सड़क हादसे ने ली आम से लेकर खास तक की जान, परेशान है सरकार
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजेश पायलट और कॉमेडी की दुनिया के बादशाह जसपाल भट्टी में क्या समानता है? अफसोस कि इन सभी हस्तियों की मौत सड़क हादसों के कारण हुई।
अब सरकार भी देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के कारण परेशान हो गई है। विश्व में होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं का करीब 10 प्रतिशत भारत में घटित होता है। कुल ट्रैफिक मृत्यु दर में 80 प्रतिशत देश में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होती है।
भारत में सड़क सुरक्षा परिदृश्य
सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं शिपिंग राज्य मंत्री श्री पोन. राधाकृष्णन ने यहां ‘भारत में सड़क सुरक्षा परिदृश्य एवं आगामी राह' पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह जानकारी दी।
इंडियन रोड कांग्रेस (आईआरसी) के सम्मेलन में भागीदारों को एक साझा मंच मुहैया किया गया है जिसमें वे मौजूदा बाधाओं तथा विश्व में अपनाई जाने वाली उत्तम पद्धतियों के बारे में विचार-विमर्श तथा इनकी पहचान करेंगे।
दुर्घटनाओं की रोकथाम
सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम तथा सड़कों का उपयोग करने वालों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए वे नवीनतम, सतत् और अमल में लाई जाने वाली कार्य योजना की सिफारिश करेंगे।
सड़क सुरक्षा जागरूकता
उद्घाटन भाषण में श्री पोन. राधाकृष्णन ने देश में सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं की उच्च दर पर अपनी चिन्ता जताई। उन्होंने कहा कि यह चिन्ता की बात है कि चूंकि सड़क दुर्घटनाओं की सामाजिक-आर्थिक लागत राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत से अधिक अनुमानित की गई है, अत: समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच सड़क सुरक्षा जागरूकता फैलाना जरूरी हो गया है।
सीट बेल्ट एवं हेलमेट के उपयोग का प्रयोग अनिवार्य
सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के उपायों में उन्होंने बताया कि गति नियंत्रण का कड़ाई से पालन, सीट बेल्ट एवं हेलमेट के उपयोग के बारे में अधिदेश जारी करना, सड़क पर चलने वाले वाहनों की फिटनेस सुनिश्चित करना तथा गैर-मोटर वाहनों के लिए अलग से लेन निर्धारित करने की अत्यंत आवश्यकता है।
सड़क
सुरक्षा
के
बारे
में
जागरूकता
बढ़ायी
जाये
सड़क यातायात तथा राजमार्ग मंत्रालय सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता का स्तर बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रहा है। इनमें सड़क सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम, ड्राइविंग अनुदेश तथा ट्रैफिक विनियमन शामिल है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने ‘गोल्डन ऑवर' के दौरान दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को उपयुक्त चिकित्सा मुहैया कराने के लिए दुर्घटना की रिपोर्ट करने के लिए टॉल फ्री फोन नं. 1033 स्थापित कर युगांतकारी पहल की है।