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रेखा की सौतेली माँ पर बनी फ़िल्म मचा रही है तहलका

सावित्री ने जेमिनी गणेशन से शादी की थी, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि रिश्ता टूट गया.दक्षिण भारत में सावित्री सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक रही हैं. लोग न सिर्फ़ उनकी अदाकारी के कायल हैं बल्कि तमिल और तेलुगू फ़िल्मों की अन्य अभिनेत्रियों से उन्हें वे अलग मानते हैं. उनकी ज़िंदगी पर बनी फ़िल्म 'महानती' रिलीज़ हुई

By BBC News हिन्दी
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सावित्री
Facebook/Keerthy Suresh
सावित्री

दक्षिण भारत में सावित्री सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक रही हैं. लोग न सिर्फ़ उनकी अदाकारी के कायल हैं बल्कि तमिल और तेलुगू फ़िल्मों की अन्य अभिनेत्रियों से उन्हें वे अलग मानते हैं.

40 के दशक के अंतिम सालों में जब उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था, तो उनके बारे कहा गया था कि उन्हें एक्टिंग नहीं आती है.

लेकिन 50 की दशक के दस्तक के साथ ही वो इंडस्ट्री की बेहतरीन अदाकारा बन गईं और उनका जादू आज भी सिनेमा प्रेमियों, ख़ासकर तमिल और तेलुगू फ़िल्में देखने वालों पर चलता है.

ये उनका जादू ही था कि जब उनकी ज़िंदगी पर बनी फ़िल्म 'महानती' रिलीज़ हुई, तो फ़िल्म को देखने वे लोग भी पहुंचे, जिन्होंने कभी सिनेमाघरों में क़दम नहीं रखा था.

सावित्री
Facebook/Keerthy Suresh
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आसान नहीं था फ़िल्म बनाना

ख़ासकर उस तबके की भीड़ दिखी जो सावित्री को देखकर जवान हुए थे. सिनेमाघरों के बाहर व्हील चेयर पर बुजुर्गों के चेहरे पर चमक दिख रही थी. ये सावित्री का जादू ही था जो उन्हें सिनेमाघरों में खींच लाया था.

लेकिन उनकी ज़िंदगी को पर्दे पर उतारना आसान नहीं था.

निर्देशक नाग अश्विन ने सावित्री के जिद्दी स्वाभाव और अजीब व्यक्तित्व को फ़िल्म में समान महत्व दिया. उन्होंने दर्शाया कि वो जो करना चाहती थी वो करती थीं.

तेलुगू दर्शक भी मानते हैं कि सावित्री के सामने कोई और अभिनेत्री नहीं टिक सकती.

सावित्री
KEERTHY SURESH
सावित्री

सावित्री की अपने 'प्यार' से पहली मुलाक़ा

फ़िल्म में सावित्री का जीवन एक पत्रकार के ज़रिए दिखाने की कोशिश की गई है, जो उनके जीवन के उतार-चढ़ाव को देखता है.

बचपन में अपने पिता को खोने के बाद सावित्री अपने नाना की देख-रेख में बड़ी हुईं. यह आश्चर्य की बात है कि बिना किसी ट्रेनिंग के वो बेहतरीन डांस करती थी और फ़िल्म में काम करने मद्रास चली आईं.

14 साल की उम्र में वो पहली बार मद्रास के जेमिनी स्टूडियों पहुंची थी. वहां उनकी फोटोग्राफी जेमिनी गणेशन ने की थी.

काफी समय बाद उनकी तस्वीरों की वजह से उन्हें फ़िल्म में काम करने का न्यौता मिला. हड़बड़ी में उन्होंने वो मौक़ा खो दिया. निर्देशक ने कहा था, "वो फ़िल्म के फिट नहीं हैं."

सावित्री की आदत थी कि वो चीजों को चुनौती की तरह लेती थी और उसके बाद वो ऐसी एक्टिंग करती थी जो उनके आलोचकों को सोचने पर मजबूर कर देता था.

