'किसी की जीत नहीं, राष्ट्र की हार...', जानिए किसानों के बवाल को लेकर शिवसेना ने क्या कहा
लाल किले पर किसानों ने फहराया अपना झंडा, शिवसेना की तरफ से आया ये बयान
नई दिल्ली। Farmers Tractor March. पिछले करीब 2 महीनों से केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन मंगलवार को उस वक्त हिंसक हो गया, जब गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों ने देश की राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च निकाला। ट्रैक्टर मार्च के दौरान दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में बैरिकेडिंग तोड़ने और पुलिसकर्मियों से झड़प की खबरें आईं। यही नहीं, कुछ किसानों ने दिल्ली के लाल किले पर चढ़कर वहां किसान संगठनों का झंडा़ भी फहरा दिया। इस पूरी घटना की जहां खुद किसान संगठनों ने निंदा की है, वहीं अब शिवसेना की प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का बयान भी सामने आया है।
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'हमारे गणतंत्र के लिए एक दुखद दिन'
प्रियंका चतुर्वेदी ने दिल्ली में किसानों की हिंसा की निंदा करते हुए ट्वीट कर कहा, 'तिरंगे का अपमान अस्वीकार्य है। लोकतंत्र में किसी भी तरह की हिंसा को स्वीकार नहीं किया जा सकता। लाल किले पर बेकाबू हो चुके प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें परेशान करने वाली हैं। सभी को कानून का पालन करना चाहिए। ऐसी घटनाओं से किसी पक्ष की जीत नहीं होती, बल्कि राष्ट्र की हार होती है। आज हमारे गणतंत्र के लिए एक दुखद दिन है।'
मोदी सरकार पर साधा प्रियंका चतुर्वेदी ने निशाना
वहीं, कानून व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने आगे लिखा, 'आदरणीय गृह मंत्री जी...किसानों के गुस्से का पता चलने के बावजूद भारत सरकार ने इस घटना से बचने के लिए आखिर क्या कदम उठाए? अगर सरकार ने पहले ही अपना अहंकार त्याग दिया होता तो आज हम लोगों को ये दिन नहीं देखना पड़ता।'
'हमारा केवल एक ध्वज है'
एक और ट्वीट करते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, 'यह भी काफी दुखद है कि कुछ लोग उस निंदनीय कार्य का बचाव कर रहे हैं, जो आज हमने लाल किले पर देखा। हमारा केवल वही एक झंडा है, जो हमारे राष्ट्र का ध्वज है और भले ही किसी मुद्दे पर कितना भी विरोध क्यों ना हो, उस ध्वज को ही हमारी ऐतिहासिक इमारतों की प्राचीर से हमेशा ऊंचाई पर फहरना चाहिए।'
'इनपुट मिलने के बावजूद सरकार ने नहीं की कोई तैयारी'
अपने ट्वीट में प्रियंका चतुर्वेदी ने आगे लिखा, 'यह केंद्र सरकार की एक बड़ी विफलता है कि इस मुद्दे का जल्द कोई समाधान नहीं खोजा गया और इसे महीनों तक जारी रहने दिया गया। सुरक्षा से जुड़ी अलग-अलग एजेंसियों ने लगातार इस बात का इनपुट दिया कि दिल्ली में हालात नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं, लेकिन सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई तैयारी नहीं की।'
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