विजय माल्या के लोन का कोई रिकॉर्ड सरकार के पास नहीं, वित्त मंत्रालय ने CIC को बताया
नई दिल्ली। किंगफिशर के मालिक विजय माल्या पर तमाम बैंकों का करोड़ो रुपए का लोन है। माल्या इस समय यूके में हैं और उन्हें भारत वापस लाने के लिए मोदी सरकार लगातार अपनी कोशिशें कर रही है। लेकिन सेंट्रल इंफॉरेशन कमिशन को वित्त मंत्रालय ने बताया है कि उसके पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि माल्या के पास बैंकों का कितना लोन है। सूचना के अधिकार के तहत यब बात सामने आई है कि वित्त मंत्रालय के पास इसकी जानकारी नहीं है कि उद्योगपति विजय माल्या को कितना लोन दिया गया है।
संसद में दी थी जानकारी
मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर ने राजीव कुमार खरे के मामले पर कहा कि वित्त मंत्रालय को आरटीआई संबंधिक अधिकारी के पास भेजनी चाहिए, जो इसकी सही जानकारी दे पाता। यहां गौर करने वाली बात यह है कि एक तरफ जहां वित्त मंत्रालय ने कहा है कि उसके पास विजय माल्या द्वारा लिए गए लोन के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन इससे इतर वित्त मंत्रालय संसद में पहले भी जवाब दे चुका है और उसने संसद में इस बात की जानकारी दी है कि विजय माल्या के पास बैंकों का कितना कर्ज है।
दिया था ब्योरा
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने विजय माल्या के सवाल पर जवाब देते हुए 17 मार्च 2017 को संसद में कहा था कि इस व्यक्ति ने सितंबर 2004 में बैंकों से लोन लिया था और इसकी फरवरी 2008 में समीक्षा की गई, जिसके अनुसार बैंको ने माल्या को 8040 करोड़ रुपए का लोन दिया है, जोकि 2009 से नॉन पर्फॉर्मिंग एसेट के रूप में है, जिसे 2010 में एक बार फिर से पुनर्गठित किया गया था।
यूपीए सरकार की विरासत
पिछले वर्ष 21 मार्च को गंगवार ने संसद में बताया था कि पब्लिक सेक्टर बैंकों ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार अभी तक सिर्फ 155 करोड़ रुपए ही माल्या से हासिल किए जा चुके हैं, इस राशि को ऑनलाइन मॉल्या की संपत्ति की नीलामी करके हासिल किया गया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के दौरान एक बहस के दौरान भी 16 नवंबर 2016 को राज्यसभा में इस मामले में बयान देते हुए कहा था कि माल्या को जो लोन दिया गया है वह भयावह विरासत की तरह है, जोकि एनडीए सरकार को यूपीए सरकार से मिली है।
संबंधित बैंक के पास होगी जानकारी
दरअसल खरे ने माल्या द्वारा लिए गए लोन की जानकारी वित्त मंत्रालय से आरटीआई के द्वारा मांगी थी, लेकिन जब वित्त मंत्रालय द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो उन्होंने सीआईसी का दरवाजा खटखटाया। इससे पहले वित्त मंत्रालय ने खरे को बताया कि आरटीआई के तहत माल्या के बारे में जानकारी नहीं दी जा सकती है क्योंकि यह व्यक्तिगत सुरक्षा के तहत है जोकि सरकार की आर्थिक मुद्दे को प्रभावित कर सकता है। सीआईसी ने अपने जवाब में कहा कि जो जानकारी मांगी गई है वह मुमकिन है कि संबंधित बैंकों और आरबीआई के पास मौजूद होगी।