स्टार के रूप में उदय और 'प्यार' के लिए त्याग

उन दिनों विजया फ़िल्म्स का सिक्का चलता था. जो भी उसकी फिल्मों में काम करते थे वो स्टार माने जाते थे. सावित्री ने बैनर तले बनने वाली फ़िल्मों पर राज करना शुरू कर दिया.

उन्हें पहली बार लीड रोल मिला देवदास में. इसमें उन्होंने पार्वती की भूमिका निभाई थी. इससे पहली की दो फ़िल्मों में उन्हें साइड रोल मिला था.

इस फ़िल्म ने ज़बरदस्त सफलता हासिल की. भारत में देवदास कई भाषाओं में बनी पर तेलुगू जैसी सफलता शायद ही किसी को मिली.

सावित्री ने इस फ़िल्म से लोगों के दिलों में अमिट जगह बनाई.

इस बीच उनके और जेमिनी गणेशन की नजदीकियां बढ़ी. गणेशन पहले से शादी-शुदा थे, लेकिन वो उनसे शादी करना चाहती थीं.

काफी मशक्कतों के बाद वो ऐसा करने में कामयाब रहीं. पर इस राज पर कितने दिनों तक पर्दा रहा?

जैसे ही राज से पर्दा हटा, उन्होंने अपने प्यार जेमिनी गणेशन के लिए अपनी मां, चाचा और चाची को छोड़ दिया. यह प्यार के लिए उनकी कुर्बानी थी.

सावित्री
Facebook/Keerthy Suresh
सावित्री

शोहरत के चरम पर सावित्री

शादी के बाद उन्होंने माया बाज़ार में काम किया. इस फ़िल्म ने उनकी शोहरत में चार चांद लगा दिए.

अब तक वो तेलुगू दर्शकों के दिलों में ही नहीं, दिमाग में भी जगह बना चुकी थी. तेलुगू फ़िल्मों में अब उन्हें रोकना आसान नहीं था.

एक के बाद एक फ़िल्में उन्हें मिलती गई. बड़े-बड़े एक्टरों के साथ उन्होंने फ़िल्मे की. सावित्री की अदाकारी ऐसी होती थी कि उनके अपोजिट रोल कर रहे पुरुष अभिनेताओं को यह डर रहता था कि कहीं फिल्म में वो उनकी एक्टिंग पर हावी न हो जाए.

सावित्री अपने करियर के चरम पर थीं. उनकी फीस बढ़ चुकी थी. वहीं, गणेशन उस वक्त तक साधारण अभिनेता ही थे.

सावित्री के दो बच्चे थे. जब उनको बेटा हुआ, गणेशन उनसे दूर होने लगे. उन्हें सावित्री की शोहरत अब ईर्ष्या होने लगी थी.

सावित्री
Facebook/Keerthy Suresh
सावित्री

रिश्तों का टूटना और सावित्री का बिखर जाना

सावित्री की शोहरत गणेशन की अदाकारी से बड़ी हो गई. लोग उन्हें अब सावित्री के पति के रूप में जानने लगे.

दोनों की बीच दूरिया बढ़ने लगी. रिश्तों की खाई इतनी चौड़ी हो गई कि वो एक-दूसरे से अलग हो गए.

सावित्री तकलीफ में जीने लगी. नशा, अकेलापन और संबंध टूटने से वे काफ़ी टूट गईं.

उन्हें फ़िल्म निर्माण में घाटा लगा. इनकम टैक्स के रेड पड़े. अंत में उन्होंने अपनी अधिकतर संपत्ति दान देने का फ़ैसला किया.

उन्होंने ज़रूरतमंदों की मदद के लिए अपने गहने और कपड़े तक नीलाम कर दिए. अंत में वो कोमा में चली गईं, जिसके बाद उनकी मौत हो गई.

जिस देवदास से उन्हें शोहरत मिली थी, वो उसी देवदास की तरह प्यार की तड़प में मर गईं.

'महानती' में सावित्री की भूमिका कृति सुरेश ने निभाई है. फ़िल्म को न सिर्फ़ उनके वक्त के लोगों ने पसंद किया बल्कि युवाओं को भी खूब भाई.

BBC Hindi
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English summary
Film based on Rekha's Stepmom Savitri Mahanati relaesed.
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