कृषि कानूनों पर बोले किसान संगठन, मिठाई में जहर छिपाकर देना चाहती है केंद्र सरकार
Farmers Protest: केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान और सरकार के बीच गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। किसानों का आंदोलन अब 58वें दिन में पहुंच गया है, हजारों पंजाब और हरियाणा के किसान अभी भी दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं और तीनों ही कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं। किसानों का आंदोलन 26 नवंबर को शुरू हुआ था, लेकिन अभी तक 10 राउंड की बात होने के बाद भी इस मसले का हल नहीं निकल सका है। किसान तीनों ही कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं साथ ही एमएसपी की गारंटी को लेकर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।
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किसान नेताओं के साथ पिछली बार की बैठक के बाद भी कोई हल नहीं निकल सका था, ऐसे में आज एक बार फिर से किसान नेताओं की सरकार के साथ बैठक है। बैठक के से पहले किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता एसएस पांढ़ेर ने कहा कि सरकार की रणनीति है हम जाल में फंसाने की, ये लोग हमे मीठे में जगर डालकर खिलाना चाहते हैं। ये लोग किसी तरह से हमारा प्रदर्शन खत्म कराना चाहते हैं। हमारी बैठक में सभी ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है कि हम सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं। आज की बैठक में हम एक बार फिर से एमएसपी को लेकर चर्चा करेंगे और तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग करेंगे।
आज केंद्र और किसान नेताओं के बीच 11वें दौर की बैठक होगी। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से किसानों को यह प्रस्ताव दिया गया था कि सरकार 18 महीनों के लिए मौजूदा कृषि कानूनों को टालने के लिए तैयार है। लेकिन किसानों ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। किसानों ने एक बार फिर से तीनों ही कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को दोहराया है। किसानों के इस फैसले पर कांग्रेस ने कहा कि जिस तरह से किसानों ने सरकार के लॉलीपॉप को ठुकराया है वह दर्शाता है कि किसान जागरूक हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करके लिखा रोज-रोज का जुमला और अत्याचार खत्म करिए और तीनों कानून को वापस लीजिए।