कानून बनने के बाद महाराष्ट्र में ट्रिपल तलाक का पहला केस दर्ज, पति ने Whatsapp पर दिया था तीन तलाक
मुंबई। तीन तलाक पर कानून बनने के बाद महाराष्ट्र के ठाणे जिले में पहला केस दर्ज हुआ है। ठाणे पुलिस के मुताबिक महिला को उसके पति ने पिछले साल नवंबर में व्हाट्सएप्प पर तलाक दे दिया था लेकिन तब इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। अब इस अधिनियम के बनने के बाद पीड़िता के पति, सास और ननद के खिलाफ तीन तलाक कानून-2019 की धारा 4 और आईपीसी की धारा 406, 498 (अ) और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है। विस्तार से जानिए पूरा मामला
तीन साल पहले हुई थी शादी
पुलिस के मुताबिक तीन साल की शादी के बाद पति ने किसी और महिला से संबंध होने के चलते अपनी पत्नी को तलाक दे दिया था। 31 साल की महिला एमबीए ग्रेजुएट है। उसने सितंबर 2015 में 35 साल के व्यक्ति के साथ शादी की थी। दोनों की ये दूसरी शादी थी। महिला का आरोप है कि शादी के पहले ही दिन से उसके पति और सास-ससुर ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।
पैसे की मांग करते थे ससुराल वाले, Whatsapp पर भेजा तलाक
महिला के आरोपों के मुताबिक पति लगातार उससे पैसों की मांग करने लगा। जबकि महिला के पिता ने लोन लेकर दहेज के लिए बाइक खरीदी थी। लेकिन पति और सास-ससुर लगातार उसे प्रताड़ित कर रहे थे। जिसके बाद महिला ने अपने माता-पिता के साथ रहने का फैसला लिया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद पता चला कि पति का किसी और महिला के साथ संबंध है। जिसके चलते दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गए। फोन और व्हाट्सऐप में दोनों लड़ते थे। इस दौरान महिला प्रेग्नेंट थीं और अब उसका एक बच्चा है। इसके बाद नवंबर 2018 में एक बड़े झगड़े के बाद महिला के पति ने व्हाट्सऐप पर तीन बार तलाक लिखकर उसे तलाक दे दिया। इसके बाद फोन पर भी पति ने यही किया। तभी से दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।
क्या कहता है तलाक का नया कानून
- तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना।
- तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ़्तार कर सकती है।
- तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।
- यह संज्ञेय तभी होगा जब या तो खुद महिला शिकायत करे या फिर उसका कोई सगा-संबंधी
- मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है। जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा।
- पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है।
- पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है।
- इसकी रकम मजिस्ट्रेट तय करेगा।
- पीड़ित महिला नाबालिग बच्चों को अपने पास रख सकती है. इसके बारे में मजिस्ट्रेट तय करेगा।