बैरक एंड स्टोर काडर रिव्यू को मोदी सरकार ने दी मंजूरी, बढ़ेंगे प्रमोशन के अवसर
बीएस काडर के रिव्यू को केंद्र की मोदी सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद से कर्मचारियों में खुशी की लहर है
नई दिल्ली। सालों से रिव्यू का इंतजार कर रहे मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस के बैरक एंड स्टोर काडर कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर आई है। करीब 70 साल बाद भारत सरकार ने बीएस काडर कर्मचारियों के रिव्यू को मंजूरी दे दी है। जिससे उनके प्रमोशन के अवसर बढ़ेंगे। नियमों के मुताबिक काडर रिव्यू को जरूरी माना जाता है ताकि अलग-अलग रैंकों पर काम कर रहे कर्मियों की करियर से जुड़ी उम्मीदों को पूरा किया जा सके। बैरक एंड स्टोर काडर में रिव्यू की मांग लंबे समय चली आ रही थी। बीएस काडर के रिव्यू ना होने होने सरकारी खजाने में करोड़ों के घाटा होने की भी बात सामने आई थी।
बीएस काडर के रिव्यू को केंद्र की मोदी सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद से कर्मचारियों में खुशी की लहर है। बीएसओ संजीव कुमार ने मोदी सरकार के फैसले को सराहनीय कदम बताया है। उन्होंने कहा कि बरसों बाद हमारी मांग पूरी हुई है जिसको लेकर बीएस काडर के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक सभी खुश हैं। आपको बता दें कि मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस के तहत आने वाला बैरक एंड स्टोर काडर सरकार के लिए हजारों करोड़ रुपये का राजस्व लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है साथ ही रक्षा भवनों के रख रखाव की जिम्मेदारी भी बीएस काडर के ही ऊपर है।
बैरक एंड स्टोर काडर का रिव्यू ना होने से सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा था जिसको लेकर मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस के अधिकारियों और अखिल भारतीय बैरक और स्टोर कैडर एसोसिएशन ने केंद्र सरकार को कई बार बताया भी था। रिव्यू को लेकर पिछले साल अधिकारियों ने तात्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से कई बार मुलाकात भी की थी। राजस्व में होने वाले घाटे को लेकर बीएसपी के एक सांसद ने रक्षा मंत्री को पत्र भी लिखा था।
सेना
में
33
साल
बाद
रैंकों
में
बदलाव
इससे
पहले
सेना
में
जूनियर
कमिशंड
अफसर
(JCO)
और
अदर्स
रैंक
(OR)
के
कर्मचारियों
के
लिए
33
साल
बाद
काडर
रिव्यू
के
फैसले
को
अंतिम
मंजूरी
मिल
गई
है।
जिससे
उनके
भी
प्रमोशन
के
मौके
बढ़ेंगे।
इस
फैसले
से
सेना
के
करीब
साढ़े
11
लाख
लोग
प्रभावित
होंगे।
सेना
में
अब
तक
दो
बार
ही
काडर
रिव्यू
हो
सका
है।
पहला
रिव्यू
1979
में
जबकि
दूसरा
1984
में,
जबकि
हर
पांच
साल
में
काडर
रिव्यू
हो
जाना
चाहिए।
तीसरे
रिव्यू
के
लिए
2009
में
वाइस
चीफ
के
मातहत
स्टडी
शुरू
हुई।
इसे
अब
जाकर
मंजूरी
मिली
है।
पिछले
हफ्ते
हुए
फैसले
के
मुताबिक,
1,45,137
रैंक
बढ़ोतरी
को
मंजूरी
दी
गई
है।
इन
रैंक
में
नायक,
हवलदार,
नायब
सूबेदार,
सूबेदार
और
सूबेदार
मेजर
शामिल
हैं।
इससे
लांस
नायक/
सिपाही
रैंक
की
संख्या
कम
होगी।
रैंक
में
बढ़ोतरी
पर
अमल
क्रमबद्ध
तरीके
से
5
साल
में
किया
जाएगा।
2018
में
30
फीसदी
बढ़ोतरी
होगी,
फिर
उसके
अगले
तीन
साल
तक
हर
बार
20
फीसदी
और
2022
में
10
फीसदी
की
बढ़ोतरी
होगी।
1984
के
बाद
से
सेना
में
जेसीओ
और
अदर्स
रैंक
पर
काम
करने
वालों
की
जिम्मेदारियां
बढ़
चुकी
हैं।
इन
पर
पहले
से
ज्यादा
पढ़े-लिखे
लोग
आ
रहे
हैं।
उनका
ज्यादा
तकनीकी
पहलुओं
से
सामना
हो
रहा
है।
पिछले
कुछ
बरसों
में
कई
नई
यूनिटों
का
गठन
हुआ
है।
लेकिन
ऊपरी
रैंक
पर
पदों
की
संख्या
कम
होती
जाती
है।
इसी
वजह
से
काडर
रिव्यू
जरूरी
था।
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