अफजल गुरु की फांसी की पांचवी सालगिरह, जम्मू कश्मीर में हाई अलर्ट
नई दिल्ली। संसद पर हमला करने वाले जैश ए मोहम्मद के आतंकी अफजल गुरू को फांसी दिए जाने की आज पांचवी सालगिरह है, जिसके मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियों ने सुरक्षा व्यवस्था को पूरे जम्मू-कश्मीर में पुख्ता कर दिया है। अफजल गुरू की फांसी की सालगिरह पर किसी भी तरह की संभावित गतिविधि को टालने के लिए पूरी घाटी की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है। अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी। जम्मू कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद ने बताया कि हम हमेशा अलर्ट पर रहते हैं लेकिन 9 व 11 फरवरी काफी अहम तारीख है जम्मू कश्मीर में, इस दिन हमे अधिक चौकसी बरतनी होती है।
हाईजैक के बाद बना था जैश ए मोहम्मद
एक तरफ जहां अफजल गुरु को फांसी दिए जाने की आज पांचवी सालगिरह है तो दूसरी तरफ 11 फरवरी 1984 को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के फाउंटर मकबूल भट को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। गौरतलब है कि जैश ए मोहम्मद की स्थापना मसूद अजहर ने 2000 में की थी। उसने इस आतंकी संगठन की स्थापना इंडियन एयरलाइंस के विमान को हाइजैक किए जाने के बाद भारत सरकार द्वारा यात्रियों को सुरक्षित छोड़े जाने की शर्त पर रिहा किए जाने के बाद की थी।
कई हमले कर चुका है
जैश ने कुपवाड़ा में 25 नवंबर 2015 में सेना पर हमला करने के लिए अफजल गुरु स्क्वॉड का गठन किया था, जिसमे से तीन आतंकियों न आर्मी ब्रिगेड के तंगधार हेडक्वार्टर पर ग्रेनेड से हमला किया था, जिसके बाद आठ घंटे तक सेना के ऑपरेशन में आतंकियों को मार गिराया था। जिसके बाद पुलिस ने कहा था कि इन आतंकियों के पास जो बैग था उसपर अफजल गुरु स्क्वॉड लिखा था। पिछले छह वर्षों में जैश ए मोहम्मद ने दो बड़े हमले अफजल गुरु के नाम पर किए हैं।
उत्तर कश्मीर पर जैश की नजर
इससे पहले पठानकोट में हुए हमले के वक्त आतंकियों ने हाथ से लिखा एक नोट एसपी सलविंदर सिंह की गाड़ी पर लिखा था, जिसमे लिखा गया था कि जैश ए मोहम्मद जिंदाबाद, तंगधार से लेकर सांबा, कठुआ, राजबाग और दिल्ली तक अफजल गुरु शहीद के जानिसार तुम को मिलते रहेंगे इंशाअल्लाह एजीएस। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि जैश ज्यादातर दक्षिण कश्मीर में सक्रिय है, लेकिन हालिया अलर्ट इस बात को लेकर है कि वह इस बार उत्तर कश्मीर में हमला कर सकते हैं, जिसमे खासकर सोपोर और हंदवाड़ा है।