Farmers Protest: कृषिमंत्री तोमर बोले- नए कानून वक्त की जरूरत, 3 दिसंबर को फिर करेंगे किसानों के साथ बात
कृषिमंत्री तोमर बोले- नए कानून वक्त की जरूरत, 3 दिसंबर को करेंगे किसान नेताओं के साथ बातचीत
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ देश के कई राज्यों से किसान आज दिल्ली के लिए मार्च कर रहे हैं। किसानों के भारी विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि नए कानून बनाना समय की आवश्यकता थी। कुछ किसानों को इनको लेकर भ्रम हैं, जिन्हें दूर किया जाएगा। उन्होंने बताया है कि तीन दिसंबर को किसान संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया गया है। बातचीत के जरिए किसानों के मुद्दों को सुना जाएगा।
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तीन दिसंबर को किसानों से बातचीत
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा, नए कानून बनाना जरूरी था। पंजाब में हमारे किसान भाई को कुछ भ्रम है, हमने भ्रम दूर करने के लिए सचिव स्तर पर वार्ता की। मैंने 3 दिसंबर को सभी किसान यूनियन को फिर से बैठक के लिए अनुरोध किया है, सरकार चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। इससे पहले 13 नवंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ बैठक की थी लेकिन उस दौरान बैठक बेनतीजा रही थी। अब तीन दिंसबर को फिर से बातचीत हो सकती है।
ये राजनीति करने का मुद्दा नहीं
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार देशभर में किसानों के हित में काम करने और किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर के प्रतिबद्ध है, इसके लिए लगातार कदम उठा रही है। उन्होंने ये भी कहा कि ये मुद्दा राजनीति करने का नहीं है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
किसान कह रहे- हमें बर्बाद कर देंगे नए कानून
मोदी सरकार जो तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। इन कानूनों के खिलाफ किसानों ने 'दिल्ली चलो' का नारा दिया है। किसान यूनियन, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, राष्ट्रीय किसान महासंघ, भारतीय किसान संघ ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर इस मार्च में शामिल हैं। किसानों का कहना है कि करीब 500 किसान संगठन इस मार्च में शामिल हैं। किसानों का कहना है कि ये कानून खेती को बर्बाद कर देंगे, ऐसे में उनके जो खतरे इन कानूनों को लेकर हैं उन्हें सरकार सुने और हल निकाले।
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