Farmers Protest: किसानों और सरकार के बीच आज की बातचीत भी बेनतीजा, 19 जनवरी को अगली बैठक
Farmers Protest: किसानों और सरकार के बीच आज 9वें दौर की वार्ता,
Farmers Protest Update: केंद्र सरकार और किसानों के बीच तीन नए कृषि कानूनों (Fram Laws) को लेकर बने गतिरोध को दूर करने के लिए आज (15 जनवरी) हुई 9वें दौर की बातचीत भी बनेतीजा रही है। जिसके बाद एक बार फिर अगली मीटिंग के लिए तारीख तय की गई है। अब 19 जनवरी को किसान नेताओं और सरकार के बीच बैठक होगी।
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सरकार के साथ 9वें दौर की मुलाकात के बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, सरकार से ही हम बात करेंगे। 2 ही बिंदु है- कृषि के 3 कानून वापस हो और MSP पर बात हो। हमारी प्राथमिकता MSP रहेगी। सरकार MSP से भाग रही है। हम कोर्ट की कमेटी के पास नहीं जाएंगे, हम सरकार से ही बात करेंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के साथ बैठक के बाद कहा कि आज किसान यूनियन के साथ तीनों कानूनों पर चर्चा हुई। आवश्यक वस्तु अधिनियम पर विस्तार से चर्चा हुई। उनकी शंकाओं के समाधान की कोशिश की गई। हमने किसान यूनियन से कहा है कि अपने बीच में अनौपचारिक समूह बना ले जो लोग ठीक तरह से क़ानूनों पर चर्चा कर एक मसौदा बनाकर सरकार को दे,हम उस पर खुले मन से विचार करने को तैयार है। सुप्रीम कोर्ट की कमेटी पर उन्होंने कहा कि कोर्ट के लिए हम सभी की प्रतिबद्धता है और आने वाले कल में भी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भारत सरकार स्वागत करती है।
केंद्र सरकार और किसानों के बीच नए कृषि कानूनों को लेकर इससे पहले 8 जनवरी को बैठक हुई थी। उस बैठक में भी कोई हल नहीं निकल सका था। जिसके बाद 15 जनवरी की तारीख तय की गई थी लेकिन आज की बैठक में भी कोई समाधान नहीं निकल सका। किसान नेता कुछ समय पहले केंद्र सरकार की ओर से लाए गए खेती से जुड़े तीन कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। वहीं सरकार कह रही है कि वो कानून में जहां आपत्ति हो वहां संशोधन के लिए तैयार है लेकिन कानून रद्द नहीं करेगी।
क्या है पूरा मामला?
केंद्र सरकार बीते साल तीन नए कृषि कानून लेकर आई है, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने जैसे प्रावधान किए गए हैं। इसको लेकर किसान जून के महीने से लगातार आंदोलनरत हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। ये आंदोलन जून से नवंबर तक मुख्य रूप से हरियाणा और पंजाब में हो रहा था। सरकार की ओर से प्रदर्शन पर ध्यान ना देने पर 26 नवंबर को किसानों ने दिल्ली की और कूच करने का ऐलान कर दिया। जिसके बाद बीते 50 दिन से किसान दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाले सिंधु बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। टिकरी, गाजीपुर और दिल्ली के दूसरे बॉर्डर पर भी किसान जमा हैं। किसानों ने उनकी मागों को ना मानने पर 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालने का भी ऐलान किया है।