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बम-बम भोले के नारों के बीच अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था रवाना, जानिए कुछ खास बातें

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नई दिल्ली। अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था आज सुबह रवाना हो गया है। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के सलाहकार केके शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर यात्रियों को रवाना किया गया, यह जत्था भगवंत नगरग में जम्मू के बेस कैंप से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच रवाना किया गया है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए देशभर के अलग-अलग हिस्सों से लोग आए थे, यात्रा के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था रवाना

अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था रवाना

इस दौरान यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का कहना है कि हम अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं, इस बात की हमे काफी खुशी है। हमें यहां किसी का भी डर नहनीं है, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं, हर साल इस यात्रा में सुधार किया जा रहा है। आपको बता दें कि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालु 3880 मीटर की पैदल यात्रा करेंगे। इस दौरान इस पूरे रास्ते में सीआरपीएफ के जवान तैनात रहेंगे।

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1 जुलाई से लेकर 15 अगस्त तक होगी यात्रा

आपको बता दें कि इस साल की वार्षिक अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू होकर 15 अगस्त को समाप्त होगी, अभी हाल में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करने के बाद अपने दो दिन का जम्मू कश्मीर दौरा शुरू किया था।

अमरनाथ गुफा

अमरनाथ गुफा

बताते चलें कि अमरनाथ गुफा दक्षिण कश्मीर के हिमालयवर्ती क्षेत्र में है। यह श्रीनगर से लगभग 141 किमी. की दूरी पर 3,888 मीटर (12,756 फुट) की ऊंचाई पर स्थित है। इस तीर्थ स्थल पर पहलगाम और बालटाल मार्गों से पहुंचा जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि मध्यकाल के बाद लोगों ने इस गुफा को भुला दिया था।

एक मुस्लिम ने खोजी थी गुफा

15वीं शताब्दी में एक गडरिये, बुट्टा मलिक ने इसका पता लगाया। कहा जाता है कि एक महात्मा ने बुट्टा मलिक को कोयले से भरा हुआ एक थैला दिया। घर पहुंचने पर जब उसने उस थैले को सोने से सिक्कों से भरा हुआ पाया, तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। खुशी के मारे वह महात्मा का धन्यवाद करना चाहता था, लेकिन वह महात्मा उसे कहीं नहीं मिला। इसकी बजाय उसने पवित्र गुफा देखी और उसमें उसे शिवलिंग के दर्शन हुए। उसने ग्रामवासियों को इसके बारे में जानकारी दी। तब से यह तीर्थ यात्रा का पवित्र स्थल बन गया।

एक और कथा

एक और कथा

ऐसी मान्यता है कि काफी समय पहले कश्मीर घाटी जलमग्न हो गई थी और कश्यप मुनि ने अनेक नदियों और नालों के जरिए इसका पानी निकाल दिया। इस प्रकार जब पानी उतर गया, तो भृगु मुनि ने भगवान अमरनाथ के सबसे पहले दर्शन किए। इसके बाद लोगों ने लिंगम के बारे में सुना तो यह आस्था वाले सभी लोगों के लिए यह भगवान भोले नाथ का स्थान बन गया और तब से हर वर्ष लाखों लोग तीर्थ यात्रा करते हैं।

अमरनाथ यात्रा सुरक्षा

इस यात्रा के लिए काफी सुरक्षा व्यवस्था की जाती है क्योंकि यह यात्रा बहुत ज्यादा कठिन है और दुर्लभ रास्तों से होकर गुजरती है।यात्रा के दौरान राज्य के बड़ी संख्या में कर्मचारियों को काम पर लगाया जाता है, ताकि इस धार्मिक यात्रा के लिए नागरिक और चिकित्सा सुविधाओं के पर्याप्त प्रबंध सुनिश्चित किए जा सकें।

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English summary
The first batch of over 2,200 pilgrims of the annual Amarnath Yatra left the Bhagwati Nagar-base camp in Jammu for the Kashmir Valley this morning, amidst tight security.
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