फारूक अब्दुल्ला पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी
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नई दिल्ली। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पर सरकार ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगाया है। सुप्रीम कोर्ट में अब्दुल्ला की हिरासत को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अदालत को ये जानकारी दी गई है। 5 अगस्त से फारूक अपने घर में क्यों नजरबंद हैं, इस सवाल पर केंद्र के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि उनको पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में रखा है। पीएसए एक ऐसा कानून है, जिसमें किसी को गिरफ्तार कर बिना सुनवाई के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।
जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने का बिल संसद में लाए जाने के बाद से ही सूबे के ज्यादातर नेता नजरबंद हैं या गिरफ्तार कर लिए गए हैं। 5 अगस्त को राज्य में संचार के साधनों को बंद करते हुए 144 लागू कर दी गई थी। अब्दुल्ला की हिरासत को लेकर एमडीएमके नेता वाइको की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिस पर आज (16 सितंबर) सुनवाई हुई।
वाइको की ओर से याचिका में कहा गया कि केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा है कि फारूख अब्दुल्ला किसी प्रकार की हिरासत में नहीं है, लेकिन हमें उनका पता ठिकाना मालूम नहीं है। वाइको ने कहा कि अब्दुल्ला को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई की 111वीं सालगिरह के मौके पर 15 सितंबर को आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करना था, लेकिन वह यहां पर नहीं आए। उनसे संपर्क साधने की कोशिश की गई लेकिन किसी भी तरह बात नहीं हो सकी। इस पर केंद्र की ओर से बताया गया कि उन पर पीएसए लगाया गया है और वो हिरासत में हैं। वाइको की याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर की सरकार को नोटिस जारी करते हुए 30 सितंबर तक जवाब मांगा है।
फारुक अब्दुल्ला की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू कश्मीर सरकार को नोटिस जारी किया