फाइनेंस एक्ट मामला: सुप्रीम कोर्ट ने केस सात जजों की बेंच को भेजा
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नई दिल्ली। फाइनेंस एक्ट 2017 के केस को सुप्रीम कोर्ट ने सात जजों की बड़ी बेंच को भेज दिया है। साथ ही अदालत ने साफ किया कि विभिन्न ट्रिब्यूनल में नियुक्ति फाइनेंस एक्ट के तहत बनाये गए नए नियमों से नहीं होगी। फाइनेंस एक्ट 2017 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालते हुए इसकी वैधता को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि संसद में फाइनेंस एक्ट 2017 को एक मनी बिल की तरह पारित किया गया।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने फाइनेंस एक्ट से जुड़े मामले पर विचार के लिए सात जजों की बड़ी बेंच को भेज दिया। कोर्ट ने फाइनेंस एक्ट के सेक्शन 184 को बरकरार रखा है, वहीं इसके तहत बनाये नियमों को रद्द कर सरकार को फिर से नियमों को बनाने को कहा है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने ये फैसला दिया।
सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अदालत से कहा कि न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत एक विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित करने के स्पीकर के फैसले पर न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकता है। वहीं सुनवाई कर रही पांचों जजों में बहुमत की राय यह रही कि सरकार की ओर से बनाये गए नियम मूल कानून का उल्लंघन है।
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने फाइनेंस एक्ट 2017 में भी अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र ने वित्त विधेयक के धन विधेयक के रूप में प्रमाणीकरण को सुप्रीम कोर्ट में न्यायोचित ठहराते हुए कहा था कि इसके प्रावधानों में न्यायाधिकरणों के सदस्यों को भुगतान किए जाने वाले वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि से आते हैं।
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