26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली की तैयारी में पश्चिमी यूपी के नाराज किसान, 1500 ट्रैक्टर के साथ हुई रिहर्सल
Farmers Protest: केंद्र सरकार के तीन तीन नए कानूनों के खिलाफ किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन में मुख्य रूप से हरियाणा और पंजाब के किसान हिस्सा ले रहे हैं। साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान भी कृषि कानूनों के खिलाफ इन किसानों का साथ दे रहे हैं और दिल्ली बॉर्डर पर डटे हैं। किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैट उत्तर प्रदेश के सिसौली गांव से आते हैं और उनके आह्वाहन पर तकरीबन 5 लाख पश्चिमी यूपी के किसान अक्टूबर 1988 में नई दिल्ली के बोट क्लब में इकट्ठा हुए थे और कई हफ्ते तक यहां डेरा जमाए रहे थे। एक बार फिर से मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव के किसान सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
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सिसौली नंगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन यशपाल बांजी का कहना है कि यहां गांव में 11000 वोटर हैं, जिसमे से 800 वोटर्स ने 2019 के लोकसभा चुननाव में वोट दिया था और तकरीबन 5500 वोट भाजपा के पक्ष में गए थे। लेकिन इस मुद्दे पर किसान और पार्टी अलग है। बहुत विरोध है। सिसौली गांव में कुळ फसल की बात करें तो यह तकरीबन 3200 एकड़ है, जहां मुख्य रूप से जाट किसान खेती करते हैं। जाट समुदाय में तकरीबन 6000 वोटर्स हैं।
वर्ष 2019-20 में किसानों ने 8.34 लाख क्विंटल गन्ना की सप्लाई की। तकरीबन 2000 किसानों ने 27 करोड़ रुपए की गन्ने की सप्लाई की थी। यूपी सरकार ने जो समर्थन मूल्य तय किया है वह 325 रुपए प्रति क्विंटल है। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश सिंह टिकैट का कहना है कि यह सरकार जिद्दी राजा और हठधर्मी राजा है। अगर ब्रिटिश सर छोटू राम केसाथ 1943 में समझौता कर सकते हैं, जब उन्होंने गेंहू की कीमत को 5 रुपए से 10 रुपए करने मांग की थी, उस वक्त किसानों ने अपनी फसल को आग लगा देने की धमकी दी थी। ऐसे में मोदी सरकार आखिर क्यों इन काले कानूनों को वापस नहीं लेना चाहती है।
एक तरफ जहां किसान तीनों ही कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं तो सरकार अपने फैसले पर अडिग है कि वह इन कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है लेकिन वह इसे वापस नहीं लेगी। इस बीच शामली के बीकेयू नेता राजकुमार गुड्डू ने कहा कि हमारे जिले से अकेले 1000-1200 ट्रैक्टर-ट्रॉली भेजी जाएगी, हर ट्रैक्टर में 25 लोग 26 जनवरी को जाएंगे। बता दें कि शनिवार को किसानों ने तकरीबन 1500 ट्रैक्टर के साथ रिहर्सल किया था। बता दें कि 26 जनवरी की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली पुलिस के जरिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसपर 20 जनवरी को सुनवाई होगी।