मोतिहारी-अमलेखगंज पाइपलाइन का भारत-नेपाल रिश्तों में क्या है कूटनीतिक महत्व?
नई दिल्ली। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली क्रॉस बॉर्डर ऑयल पाइपलाइन का उद्घाटन किया है। यह पाइपलाइन भारत और नेपाल को आपस में जोड़ेगी। पीएम मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नई दिल्ली और काठमांडू स्थित अपने-अपने ऑफिस से रिमोट के जरिए इसका उद्घाटन किया है। इस प्रोजेक्ट को मोतिहारी-अमलेखगंज पेट्रोलियम पाइपलाइन का नाम दिया गया है। पिछले 20 वर्षों से यह प्रोजेक्ट अटका हुआ था और अब जाकर इसे अमली जामा पहनाया जा सका है।
रिश्तों में नया मोड़
पीएम मोदी ने पाइपलाइन के उद्घाटन को भारत और नेपाल के रिश्तों में एक नया मोड़ करार दिया। पीएम मोदी ने कहा, नेपाल के साथ मोतीहारी-अमलेखगंज पाइप लाइन का रिमोट उदघाटन। नेपाल में हमारे द्विपक्षीय प्रोजेक्ट के रिमोट उद्घाटन के लिए आज आपसे वीडियो पर जुड़कर बहुत खुशी हो रही है।' पीएम मोदी ने जानकारी दी कि मई 2019 में नेपाल के पीएम ओली जब भारत यात्रा पर आए थे तो उस दौरान दोनों नेता प्रोजेक्ट के उद्घाटन के लिए राजी हुए थे। पीएम मोदी ने कहा, 'मुझे खुशी है कि हमारी संयुक्त कोशिशों से हमारे द्विपक्षीय प्रोजेक्ट्स प्रगति कर रहे हैं और आज हम मोतीहारी-अमलेखगंज पाइप लाइन के संयुक्त उद्घाटन में भाग ले रहे हैं।'
बरौनी से जाएगी अमलेखगंज तक
यह पाइपलाइन बिहार के बेगुसराय जिले में स्थित बरौनी रिफाइनरी से तेल को नेपाल के अमलेखगंज जिले तक लेकर जाएगी, जो दक्षिणी-पूर्वी नेपाल में है। यह जगह पूर्वी चंपारण में रक्सौल जिले से सटे नेपाल बॉर्डर पर है। नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन (एनओसी) के प्रवक्ता बीरेंद्र गोइत के मुताबिक 69किलोमीटर लंबी यह पाइपलाइन भारत से नेपाल तक ईधन ले जाने की कीमतों को बहुत कम कर सकेगी। अमलेखगंज फ्यूल डिपो की क्षमता 16,000 किलोलीटर की है। इस वर्ष जुलाई में नेपाल से भारतीय राजदूत मंजीव सिंह पुरी ने इस पाइपलाइन को नेपाल के लिए गेमचेंजर करार दिया था। उन्होंने कहा था कि यह पाइपलाइन, नेपाल में तेल की कमी को पूरा कर सकेगी। इसके अलावा टैंकर्स की जगह तेल आसानी से पाइपलाइन के जरिए नेपाल भेजा जा सकेगा। इससे पर्यावरण को भी काफी मदद मिलेगी।
साल 1996 का प्रोजेक्ट
मोतीहारी-अमलेखगंज पाइपलाइन प्रोजेक्ट का प्रस्ताव पहली बार साल 1996 में दिया गया था लेकिन इसकी प्रगति बहुत कम थी। इसके बाद साल 2014 में पीएम मोदी ने सत्ता संभालने के बाद पहली बार नेपाल का दौरा किया। इसी वर्ष दोनों देशों की सरकारों के बीच प्रोजेक्ट को पूरा करने से जुड़े समझौते को साइन किया गया था। लेकिन साल 2015 में दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई और हालातों ने प्रोजेक्ट को फिर से रोक दिया। साल 2017 में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने पेट्रोलियम व्यापार समझौता साइन किया। इस समझौते के तहत नेपाल को हर वर्ष 13 लाख पेट्रोलियम टन का ईधन सप्लाई करने पर सहमति बनी। तेल आपूर्ति के इस आंकड़ें को साल 2020 तक दोगुना करने का वादा आईओसी ने किया था। इस वर्ष जुलाई में दोनों देशों ने ऑयल पाइपलाइन के जरिए तेल ट्रांसफर करने का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया था।
चीन का बढ़ेगा सिरदर्द
शुरुआत में इस प्रोजेक्ट की कुल लागत करीब 275 करोड़ रुपए थी। इसमें से 200 करोड़ रुपए भारत की तरफ से निवेश किए जाने वाले थे। लेकिन एनओसी की मानें तो वर्तमान समय में इसकी लागत करीब 325 करोड़ रुपए पहुंच गई है। पीएम मोदी ने पाइपलाइन के उद्घाटन के समय कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में हमारे बीच सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर अभूतपूर्व नजदीकी आई है, और नियमित सम्पर्क रहा है। पिछले डेढ़ वर्षों में, मेरे मित्र प्रधानमंत्री ओली जी और मैं चार बार मिल चुके हैं।' भारत के लिए नेपाल को अपने साथ रखना बहुत जरूरी है क्योंकि चीन पहले ही नई दिल्ली के इस पुराने साथी को अपने साथ करने के लिए कई तरह के प्रोजेक्ट्स का ऐलान कर चुका है।