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किसान आंदोलन: हरियाणा में खतरे में दिख रही है खट्टर सरकार, फिर भी निश्चिंत क्यों है BJP ?

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नई दिल्ली- तीनों कृषि कानूनों के संसद से पास होने के मुद्दे पर जिस तरह से भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने साथ छोड़ा था, तब लगा था कि हरियाणा की जननायक जनता पार्टी पर भी दबाव बढ़ेगा और शायद मनोहर लाल खट्टर सरकार खतरे में पड़ जाएगी। लेकिन, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला बीजेपी के साथ मजबूती से खड़े रहे और कृषि कानूनों का समर्थन किया। लेकिन, जब पिछले 14 दिनों से किसान आंदोलनकारियों ने इन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं को घेर लिया है, इस पार्टी के विधायकों के हौसले टूटने लगे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं, जो इसी ताक में लगे हैं कि कैसे हरियाणा की सत्ता में बाजी पलट दें। लेकिन, हैरानी की बात ये है कि फिर भी भाजपा में कोई जल्दबाजी नहीं दिख रही है।

सहयोगी विधायकों का दबाव, फिर भी निश्चिंत बीजेपी

सहयोगी विधायकों का दबाव, फिर भी निश्चिंत बीजेपी

पिछले दिनों अंग्रेजी अखबार द हिंदू में एक खबर आई कि जनजनायक जनता पार्टी के 10 में से 5 विधायकों ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। बरवाला के विधायक जोगी राम सिहाग के बाद नारनौंद के एमएलए राम कुमार गौतम, गुहला चीका विधायक ईश्वर सिंह, जुलाना विधायक अमरजीत ढांडा और शाहबाद विधायक राम करण काला ने किसानों के समर्थन में बयान जारी कर इस आंदोलन के खिलाफ हुई गलत टिप्पणियों पर आपत्ति जताई थी। सिहाग ने तो इस मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए अक्टूबर में ही हरियाणा हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन बनने से इनकार कर दिया था। पिछले हफ्ते दादरी के निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान भी खट्टर सरकार से इसी मसले पर समर्थन वापस लेने की घोषणा कर चुके हैं। लेकिन, भाजपा सरकार फिर भी बोल्ड नजर आ रही है।

हरियाणा सरकार को कोई खतरा नहीं- प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष

हरियाणा सरकार को कोई खतरा नहीं- प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष

हरियाणा की भाजपा सरकार पर सिर्फ सहयोगी पार्टी के विधायकों की नाराजगी का ही दबाव नहीं है। बाजी पलटने के फिराक में बैठे भूपेंद्र सिंह हुड्डा मौके का फायदा उठाते हुए विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने का मंसूबा पाले बैठे हैं। लेकिन, भाजपा के नेताओं को भरोसा है कि वह इस तूफान से भी कश्ती निकाल ले जाएगी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनकड़ ने ईटी को बताया है कि 'हरियाणा में सरकार को कोई खतरा नहीं है। यह सुरक्षित और मजबूत है। जेजेपी के विधायक हमारे साथ हैं और कहीं नहीं जा रहे हैं। कुछ लोगों को कृषि कानूनों को लेकर कुछ आशंका हो सकती है, लेकिन केंद्र सरकार उन्हें दूर करने की कोशिश कर रही है। '

भाजपा के भरोसे की वजह क्या है?

भाजपा के भरोसे की वजह क्या है?

दरअसल, दुष्यंत चौटाला के कुछ विधायकों का पहले कांग्रेस के साथ नाता रहा है और इसलिए यह आशंका है कि हुड्डा उनपर डोरे डाल सकते हैं। लेकिन, धनकड़ के भरोसे के साथ कहते हैं कि 'वे हुड्डा की असलियत जानते हैं। वह इस आंदोलन के दौरान सिर्फ राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। ये विधायक कांग्रेस में पीड़ित थे और वहां नहीं रहना चाहते थे, इसलिए उन्होंने जेजेपी ज्वाइन किया था।' बीजेपी नेताओं को लगता है कि जबतक किसानों का विरोध जारी है तभी तक जेजेपी एमएलए का रवैया सख्त है, जैसे ही बातचीत से कोई हल निकलेगा वह लाइन पर आ जाएंगे।

हुड्डा का दबाव भी बेअसर!

हुड्डा का दबाव भी बेअसर!

जहां तक अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हुड्डा की ओर से दबाव बनाए जाने की बात है तो भाजपा यह सोचकर चैन है कि पिछले नवंबर में ही विधानसभा का मानसून सत्र खत्म हुआ है। इसलिए खट्टर सरकार के पास कोविड की वजह से शीत सत्र नहीं बुलाने का विकल्प मौजूद है। जहां तक हुड्डा की ओर से विशेष सत्र बुलाने की मांग है तो इसके लिए राज्यपाल तभी तैयार होंगे जब वह अविश्वास प्रस्ताव के लायक विधायकों की संख्या दिखा सकेंगे। बीजेपी के एक नेता ने कहा है, 'हरियाणा में एक साल पहले ही चुनाव हुए हैं और उपचुनाव जीतने को लेकर हमेशा अनिश्चितता रहती है।' यानि पार्टी इस भरोसे में है कि कृषि कानूनों पर नाराजगी दिखाने की जेजेपी विधायकों की अलग राजनीति हो सकती है, लेकिन सरकार गिराकर अपनी विधायकी असुरक्षित करने का जोखिम लेने को वह शायद ही तैयार हों।

सत्ता का समीकरण खट्टर के साथ !

सत्ता का समीकरण खट्टर के साथ !

90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 40 और जेजेपी के 10 विधायकों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन वाली खट्टर सरकार है। भाजपा सरकार का साथ 1 निर्दलीय विधायक छोड़ चुका है। विपक्ष में कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं। निर्दलीय विधायकों की कुल संख्या 7 है। इसके अलावा आईएनएलडी और एचएएलपी का एक-एक विधायक है।

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English summary
How much is the threat to the Manohar Khattar government in Haryana, JJP is threatening
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