संपन्न राज्यों में लड़कियों की जन्म के समय लिंगानुपात दर में गिरावट- रिपोर्ट
लिंगानुपात की ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है। जन्म के समय लिंगानुपात पर ध्यान दें तो पता चलता है कि हरियाणा के बाद उत्तराखंड की हालत सबसे दयनीय है
नई दिल्ली। एक तरफ देश में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की मुहिम तेजी से चल रही है और दूसरी तरफ बेटियां लगातार घटती जा रही हैं। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम पर मौजूद आंकड़ों के पूर्वी और पश्चिमी भारत में बेटियों के जन्म कि संख्या में कमी आई है। नेशनल हेल्थ डेटा के मुताबिक धनी राज्यों में भी बेटियों के जन्म दर में कमी आई है। गुजरात, हरियाणा और उत्तराखंड जैसे संपन्न राज्यों में लड़कों व लड़कियों की जन्म के समय लिंगानुपात दर में गिरावट आई है। यहां सेक्स रेशो प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 900 बताई गई है। पिछले दिनों कन्या भ्रूणहत्या पर हुए एक अध्ययन में भी बताया गया था कि पिछले तीन दशक के दौरान लड़कों की चाहत में लगभग एक करोड़ इक्कीस लाख कन्याओं को गर्भ में ही मार दिया गया।
हरियाणा के बाद उत्तराखंड की हालत सबसे दयनीय है
लिंगानुपात की ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है। जन्म के समय लिंगानुपात पर ध्यान दें तो पता चलता है कि हरियाणा के बाद उत्तराखंड की हालत सबसे दयनीय है। रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में 53 अंकों की गिरावट दर्ज की गई, जबकि उत्तराखंड में 27 अंकों की। देश के अलग राज्यों के सेक्स रेशो की बात करें तो हरियाणा में प्रति 1000 में 831 महिलाएं हैं। ऐसे ही उत्तराखंड में 844, गुजरात में 854, राजस्थान में 861, दिल्ली में 869, महाराष्ट्र में 878, यूपी में 879, पंजाब में 889, जम्मू कश्मीर 899 और पूरे देश की बात करें को 900 है। 2017 में आई रिपोर्ट के अनुसार शहरी इलाकों में बेटियों के जन्म में गिरावट आई है। उदाहरण के तौर पर 902 बेटियों का जन्म शहरी इलाकों में हुआ तो ग्रामीण इलाकों में 923 बेटियों का जन्म हुआ है।
17 राज्यों में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट पाई गई है
देश के 21 बड़े राज्यों में से 17 राज्यों में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट पाई गई है। नीति आयोग द्वारा जारी कई गई लिंगानुपात की रिपोर्ट में जन्म के समय लिंगानुपात मामले में 10 या उससे ज्यादा अंकों की गिरावट होने वाले राज्यों में से एक गुजरात में प्रति 1,000 पुरुषों पर 907 महिलाओं के अनुपात से गिरकर अब 854 हो गया है। यहां आधार वर्ष 2012-14 से संदर्भ वर्ष 2013-15 के बीच 53 अंक की गिरावट हुई।
हिमाचल और छत्तीसगढ़ की हालत दयनीय
हाल ही में नीति आयोग द्वारा 'स्वस्थ राज्य और प्रगतिशील भारत' शीर्षक से जारी रपट में देश के 21 बड़े राज्यों में से 17 में लिंगानुपात की स्थिति में गिरावट दर्ज की गई है। लिंगानुपात के मामले में गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल और छत्तीसगढ़ की हालत दयनीय है। हालांकि पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार की स्थिति में थोड़ा सुधार दिखाई दिया है। नीति आयोग ने जन्म के आंकड़ों के आधार पर अपनी रपट तैयार की है। पिछले दिनों राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में भी बताया गया था कि देश के अनेक राज्यों में आर्थिक संपन्नता के बावजूद लिंगानुपात की स्थिति खराब है। जाहिर है कि देश में लिंगानुपात की बिगड़ती स्थिति कन्या भ्रूणहत्या जैसी बुराई की वजह से ही है।
कन्या भ्रूणहत्या की दर में वृद्धि
इस अध्ययन के अनुसार देश में शीर्ष के बीस फीसद संपन्न और शिक्षित परिवारों में कन्या भ्रूणहत्या की दर में लगातार वृद्धि हुई है। ऐसी स्थिति में सबसे बड़ा सवाल यह है कि हम किस मुंह से अपने आपको शिक्षित और प्रगतिशील कहें? क्या हम अभी भी सड़ी-गली मान्यताओं के उसी पुराने युग में ही नहीं जी रहे हैं जहां लड़कियों को एक अभिशाप समझा जाता था? नि:संदेह हमारा समाज बदल रहा है। इस दौर में लड़की पैदा होना भले ही एक अभिशाप न हो, लेकिन समाज में लिंग परिवर्तन कराने की चाहत और अभी हाल ही में लिंगानुपात पर नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट स्पष्ट रूप से यह संकेत दे रहे हैं कि अभी भी लड़की पैदा होने पर यह समाज कुछ असहज महसूस करता है।
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