Farmers Protest: वार्ता से पहले भाजपा नेता का बड़ा बयान, कहा-'लगता है किसान संगठन की योजना कुछ और है'
I think farmer unions don't want a solution said BJP leader Surjit Jyani: नए कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन का शुक्रवार को 44वां दिन है। आज एक बार फिर से दिन के 2 बजे विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच वार्ता होनी है। तो वहीं इस बैठक से ठीक पहले गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के बाद भाजपा नेता सुरजीत कुमार ज्याणी ने किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर बड़ा बयान दिया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की सभी मांगों को पूरा करने के लिए तैयार है लेकिन किसान कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं।
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उन्होंने कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा है कि किसान इस तरह की बातें क्यों कह रहे हैं, मुझे ऐसा लगने लगा है कि किसान संगठन इस समस्या का हल ही नहीं चाहते हैं, उनकी मंशा और योजना कुछ और है। गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी गुरुवार को दोहराया है कि सरकार तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने के अलावा किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार है।
कानूनों रद्द किए जाने से कम कुछ भी स्वीकार नहीं
जबकि किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा को तीन कृषि कानूनों से राज्यों को बाहर निकलने की अनुमति देने का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है, हम इन कानूनों रद्द किए जाने से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। गौरतलब है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठन नेताओं के साथ सरकार की ओर से वार्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
सरकार को स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू करना चाहिए
इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी कहा था कि आज सरकार के साथ कई मुद्दों पर चर्चा होनी है। सरकार को समझना चाहिए कि बिना कानून को रद्द किए, किसान यहां से नहीं हटने वाला है। इस आंदोलन को किसान ने अपने दिल में ले लिया है और ऐसा में कृषि कानूनों को निरस्त करने से कम नहीं समझेगा। सरकार को स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू करना चाहिए और एमएसपी पर कानून बनाना चाहिए।
कुछ मामलों में बनी थी सहमति
मालूम हो कि इससे पहले की औपचारिक वार्ता में सरकार और किसान संगठनों के बीच बिजली की दरों में वृद्धि और पराली जलाने पर जुर्माना को लेकर किसानों की चिंताओं के हल के लिए कुछ सहमति बनी थी लेकिन तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के मुद्दों पर गतिरोध कायम रहा। फिलहाल सभी की निगाहें आज की बैठक पर है, देखते हैं कि मीटिंग के बाद किसान आंदलोन खत्म करते हैं या फिर ये आंदोलन और उग्र होता है।
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