Tractor rally: ट्रैक्टर रैली में जान गंवाने वाले किसान नवरीत सिंह के अंतिम अरदास में पहुंची प्रियंका गांधी
Farmers tractor rally:Priyanka Gandhi Vadra is visiting Rampur to meet the family of Navreet Singh:नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन पर जहां एक ओर सियासत गर्मायी हुई है, वहीं दूसरी ओर किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है। तो वहीं इसी बीच 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान भड़की दिल्ली हिंसा में जान गंवाने वाले किसान नवरीत सिंह के परिजनों से मिलने के लिए आज कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी रामपुर पहुंची हैं। आपको बता दें कि आज नवरीत सिंह का अंतिम अरदास है। (देखें तस्वीरें)
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मालूम हो कि दिल्ली पुलिस ने वीडियो जारी करके कहा था कि बैरिकेड तोड़ने की कोशिश में एक ट्रैक्टर पलट गया था, जिसके नीचे किसान नवरीत सिंह दब गए थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी नवरीत की मौत का कारण हादसा बताया गया है।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों की अगुवाई में हरियाणा के जींद जिले में कल महापंचायत हुई। यह महापंचायत कंडेला गांव के पास राजीव गांधी स्टेडियम में हुई, जहां 7 एकड़ भूमि पर हजारों किसान जुटे। इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य नेता राकेश टिकैत ने कहा कि मोदी सरकार यदि बात नहीं सुनेगी, तो आगे आंदोलन को और तेज किया जाएगा। टिकैत बोले कि, हमने अक्टूबर तक समय दिया। यदि सरकार बाज नहीं आई तो हर राज्य में किसान आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार कानून ही वापस ले, इससे कम कुछ भी मंजूर नहीं है। साथ ही आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों को जल्द से जल्द रिहा किया जाए।
लोहे की कीलों के साथ बैरीकेडिंग
आपको बता दें किसानों को रोकने के लिए पुलिस (Delhi Police) ने दिल्ली की सीमाओं पर लोहे की कीलों के साथ ही सीमेंट डालकर मजबूत बैरीकेडिंग कर दी है। सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस के जवान तैनात हैं और यहां प्रदर्शनकारियों पर पैनी नजर बनाए हैं। हाल ही में किसानों और स्थानीय लोगों के बीच भी सिंघु बॉर्डर पर झड़प हुई थी, जिसमे कुछ पुलिसकर्मी और लोग घायल हो गए थे। प्रदर्शन स्थल पर बड़ी संख्या में आरएएफ, सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं।
हमारी छवि को खराब करने की कोशिश हुई
हाईवे के अलावा प्रदर्शन स्थल को जोड़ने वाली दूसरी सड़कों को भी सीमेंट के बैरिकेड से दोनों ओर बंद कर दिया गया है। वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि हमें इन बैरिकेड, दीवारों से कोई फर्क नहीं पड़ता, ये हमारे हौसलों को नहीं तोड़ सकते हैं। किसानों का कहना है कि 26 जनवरी की घटना एक षड़यंत्र थी ताकि हमारी छवि को खराब किया जा सके, लेकिन इसके बाद हमारा प्रदर्शन और भी मजबूत हो गया है।