सरकार द्वारा गठित टास्क फोर्स का दावा, कोरोना के इलाज में फेविपिरवीर, टोसीलिज़ुमाब सबसे कारगर दवा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के इलाज में एंटीवायरल ड्रग फेविपिरवीर और इम्यून-मोड्यूलेटर ड्रग टोसीलिज़ुमाब सबसे कारगर दवा हैं। सरकार द्वारा इस दवा के प्रयोग के लिए आंकलन करने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया था। इस टास्क फोर्स ने अपने पहले मूल्यांकन में कहा है कि यह दवा कोरोना के इलाज में सबसे कारगर दवा है। इसकी समीक्षा के बाद इसपर वैज्ञानिक दस्तावेज तैयार जाएगा, क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा और फिर इसके बारे में अपडेट दिया जाएगा कि इसका इस्तेमाल कब किया जा सकता है। बता दें कि आईसीएमआर ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जोकि मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होती है उसे तमाम स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना के इलाज में इस्तेमाल करने की सलाह दी थी, लेकिन इसका कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है।
फेविपिरवीर
को
जापान
में
मिली
अनुमति
बता
दें
कि
फेविपिरवीर
एंटी
वायरल
दवा
है,
जिसे
जापान
ने
इंफ्लुएंजा
के
इलाज
में
इस्तेमाल
करने
की
अनुमति
दी
है।
कोरोना
के
इलाज
के
लिए
इसपर
मौजूदा
समय
में
18
क्लीनिकल
प्रयोग
किए
जा
रहे
हैं।
दो
प्रयोग
में
इसके
सकारात्मक
परिणाम
आए
हैं,
जबकि
अन्य
प्रयोग
के
नतीजे
आना
बाकी
हैं।
वहीं
टोसीलिज़ुमाब
की
बात
करें
तो
इसका
इस्तेमाल
कई
कई
स्व-प्रतिरक्षित
रोग
के
इलाज
के
लिए
किया
जाता
है।
कोरोना
के
इलाज
के
लिए
दुनियाभर
में
इसपर
24
क्लीनिकल
प्रयोग
किए
जा
रहे
हैं।
टास्क
फोर्स
का
शुरुआती
मूल्यांकन
के
अनुसार
नतीजे
यह
बताते
हैं
कि
जो
मरीज
गंभीर
रूप
से
कोरोना
वायरस
से
पीड़ित
हैं,
उनका
इलाज
इससे
किया
जा
सकता
है।
भारत
में
तैयार
की
जा
सकती
है
दवा
अहम
बात
यह
है
कि
टास्क
फोर्स
ने
अपने
मूल्यांकन
में
कहा
है
कि
इन
दोनों
ही
दवा
को
तैयार
करने
की
क्षमता
भारत
में
है।
दुनियाभर
में
क्लोरोक्वीन,
रेमदेसिवीर
कोरोना
के
इलाज
में
कितना
कारगर
हैं,
इसका
आंकलन
मौजूदा
समय
में
चल
रहे
तमाम
क्लीनिकल
प्रयोग
के
नतीजे
सामने
आने
के
बाद
ही
किया
जा
सकता
है।
बता
दें
कि
टास्क
फोर्स
का
गठन
सरकार
के
मुख्य
वैज्ञानिक
सलाहकार
के
विजयराघवन
ने
किया
था।
दवा
के
इस्तेमाल
को
लेकर
शोध
जारी
टास्क
फोर्स
के
कोऑर्डिनेटर
डॉक्टर
वी
प्रेमनाथ
ने
बताया
कि
यह
अपने
आप
में
एक
पहला
तत्पर
और
संभावित
स्कोर
है,
इसे
हमने
अणुओ
के
मूल्यांकन
के
आधार
पर
तैयार
किया
है,
हम
दवाओं
के
फिर
से
प्रयोग
किए
जाने
पर
भी
जांच
कर
रहे
हैं।
अभी
तक
जो
नतीजे
सामने
आए
हैं
उससे
हमे
अबतक
दवा
के
निर्माण
के
लिए
नैदानिक
परीक्षणों,
प्रभावकारिता,
सुरक्षा
और
तत्परता
को
दर्शाता
है।
वहीं
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
के
बारे
में
उन्होंने
कहा
कि
इसर
भारत
के
बाहर
शोध
चल
रहे
हैं।
तीन
टेस्ट
में
नतीजे
सकारात्मक
आए
हैं,
जबकि
एक
नतीजा
नकारात्मक
आया
है।
शोध
अभी
चल
रहे
हैं,
हम
शोध
की
गुणवत्ता
का
आंकलन
करने
के
बाद
ही
किसी
नतीजे
पर
पहुंच
सकते
हैं।