Farmers protest:अन्ना हजारे करेंगे आखिरी अनशन, क्या फडणवीस कम कर पाएंगे बीजेपी की टेंशन ?
Farmers protest:किसान केंद्र सरकार के किसी भी प्रस्ताव को मानने के लिए तैयार नहीं है, उधर सोशल ऐक्टिविस्ट अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने उसकी मुश्किल और बढ़ा रखी है। अन्ना हजारे ने ऐलान कर रखा है कि वह तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में 30 जनवरी से आमरण अनशन (indefinite hunger strike) करेंगे, जो कि उनका आखिरी आंदोलन होगा। खबरों के मुताबिक अब पार्टी ने अन्ना हजारे को समझाने का जिम्मा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को दी है। माना जा रहा है कि फडणवीस आज ही इस संबंध में महाराष्ट्र में अन्ना के गांव रालेगण सिद्धि (Ralegan Siddhi) जाकर उनके साथ कृषि कानूनों पर चर्चा करेंगे। (तस्वीरें-फाइल)
अन्ना का अनशन, फडणवीस कैसे कम करेंगे बीजेपी की टेंशन?
खबरों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेतृत्व इस बात को लेकर चिंतित है कि इस समय अगर अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने कृषि कानूनों के खिलाफ आमरण अनशन (indefinite hunger strike) शुरू कर दिया तो इसका बहुत ज्यादा असर पड़ सकता है और पहले से ही जारी किसान आंदोलन (Farmers protest) को और बल मिल सकता है। इसी के मद्देनजर पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis)की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल अन्ना हजारे के पास भेजा है, जो कृषि कानूनों के सकारात्मक पहलुओं के बारे में उन्हें समझाएगा। गौरतलब है कि हजारे ने किसानों के पक्ष में पिछले 8 दिसंबर को भारत बंद आंदोलन के दौरान एक दिवसीय भूख हड़ताल किया था और उसी दिन घोषणा की थी कि अगर मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए तो वह 30 जनवरी से आमरण अनशन शुरू कर देंगे, जो उनका अंतिम आंदोलन होगा।
सरकार पर खोखले वादे का अन्ना ने लगाया है आरोप
उस दिन अन्ना ने मीडिया से बातची के दौरान कहा था कि , 'सरकार खोखले वादे कर रही है, इसलिए मेरा (सरकार में) कोई विश्वास नहीं बचा है.....देखते हैं कि मेरी मांगों पर केंद्र सरकार क्या कदम उठाती है। उन्होंने एक महीने का समय मांगा है, इसलिए मैंने उन्हें जनवरी के अंत तक का वक्त दिया है।' उन्होंने यह भी कहा था कि, 'यदि मेरी मांगें नहीं मानी जाती है तो मैं भूख हड़ताल आंदोलन शुरू कर दूंगा। यह मेरा आखिरी आंदोलन होगा।' गौरतलब है कि किसान अबतक ना तो सुप्रीम कोर्ट के पैनल गठन के फैसले पर राजी हैं और ना ही केंद्र सरकार की ओर से तीनों कानूनों को डेढ़ साल तक के लिए स्थगित रखने पर राजी हुए हैं। वह सिर्फ तीनों कानूनों की वापसी चाहते हैं, जिसपर सरकार अबतक किसी भी सूरत में राजी नहीं दिख रही है। ऐसे में अन्ना हजारे जैसे भ्रष्टाचार-विरोधी शख्सियत अगर भूख हड़ताल करते हैं तो केंद्र सरकार के लिए एक नई मुसीबत खड़ी हो सकती है।
कांग्रेस लगातार साध रही है सरकार पर निशाना
इस बीच कांग्रेस (Congress) की ओर से लगातार आ रहे बयानों से भी सरकार की टेंशन बढ़ी हुई है। शुरू में संकेत मिल रहे थे कि डेढ़ साल तक के लिए कृषि कानूनों पर अमल रोकने के प्रस्ताव को लेकर किसानों में नरमी दिखाई दे रही है, लेकिन फिर अचानक से उन्होंने अपना स्टैंड फिर से कड़ा कर लिया और तीनों कानूनों की वापसी से कम कुछ भी नहीं पर अड़ गए हैं। इसपर कांग्रेस ने मजे लेते हुए कहा है कि सरकार के 'लॉलीपॉप' को ठुकराना किसानों के 'जागने' का संकेत है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमला तेज करते हुए गुरुवार को ट्वीट किया था, "रोज़ नए जुमले और ज़ुल्म बंद करो, सीधे-सीधे कृषि-विरोधी क़ानून रद्द करो!" बता दें कि केंद्र सरकार के आखिरी प्रस्ताव को ठुकराने की घोषणा संयुक्त किसान मोर्चा ने की है।
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