहला एक डोज ही वायरस ट्रांसमिशन को 67 प्रतिशत कम करने में सक्षम है। वैक्सीन के एक डोज से 22 से 90 दिनों के बीच 76 फीसदी तक का असर देखा गया है।
New Benefits of Oxford Vaccine : कोरोना वायरल के फैलने के बाद अब तैयारी वैक्सीनेशन की चल रही है। टीकाकरण अभियान में भारत समेत कई देशों में ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नई रिसर्च में सामने आया है कि वैक्सीन का पहला डोज ही वायरस ट्रांसमिशन को 67 प्रतिशत कम करने में सक्षम है। वैक्सीन के एक डोज से 22 से 90 दिनों के बीच 76 फीसदी तक का असर देखा गया है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च में सामने आए डेटा के मुताबिक टीके की प्रभावकारिता तब अधिक थी, जब दो खुराक के बीच का अंतराल 2 महीने था। रिसर्च में पता चला कि वैक्सीन की पहली डोज के बाद इसका असर 54.9 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया। दूसरी डोज का असर 82.4 फीसदी रहा। इन दोनों डोज के बीच का गैप 12 हफ्ते से ज्यादा का रहा।
67 फीसदी तक ट्रांसमिशन में कमी
नई रिचर्स के मुताबिक, पहली और दूसरी खुराक के बीच 3 महीने का अंतराल बेहतर रिजल्ट दे रहा है। कोरोना के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावकारिता 22 से 90 दिन तक 76 फीसदी देखी गई है। पहली डोज के बाद वैक्सीन वायरस ट्रांसमिशन को 67 फीसदी तक कम कर दे रहा है। इन परिमाणों के बाद से ब्रिटेन और दूसरे देशों को पहला डोज देने की रणनीति में मदद मिल सकती है।
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30 दिसंबर को मिली पहली मंजूरी
भारत में 16 जनवरी से स्वास्थ्य कर्मचारियों का वैक्सीनेशन शुरू किया गया है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की है कि पहली डोज के बाद 4 से 6 हफ्ते के बीच दूसरी खुराक दी जानी चाहिए। बता दें कि 30 दिसंबर 2020 को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को पहली बार UK की ओर से मंजूरी दी गई थी। हालांकि देश में कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू हो चुका है। अब तक लाखों लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा चुकी है।
भारत में भी सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका के साथ करार कर वैक्सीन कोविशील्ड बनाई है, जिसको भारत में इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। कोविशील्ड को भारत में इस समय स्वास्थ्यकर्मियों को लगाया जा रहा है। इसके अलावा भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को भी देश में इस्तेमाल की मंजूरी मिली है।