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फाइनल ईयर परीक्षा पर सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- UGC को गाइडलाइन बदलने का अधिकार

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की 6 जुलाई को जारी गाइडलाइंस को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई है। इन याचिकाओं में कोविड-19 महामारी को देखते हुए अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा रद्द करने की मांग की गई है। मामले में अब अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी। आपको बता दें यूजीसी ने अपनी संशोधित गाइडलाइंस में देशभर के सभी विश्विद्यालयों से कहा है कि 30 सितंबर से पहले परीक्षाओं का आयोजन हो जाना चाहिए। जबकि छात्रों का कहना है कि फाइनल ईयर की परीक्षाओं को रद्द करने के बाद छात्रों का रिजल्ट पूर्व के प्रदर्शन के आधार पर जारी होना चाहिए।

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याचिकर्ताओं की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यूजीसी ने अप्रैल में जारी हुई गाइडलाइंस को जुलाई में बदल दिया है। जो पुरानी गाइडलाइंस से भी ज्यादा सख्त हैं। जिसपर कोर्ट ने कहा कि यूजीसी को ऐसा करने का अधिकार है। जब सिंघवी ने कहा कि बहुत से विश्वविद्यालों में ऑनलाइन परीक्षा की सुविधा नहीं हैं, तो इसपर कोर्ट ने कहा कि यूजीसी ने ऑफलाइन परीक्षा का विकल्प भी रखा है। इसके बाद सिंघवी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण बहुत से लोगों को परीक्षा देने में परेशानी आएगी और बाद में परीक्षा लेने पर भ्रम फैलेगा। तो कोर्ट ने कहा कि फैसला छात्रों के हित में दिखाई दे रहा है।

इससे पहले यूजीसी ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था। जिसमें उसने कहा है कि फाइनल ईयर की परीक्षाएं 30 सितंबर तक छात्रों का भविष्य संभालने के उद्देश्य से आयोजित कराने का फैसला लिया गया है। ताकि उन्हें आगे की पढ़ाई में परेशानी ना आए। यूजीसी ने अपने जवाब में राज्य सरकारों के साथ साथ याचिकाकर्ताओं की चिंताओं को संबोधित करते हुए कहा कि टर्मिनल वर्ष के दौरान अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षाएं आयोजित करके उनके द्वारा किए गए 'विशेष इलेक्टिव पाठ्यक्रमों' के अध्ययन का परीक्षण जरूरी है।

इसके साथ ही यूजीसी ने कहा कि परीक्षाएं कराने का फैसला एचआरडी के दिशा निर्देशों का पालन करके विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श करने के बाद लिया गया है। याचिकाकर्ताओं में एक ऐसा छात्र भी शामिल है, जो खुद कोविड-19 से संक्रमित है। उसका कहना है कि फाइनल ईयर के ऐसे बहुत से छात्र हैं जो या तो खुद या फिर उनके परिवार के सदस्य कोविड-19 से संक्रमित हैं। ऐसे में इन छात्रों को 30 सितंबर तक फाइनल ईयर की परीक्षाओं में बैठने के लिए मजबूर किया जाना, अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का खुला उल्लंघन है।

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English summary
final year exams supreme court adjourns hearing for august 10 on pleas challenging ugc circular
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