किसानों के समर्थन में आया दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन, कहा- आंदोलनकारियों की बात सुने सरकार
Farmer Protest: किसानों के समर्थन में उतरा दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने समर्थन दिया है। डीटीए ने कहा है कि किसानों की मांग को सरकार बिना शर्त सुने और उनकी मागों को पूरा करे। डीटीए पदाधिकारियों ने इस विषय पर बैठक बुलाई, जिसमें किसानों को समर्थन का फैसला लिया गया। डीटीए की ओर से कहा गया है कि हम आंदोलनकारी किसानों की मांग के समर्थन में उनके साथ मजबूती के साथ खड़े हैं।
डीटीए प्रभारी प्रोफेसर हंसराज सुमन ने बताया है कि किसानों का आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण है, लेकिन उनके साथ सरकार कठोर बर्ताव कर रही है और उन पर आंसूगैंर, वाटर कैनन चला रही है। सरकार की एक अहिंसक आंदोलन को इस तरह से दबाने की कोशिश एकदम गलत है। केंद्र सरकार इस तरह की हठधर्मिता को छोड़कर किसानों से तुरंत बातचीत करे और उनकी समस्याओं पर गौर करे।
किसान आंदोलन को लगातार कई संगठनों का समर्थन मिल रहा है। बुधवार को अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने भी किसानों के समर्थन का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि अगर किसानों की मांगे नहीं मानी जाती तो अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश में समानों की सप्लाई को रोक देगा।
इससे पहले मंगलवार को पंजाब के पूर्व खिलाड़ियों और कोचों का भी साथ किसानों का साथ मिल गया है। मंगलवार को पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड जैसे पुरस्कारों से सम्मानित कई पूर्व खिलाड़ियों ने ऐलान किया है कि अगर किसानों की मांगे ना मानी गई तो करीब 150 लोग पांच दिसंबर को अपने अवार्ड और मेडल राष्ट्रपति भवन के सामने रख आएंगे और किसानों के साथ आंदोलन में बैठ जाएंगे।
जून से ही चल रहा है किसानों का आंदोलन
केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानून लेकर आई है, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। इसको लेकर किसान जून से आंदोलनरत हैं। किसानों ने हाल ही में 'दिल्ली चलो' का नारा दिया है। जिसके बाद 26 नवंबर को किसान पंजाब हरियाणा से दिल्ली की ओर कूच किए। फिलहाल किसान सिंधु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत भी हो रही है लेकिन अभी कोई नतीजा नहीं निकलता दिख रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार जमीनों और मंडी सिस्टम को बड़े कारोबारियों को सौंप रही है, जो हमें बर्बाद कर देगा। ऐसे में इनको तुरंत वापस लिया जाए।