पिता ने 1 साल की सैलरी खर्च कर अमेरिका की फ्लाइट का खरीदा था टिकट, आज हैं गूगल के CEO
पिता ने 1 साल की सैलरी खर्च कर अमेरिका की फ्लाइट का खरीदा था टिकट, आज हैं गूगल के CEO
बेंगलुरु। Google के CEO सुंदर पिचाई को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। भारतवंशी सुंदर पिचाई दुनिया में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले सीईओ हैं। उनकी सफलता की कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा है। चेन्नई में एक साधारण जीवन जीने से लेकर अपने देश को गौरवान्वित करने तक, वह लोगों से लेकर धन-दौलत तक का एक अच्छा उदाहरण है। हम सभी उसकी सफलता के बारे में जानते हैं, लेकिन उन्होंने हाल में अपने स्ट्रगल और अपने परिवार से जुड़ी एक ऐसी जानकारी साक्षा की जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया।
पिचाई ने कहा मेरे पिता ने मेरे यूएस के टिकट के लिए एक साल का वेतन खर्चा था ताकि...
बीते दिनों एक नियामक फाइलिंग में अल्फाबेट इंक ने खुलासा किया है कि कंपनी से सीईओ सुंदर पिचाई को 2019 में कुल 28.1 करोड़ डॉलर यानी 2,144.53 करोड़ रुपये की सैलरी मिली जो दुनिया में किसी भी सीईओ द्वारा पाई जाने वाली सबसे ज्यादा तनख्वाह है। उन्होंने हाल ही में यूट्यूब के ज़रिए 2020 बैच के ग्रैजुएशन सेरेमनी में भाषण देते हुए कहा कि "मेरे पिता ने मेरे अमेरिका के टिकट के लिए एक साल का वेतन खर्च कर दिया था...ताकि मैं स्टैनफोर्ड में पढ़ सकूं।" उन्होंने आगे कहा, "अमेरिका महंगा था...घर पर एक फोन कॉल का खर्च $2/ मिनट था।"
सुंदर पिचाई के पिता करते थे ये नौकरी
बता दें कि सुंदर पिचाई अल्फाबेट कंपनी के सीईओ और उसकी सहायक कंपनी गूगल एलएलसी के सीईओ हैं। गूगल ने अपनी कंपनी का नाम अल्फ़ाबेट में बदल दिया है। पिचाई 2015 में गूगल के सीईओ बने थे। दिसंबर, 2019 को वह अल्फाबेट के सीईओ बन गए। पिचाई का जन्म मदुरै, तमिलनाडु, भारत मे तमिल परिवार में लक्ष्मी और रघुनाथ पिचाई के घर हुआ। उनकी मां लक्ष्मी एक स्टेनोग्राफर थीं और ,उनके पिता रघुनाथ पिचाई ब्रिटिश समूह के जीईसी में एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। सुंदर के पिता का मैन्युफैक्चरिंग प्लांट था जहां इलेक्ट्रिक कॉम्पोनेंट बनाए जाते थे। सुन्दर ने जवाहर नवोदय विद्यालय, अशोक नगर, चेन्नई में अपनी दसवीं कक्षा पूरी की और वना वाणी स्कूल, चेन्नई में स्थित स्कूल से बारहवीं कक्षा पूरी की। सुंदर पिचाई ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), खड़गपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। उन्होंने एम. एस. सामग्री विज्ञान में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और इंजीनियरिंग और पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया जहां उन्हे एक विद्वान साइबेल और पामर विद्वान नामित किया गया।
पिचाई ने अपनी मेहनत और काबलियत से हासिल की ये उपलब्घि
सुंदर पिचाई 2004 में गूगल में आए। जहाँ वे गूगल के उत्पाद जिसमें गूगल क्रोम, क्रोम ओएस शामिल है। शुरुआत में वह गूगल के सर्च बार पर छोटी टीम के साथ काम करते रहे। इसके बाद उन्होंने गूगल के कई और प्रोडक्ट पर भी काम किया है। उन्होंने जीमेल और गूगल मैप्स जैसे अन्य अनुप्रयोगों के विकास की देखरेख की। इसके बाद वह गूगल ड्राइव परियोजना का हिस्सा बने। इसके बाद वह अन्य उत्पाद जैसे जीमेल और गूगल मानचित्र, आदि का हिस्सा बने। इसके बाद वह 19 नवम्बर 2009 में क्रोम ओएस और क्रोमबूक आदि के जाँच कर दिखाये।वह इसे 2011 में सार्वजनिक किया। 20 मई 2010 को वह वीपी8 को मुक्तस्रोत के रूप में बताया। इसके बाद वह एक नई वीडियो प्रारूप वेबएम के बारे में भी बताया। यह 13 मार्च 2013 को एंडरोइड के परियोजना से जुड़े। जिसे पहले एंडी रूबिन संभालते थे। यह अप्रैल 2011 से 30 जुलाई 2013 तक जीवा सॉफ्टवेयर के निर्देशक बने थे।
रंगभेद के खिलाफ काम कर रहे संगठनों की मदद करेगा गूगल,
गूगल
के
सीईओ
सुंदर
पिचाई
ने
घोषणा
की
है
कि
अमेरिका
में
अश्वेत
जॉर्ज
फ्लॉयड
की
मौत
के
बाद
कंपनी
रंगभेद
के
खिलाफ
काम
करने
वाले
संगठनों
की
मदद
करेगी।
गूगल
इन
संगठनों
को
37
मिलियन
डॉलर
(2.79
अरब
रुपये)
की
सहायता
देगा।
इन
37
मिलियन
डॉलर
में
से
गूगल
संयुक्त
राज्य
अमेरिका
के
आसपास
जातीय
भेदभाव
के
खिलाफ
काम
करने
वाले
संगठनों
को
12
मिलियन
(करीब
90
करोड़
रुपये)
दान
देगा।
साथ
ही
यूट्यबू
और
गूगल
सर्च
जैसे
प्लेटफॉर्म
पर
नस्लीय
भेदभाव
के
विज्ञापन
पर
बाकी
की
धनराशि
खर्च
होगी।
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